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इनके खिलाफ जारी किया गया था फतवा, अब अल्पसंख्यक समाज के लिए बनी प्रेरणा

शबाना दाऊद ने जब रेसालाबाग में लगभग 4 से 5 लड़कियों को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया. इसके बाद पूरा अल्पसंख्यक समाज शबाना दाऊद के खिलाफ हो गया और मौलवी ने भी फतवा जारी कर दिया.

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Published : Mar 8, 2019, 7:44 PM IST

भागलपुर

भागलपुर: भारत के पितृसतात्मक समाज में सदियों से महिलाओं की स्थिति निराशाजनक ही रही है. हमेशा से महिलाएं अपने हक के लिए समाज के ठेकेदारों से लड़ती रही हैं. ऐसी ही हैं जिले की शबाना दाऊद, जिन्होंने समाजिक बेड़ियां तोड़कर न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि समाज के अन्य महिलाओं के लिए भी मिसाल बनी.

शबाना दाऊद हमेशा उन लड़कियों को लेकर चिंतित रहती थीं, जिनके मां-बाप अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा नहीं पाते. इसके बाद उन्होंने पास ही बसे एक नए मोहल्ला रेसालाबाग में लगभग 4 से 5 लड़कियों को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया. इसके बाद पूरा अल्पसंख्यक समाज शबाना दाऊद के खिलाफ हो गया और मौलवी ने भी फतवा जारी कर दिया.

शबाना दाऊद का बयान

पूरे समाज से किया बगावत
इन सबके बावजूद शबाना के पति शमशेर उनके साथ खड़े हुए. उन्होंने पूरे समाज से बगावत कर लिया और अपनी पत्नी का साथ दिया. फिर क्या था शबाना ने भी अपने जज्बे को जारी रखा. फिर धीरे-धीरे समाज की बहुत सारी लड़कियां शबाना के कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए आ गई.

महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव नियुक्त
शबाना दाऊद ने हमेशा समाज को एक नई दिशा और दशा देने की सोच को ही लेकर आगे बढ़ने की कोशिश की. आज पूरे सूबे की सरकार शबाना दाऊद के इस उत्कृष्ट कार्य की सराहना कर रहा है. उनके सामाजिक कार्यों के प्रति इसी लगाव को देखकर सरकार ने उन्हें अभी महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया है.

शबाना दाउद समाज के लिए प्रेरणा
वह अभी तक लगभग पांच हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक युवतियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं. शबाना दाऊद समाज के लिए प्रेरणा हैं, जिनसे लोगों को सीखने की जरूरत है. एक ऐसा समाज जो कि औरत और लड़कियों को घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाता है. वैसे समाज की लड़कियों को आगे लाकर शबाना दाऊद ने अपने पैरों पर खड़ा कर दिया है.

अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ा
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर खासतौर पर वैसे महिलाओं से प्रेरणा लेने की जरूरत है, जिन्होंने समाज की संकीर्ण सोच को बदल कर रख दिया है. ऐसे ही उदाहरण हैं भागलपुर की शबाना दाऊद, जिन्होंने अल्पसंख्यक समाज की वैसी लड़कियों को रोजगार के मुख्य धारा से जोड़ दिया है.

शबाना पीड़ितों की मदद के लिए हमेशा तत्पर
जो लड़कियां पूरी तरह से बीड़ी उद्योग पर निर्भर थी और घर की चाहरदीवारी को ही अपनी जिंदगी समझती थी, आज खुले आसमान में जी रही हैं. आज शबाना दाऊद सामाजिक कार्यों के साथ-साथ महिला उत्पीड़न केस मामले को भी देख रही हैं और पीड़ितों की मदद को चौबीसों घंटे तैयार रहती हैं.

भागलपुर: भारत के पितृसतात्मक समाज में सदियों से महिलाओं की स्थिति निराशाजनक ही रही है. हमेशा से महिलाएं अपने हक के लिए समाज के ठेकेदारों से लड़ती रही हैं. ऐसी ही हैं जिले की शबाना दाऊद, जिन्होंने समाजिक बेड़ियां तोड़कर न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि समाज के अन्य महिलाओं के लिए भी मिसाल बनी.

शबाना दाऊद हमेशा उन लड़कियों को लेकर चिंतित रहती थीं, जिनके मां-बाप अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा नहीं पाते. इसके बाद उन्होंने पास ही बसे एक नए मोहल्ला रेसालाबाग में लगभग 4 से 5 लड़कियों को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया. इसके बाद पूरा अल्पसंख्यक समाज शबाना दाऊद के खिलाफ हो गया और मौलवी ने भी फतवा जारी कर दिया.

शबाना दाऊद का बयान

पूरे समाज से किया बगावत
इन सबके बावजूद शबाना के पति शमशेर उनके साथ खड़े हुए. उन्होंने पूरे समाज से बगावत कर लिया और अपनी पत्नी का साथ दिया. फिर क्या था शबाना ने भी अपने जज्बे को जारी रखा. फिर धीरे-धीरे समाज की बहुत सारी लड़कियां शबाना के कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए आ गई.

महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव नियुक्त
शबाना दाऊद ने हमेशा समाज को एक नई दिशा और दशा देने की सोच को ही लेकर आगे बढ़ने की कोशिश की. आज पूरे सूबे की सरकार शबाना दाऊद के इस उत्कृष्ट कार्य की सराहना कर रहा है. उनके सामाजिक कार्यों के प्रति इसी लगाव को देखकर सरकार ने उन्हें अभी महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया है.

शबाना दाउद समाज के लिए प्रेरणा
वह अभी तक लगभग पांच हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक युवतियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं. शबाना दाऊद समाज के लिए प्रेरणा हैं, जिनसे लोगों को सीखने की जरूरत है. एक ऐसा समाज जो कि औरत और लड़कियों को घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाता है. वैसे समाज की लड़कियों को आगे लाकर शबाना दाऊद ने अपने पैरों पर खड़ा कर दिया है.

अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ा
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर खासतौर पर वैसे महिलाओं से प्रेरणा लेने की जरूरत है, जिन्होंने समाज की संकीर्ण सोच को बदल कर रख दिया है. ऐसे ही उदाहरण हैं भागलपुर की शबाना दाऊद, जिन्होंने अल्पसंख्यक समाज की वैसी लड़कियों को रोजगार के मुख्य धारा से जोड़ दिया है.

शबाना पीड़ितों की मदद के लिए हमेशा तत्पर
जो लड़कियां पूरी तरह से बीड़ी उद्योग पर निर्भर थी और घर की चाहरदीवारी को ही अपनी जिंदगी समझती थी, आज खुले आसमान में जी रही हैं. आज शबाना दाऊद सामाजिक कार्यों के साथ-साथ महिला उत्पीड़न केस मामले को भी देख रही हैं और पीड़ितों की मदद को चौबीसों घंटे तैयार रहती हैं.

Intro:INTERNATIONAL WOMAN'S DAY SPECIAL
FROM SANTOSH SRIVASTAVA BHAGALPUR

करीब 12 साल पहले से ही अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी कर चुकी शबाना के दिमाग में अपने समाज के उन लड़कियों को लेकर हमेशा चिंता सताती थी जिसके मां बाप अपने बच्चे को पढ़ा लिखा नहीं पाते फिर क्या था पास ही बसे एक नए मोहल्ले रेसालाबाग लगभग 4 से 5 लड़कियों को लेकर मुक्त में खिलौना बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया जिसके बाद पूरा अल्पसंख्यक समाज समाना दाऊद के सोच के खिलाफ खड़ा हो गया और मौलवी ने भी फतवा जारी कर दिया लेकिन शबाना के हमसफर शमशेर ने पूरे समाज से बगावत कर लिया और अपने पत्नी का साथ दिया और फिर क्या था शबाना ने भी अपने उस जज्बे को जारी रखा फिर धीरे धीरे समाज की बहुत सारी लड़कियां शबाना के कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए आ गई ।


Body:शवाना दाऊद ने हमेशा समाज को एक नई दिशा और दशा देने की सोच को ही लेकर आगे बढ़ने की कोशिश की और आज पूरे सूबे की सरकार सबाना दाउद के इस उत्कृष्ट कार्य की सराहना कर रहा है शबाना दाऊद के सामाजिक कार्यों के प्रति इसी लगाव को देख कर सरकार ने उन्हें अभी महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया है अभी तक में लगभग 5000 से ज्यादा अल्पसंख्यक युवतियों को प्रशिक्षित कर चुकी शबाना दाऊद ऐसे समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं जिससे लोगों को सीखने की जरूरत है कि एक ऐसा समाज जो की औरत और लड़कियों को घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगता है वैसे समाज की लड़कियों को आगे लाकर सवाना दाऊद ने अपने पैर पर खड़ा कर दिया है ।


Conclusion:आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर खास तौर पर वैसे महिलाओं से प्रेरणा लेने की जरूरत है जिसने समाज के संकीर्ण सोच को बदल कर रख दिया है ऐसे ही उदाहरण भागलपुर के शबाना दाऊद है जिन्होंने अल्पसंख्यक समाज की वैसी लड़कियों को रोजगार के मुख्य धारा से जोड़ दिया है जो पूरी तरह से बीड़ी उद्योग पर निर्भर थी और घर की चारदीवारी को ही अपनी जिंदगी समझती थी । आज शबाना दाऊद सामाजिक कार्यों के साथ-साथ महिला उत्पीड़न केस मामले को भी देख रहे हैं और पीड़ितों की मदद को चौबीसों घंटे तैयार रहते हैं ।


बाइट :शबाना दाऊद
बाइट: शमशेर कासमी पति
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