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भागलपुर: सरकारी दफ्तर में टपक रहा बारिश का पानी, प्लास्टिक ओढ़कर काम करने को मजबूर कर्मी - भागलपुर में सरकारी भवनों की जर्जर स्थिति

भागलपुर के सरकारी दफ्तर में पहली बारिश के बाद ही छत से पानी टपकने लगा है. जिसकी वजह से कर्मी प्लास्टिक ओढ़कर काम करने को मजबूर हैं.

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Published : Jun 16, 2020, 9:25 PM IST

Updated : Jun 21, 2020, 5:27 PM IST

भागलपुर: जिले में मानसून ने दस्तक दे दी है. मानसून की पहली बारिश के बाद ही सरकारी भवनों की जर्जर स्थिति खतरनाक बनकर सामने आई है. बारिश में जहां भवनों से पानी टपकने लगा है. वहीं छत से प्लास्टर गिर रहा है और दीवारों में भी दरारें लगने लगी है. भागलपुर के तिलकामांझी स्थित बिहार राज्य पथ परिवहन निगम भागलपुर के क्षेत्रीय दफ्तर में बारिश का पानी जमा हो गया है. मरम्मत के अभाव में यह भवन काफी जर्जर हो चुका है.

प्लास्टिक ओढ़कर करते हैं काम
भवन में मौजूद सभी सरकारी कार्यालयों के छत से पानी टपकने लगे हैं. पानी टपकने के कारण कर्मियों को काम करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यही नहीं पानी टपकने से अभिलेख और संचिका को भी रखना मुश्किल हो गया है. बारिश आते ही यहां काम करने वाले कर्मचारी प्लास्टिक ओढ़कर काम करते हैं और दस्तावेज को प्लास्टिक से ढक देते हैं. पानी की वजह से सभी दस्तावेजों में दीमक लग चुका है. यही नहीं लॉकर तक में पानी घुस आया है.

छत से टपकता है पानी
भवन की स्थिति को लेकर दर्जनों बार संबंधित विभाग से यहां के अधिकारियों ने पत्राचार भी किया है. इसके बावजूद कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. कार्यालय में पानी भरने से कर्मी अंदर जाने से कतराते हैं. छत से टपक रहे पानी से काम निपटाने की बात तो दूर कर्मियों और अधिकारियों का बैठना भी दूभर हो जाता है. यहां अधिकांश कमरे की छत के प्लास्टर गिरने लगे हैं. ऐसा कोई कमरा नहीं बचा है, जिसकी छत से पानी नहीं टपकता हो. लेकिन यहां के कर्मी जान जोखिम में डालकर काम करने को विवश हैं.

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सभी दस्तावेज हो चुके हैं खराब

सभी दस्तावेज हो चुके हैं खराब
कार्यालय अधीक्षक रामनारायण दुबे ने बताया कि इस कार्यालय में 2012 में कार्यरत हुए थे. तब से लेकर आज तक इस कार्यालय में किसी भी तरह का कोई मरम्मत का कार्य नहीं हुआ है. जब से वह यहां पर आए हैं, उससे पहले से ही कार्यालय में पानी टपकता रहता है. इसको लेकर कई बार विभाग से पत्राचार किया गया. लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. वहीं कार्यालय के कैशियर वीरेंद्र कुमार चौरसिया ने बताया कि बारिश आते ही उनके दफ्तर में सभी कर्मचारी प्लास्टिक ओढ़ कर काम करते हैं और सारे दस्तावेज और पैसे को प्लास्टिक से ढक देते हैं. उन्होंने कहा कि विभाग यदि आगे कभी दस्तावेज मांगेगा तो हम उपलब्ध नहीं करा पाएंगे. क्योंकि सारे दस्तावेज में पानी घुस चुका है. जिसकी वजह से वो खराब हो गया है.

डर के साए में काम कर रहे कर्मी
वीरेंद्र कुमार चौरसिया ने बताया कि पानी की वजह से कई दस्तावेज में दीमक लग गया है और गल भी गया है. काम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं क्षेत्रीय प्रबंधक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि भवन की जर्जर स्थिति को लेकर विभाग से मेरे कार्यकाल के दौरान चार से पांच बार पत्राचार किया गया. लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि यहां काम करने वाले कर्मचारी की मजबूरी है. सभी डर के साए में काम कर रहे हैं. पानी से दस्तावेज को बचाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रस्ताव भेजने का निर्देश
अशोक कुमार सिंह ने कहा कि 2 वर्ष पूर्व क्षेत्रीय अधिकारी निरीक्षण करने यहां पहुंचे थे और कार्यालय की बदतर स्थिति को देखकर जीर्णोद्धार करने का आश्वासन दिया था. इसके लिए विभागीय अधिकारी को प्रस्ताव भेजने का भी निर्देश दिया था. लेकिन निदेशक का आश्वासन अब तक दफ्तर की दशा सुधारने में कारगर नहीं सिद्ध हो सका है. भवन की स्थिति ऐसी है कि कभी भी गिर सकती है. जिले में इस बार जोरदार बारिश की संभावना मौसम विभाग ने जारी की है. बारिश आते ही यहां काम करने वाले कर्मचारी को अपनी कुर्सियां इधर से उधर करनी पड़ती है.

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प्लास्टिक ओढ़कर काम करते हैं कर्मी

भागलपुर: जिले में मानसून ने दस्तक दे दी है. मानसून की पहली बारिश के बाद ही सरकारी भवनों की जर्जर स्थिति खतरनाक बनकर सामने आई है. बारिश में जहां भवनों से पानी टपकने लगा है. वहीं छत से प्लास्टर गिर रहा है और दीवारों में भी दरारें लगने लगी है. भागलपुर के तिलकामांझी स्थित बिहार राज्य पथ परिवहन निगम भागलपुर के क्षेत्रीय दफ्तर में बारिश का पानी जमा हो गया है. मरम्मत के अभाव में यह भवन काफी जर्जर हो चुका है.

प्लास्टिक ओढ़कर करते हैं काम
भवन में मौजूद सभी सरकारी कार्यालयों के छत से पानी टपकने लगे हैं. पानी टपकने के कारण कर्मियों को काम करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यही नहीं पानी टपकने से अभिलेख और संचिका को भी रखना मुश्किल हो गया है. बारिश आते ही यहां काम करने वाले कर्मचारी प्लास्टिक ओढ़कर काम करते हैं और दस्तावेज को प्लास्टिक से ढक देते हैं. पानी की वजह से सभी दस्तावेजों में दीमक लग चुका है. यही नहीं लॉकर तक में पानी घुस आया है.

छत से टपकता है पानी
भवन की स्थिति को लेकर दर्जनों बार संबंधित विभाग से यहां के अधिकारियों ने पत्राचार भी किया है. इसके बावजूद कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. कार्यालय में पानी भरने से कर्मी अंदर जाने से कतराते हैं. छत से टपक रहे पानी से काम निपटाने की बात तो दूर कर्मियों और अधिकारियों का बैठना भी दूभर हो जाता है. यहां अधिकांश कमरे की छत के प्लास्टर गिरने लगे हैं. ऐसा कोई कमरा नहीं बचा है, जिसकी छत से पानी नहीं टपकता हो. लेकिन यहां के कर्मी जान जोखिम में डालकर काम करने को विवश हैं.

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सभी दस्तावेज हो चुके हैं खराब

सभी दस्तावेज हो चुके हैं खराब
कार्यालय अधीक्षक रामनारायण दुबे ने बताया कि इस कार्यालय में 2012 में कार्यरत हुए थे. तब से लेकर आज तक इस कार्यालय में किसी भी तरह का कोई मरम्मत का कार्य नहीं हुआ है. जब से वह यहां पर आए हैं, उससे पहले से ही कार्यालय में पानी टपकता रहता है. इसको लेकर कई बार विभाग से पत्राचार किया गया. लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. वहीं कार्यालय के कैशियर वीरेंद्र कुमार चौरसिया ने बताया कि बारिश आते ही उनके दफ्तर में सभी कर्मचारी प्लास्टिक ओढ़ कर काम करते हैं और सारे दस्तावेज और पैसे को प्लास्टिक से ढक देते हैं. उन्होंने कहा कि विभाग यदि आगे कभी दस्तावेज मांगेगा तो हम उपलब्ध नहीं करा पाएंगे. क्योंकि सारे दस्तावेज में पानी घुस चुका है. जिसकी वजह से वो खराब हो गया है.

डर के साए में काम कर रहे कर्मी
वीरेंद्र कुमार चौरसिया ने बताया कि पानी की वजह से कई दस्तावेज में दीमक लग गया है और गल भी गया है. काम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं क्षेत्रीय प्रबंधक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि भवन की जर्जर स्थिति को लेकर विभाग से मेरे कार्यकाल के दौरान चार से पांच बार पत्राचार किया गया. लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि यहां काम करने वाले कर्मचारी की मजबूरी है. सभी डर के साए में काम कर रहे हैं. पानी से दस्तावेज को बचाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रस्ताव भेजने का निर्देश
अशोक कुमार सिंह ने कहा कि 2 वर्ष पूर्व क्षेत्रीय अधिकारी निरीक्षण करने यहां पहुंचे थे और कार्यालय की बदतर स्थिति को देखकर जीर्णोद्धार करने का आश्वासन दिया था. इसके लिए विभागीय अधिकारी को प्रस्ताव भेजने का भी निर्देश दिया था. लेकिन निदेशक का आश्वासन अब तक दफ्तर की दशा सुधारने में कारगर नहीं सिद्ध हो सका है. भवन की स्थिति ऐसी है कि कभी भी गिर सकती है. जिले में इस बार जोरदार बारिश की संभावना मौसम विभाग ने जारी की है. बारिश आते ही यहां काम करने वाले कर्मचारी को अपनी कुर्सियां इधर से उधर करनी पड़ती है.

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प्लास्टिक ओढ़कर काम करते हैं कर्मी
Last Updated : Jun 21, 2020, 5:27 PM IST
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