भागलपुर: सूबे की जेलों में बंद सजायाफ्ता बंदी भी हरियाणा की तर्ज पर अपना हुनर और आपबीती सुना सकेंगे. बहुत जल्द कारा मुख्यालय सूबे की चुनिंदा जेलों में रेडियो स्टेशन स्थापित करने वाला है. केंद्रीय जेलों में बहुत जल्द गीत-संगीत गूंजने वाला है. जेल के अंदर गाना बजेगा और रेडियो स्टेशन भी होगा. इस स्टेशन का नाम 'बंदी रेडियो' होगा. वहीं रेडियो जॉकी भी बंदी ही होगा.
जेल के अंदर होगा प्रसारण: बता दें कि कारा मुख्यालय की पहल पर भागलपुर के शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, पूर्णिया केंद्रीय कारा और शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा और मुजफ्फरपुर में जल्द ही रेडियो स्टेशन की स्थापना की जाएगी. तीनों जेलों में रेडियो स्टेशन कक्ष (एक तरह का इंटरनल एड्रेस सिस्टम) बनेंगे. इसका प्रसारण जेल के अंदर तक ही सीमित रहेगा. भागलपुर के शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर के कारा में रेडियो स्टेशन कक्ष बनेगा. यह कैदियों को रोज के कामों से अलग रचनात्मक काम से जोड़ने की एक पहल है.
रेडियो जॉकी का दिया जाएगा प्रशिक्षण : कैदियों को प्रशिक्षण देने के लिए कारा मुख्यालय की ओर से जल्द ही एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी. संगीत का हुनर रखने वाले बंदी रेडियो जॉकी बन कैदियों का मानसिक तनाव दूर करने में अहम भूमिका अदा करेंगे. पढ़ें-लिखे कैदी को चयनित कर कारा मुख्यालय से अनुमति मिलने के बाद रेडियो जॉकी का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसके लिए एक निजी स्वयंसेवी संस्थान की मदद भी ली जा रही है.
एक घंटे कार्यक्रम का आयोजन : इस रेडियो स्टेशन पर रोज एक घंटे का कार्यक्रम प्रसारित होगा. सप्ताह के सातों दिन गीत-संगीत का प्रसारण के साथ-साथ कैदियों के बीच बीमारी से बचाव के उपाय, कानूनी जानकारी, यौन जनित बीमारी से बचाव के तरीके, स्वच्छ रहने और स्वक्षता बनाए रखने तरीके का भी प्रसारण किया जाएगा. साथ ही वर्तमान में कोरोना महामारी से बचाव के अलावा रोजाना एक कैदी अपना आपबीती, कहानी और किस्से सुना सकेंगे.
कई राज्यों में हो चुकी है शुरुआत : जेल जीवन में घर कर जाने वाली हीन भावना, अवसाद से दूर करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. इससे पूर्व दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों में इस योजना की शुरुआत की जा चुकी है. इसके कार्यक्रम जेल से बाहर प्रसारित नहीं किए जाएंगे. जेल में स्पीकरों की सहायता से कैदियों को कार्यक्रम सुनाया जाएगा.