भागलपुर: भारत के पितृसतात्मक समाज में सदियों से महिलाओं की स्थिति निराशाजनक ही रही है. हमेशा से महिलाएं अपने हक के लिए समाज के ठेकेदारों से लड़ती रही हैं. ऐसी ही हैं जिले की शबाना दाऊद, जिन्होंने समाजिक बेड़ियां तोड़कर न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि समाज के अन्य महिलाओं के लिए भी मिसाल बनी.
शबाना दाऊद हमेशा उन लड़कियों को लेकर चिंतित रहती थीं, जिनके मां-बाप अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा नहीं पाते. इसके बाद उन्होंने पास ही बसे एक नए मोहल्ला रेसालाबाग में लगभग 4 से 5 लड़कियों को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया. इसके बाद पूरा अल्पसंख्यक समाज शबाना दाऊद के खिलाफ हो गया और मौलवी ने भी फतवा जारी कर दिया.
पूरे समाज से किया बगावत
इन सबके बावजूद शबाना के पति शमशेर उनके साथ खड़े हुए. उन्होंने पूरे समाज से बगावत कर लिया और अपनी पत्नी का साथ दिया. फिर क्या था शबाना ने भी अपने जज्बे को जारी रखा. फिर धीरे-धीरे समाज की बहुत सारी लड़कियां शबाना के कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए आ गई.
महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव नियुक्त
शबाना दाऊद ने हमेशा समाज को एक नई दिशा और दशा देने की सोच को ही लेकर आगे बढ़ने की कोशिश की. आज पूरे सूबे की सरकार शबाना दाऊद के इस उत्कृष्ट कार्य की सराहना कर रहा है. उनके सामाजिक कार्यों के प्रति इसी लगाव को देखकर सरकार ने उन्हें अभी महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया है.
शबाना दाउद समाज के लिए प्रेरणा
वह अभी तक लगभग पांच हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक युवतियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं. शबाना दाऊद समाज के लिए प्रेरणा हैं, जिनसे लोगों को सीखने की जरूरत है. एक ऐसा समाज जो कि औरत और लड़कियों को घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाता है. वैसे समाज की लड़कियों को आगे लाकर शबाना दाऊद ने अपने पैरों पर खड़ा कर दिया है.
अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ा
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर खासतौर पर वैसे महिलाओं से प्रेरणा लेने की जरूरत है, जिन्होंने समाज की संकीर्ण सोच को बदल कर रख दिया है. ऐसे ही उदाहरण हैं भागलपुर की शबाना दाऊद, जिन्होंने अल्पसंख्यक समाज की वैसी लड़कियों को रोजगार के मुख्य धारा से जोड़ दिया है.
शबाना पीड़ितों की मदद के लिए हमेशा तत्पर
जो लड़कियां पूरी तरह से बीड़ी उद्योग पर निर्भर थी और घर की चाहरदीवारी को ही अपनी जिंदगी समझती थी, आज खुले आसमान में जी रही हैं. आज शबाना दाऊद सामाजिक कार्यों के साथ-साथ महिला उत्पीड़न केस मामले को भी देख रही हैं और पीड़ितों की मदद को चौबीसों घंटे तैयार रहती हैं.