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भागलपुर : कोरोना के कारण 5 कैदी जेल से रिहा, बाहर आकर बोले- जेल ही अच्छा था

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए भागलपुर केंद्रीय कारा से कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया है. पुलिस अब इनका डाटा तैयार कर रही है.

भागलपुर
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Published : Apr 18, 2020, 12:02 AM IST

भागलपुर: कोरोना वायरस की रोकथाम और जेल में कैदियों की संख्या घटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में 7 साल से कम सजयाफ्ता कैदी को पैरोल पर रिहा किया जा रहा है. इसी क्रम में भागलपुर के केंद्रीय कारा से शराब के मामले में सजा काट रहे पांच कैदियों को रिहा किया गया. सभी कैदी भागलपुर जिले के अलग-अलग जनपदों के रहने वाले हैं. हालांकि बाहर निकलने के बाद कैदी निराश दिखे. उन्हें अपने घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला. सभी को पैदल ही घर जाना पड़ा.

तैयार किया जा रहा कैदियों का डाटा
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्थानीय पुलिस को इस तरह निकले हुए कैदियों पर नजर बनाए रखने का निर्देश है. लेकिन कोरोना काल में पुलिस के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं है. इस मामले को लेकर कारा प्रबंधन के द्वारा जेल में बंद ऐसे कैदियों का डाटा तैयार किया जा रहा है. उसके क्रियाकलाप समेत जेल के अंदर उनके रहन-सहन, आदत और चरित्र के बारे में भी पता लगाया जा रहा है.

कैदी
पैरोल पर रिहा कैदी

'जेल ही अच्छा था'
जेल से बाहर आए एक कैदी ने बताया कि वह शराब के मामले में जेल बंद था. बाहर निकलकर ऐसा लग रहा है जेल ही बेहतर था. उसने कहा कि सबकुछ बदला-बदला सा लग रहा है. सड़कों पर लोग नहीं सिर्फ पुलिस नजर आ रही है. शराब पीने के मामले में पैरोल पर रिहा कैदी अमित कुमार यादव ने बताया किे घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है.

बाहर आए कैदियों पर रहेगी पुलिस की नजर
बताया जा रहा है कि ऐसे कैदी जिनकी जेल मैनुअल के अनुसार आदत ठीक है, किसी भी तरह की शिकायत नहीं आई है और उनके ऊपर अलग से किसी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है तो ऐसे कैदियों को चिन्हित कर पैरोल पर रिहा किया जाएगा. लेकिन उनको पांच साल की ही सजा होनी चाहिए. ऐसे कैदी रिहा होने के बाद बकायदा स्थानीय पुलिस की नजर में होंगे ताकि दोबारा किसी अपराध की घटना को अंजाम नहीं दे पाएं.

कैदी
घर जाने को सवारी खोजते कैदी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
जानकारी के अनुसार देश के अधिकांश जेलों में संख्या से अधिक कैदी बंद हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक आदेश दिया गया है कि 5 साल के सजायाफ्ता कैदी को उनकी अच्छी आदत को देखते हुए फिलहाल पैरोल पर रिहा किया जाए. इससे जेल के अंदर केरोना वायरस के संक्रमण के फैलने का खतरा कम हो सकेगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे कैदियों पर नजर स्थानीय पुलिस को भी रखनी है ताकि वह किसी तरह की गड़बड़ी समाज में फिर दोबारा नहीं करें.

कोर्ट ने भेजा पत्र
इस मामले में बिहार की सभी जेल के जेलर और अधीक्षक को आवश्यक दिशा निर्देश के लिए पत्र भी भेजा जा गया है. बताया जाता है कि छोड़े जाने वाले सभी कैदियों से कारा प्रबंधन के द्वारा बात की जा रही है और उन्हें समझाया भी जा रहा है कि वह बाहर निकलने के बाद कोरोना वायरस से संबंधित चल रहे लॉकडाउन नियम का पालन करेंगे. इसके अलावा वह समाज की मुख्यधारा में जुड़कर रहेंगे और किसी भी तरह की आपराधिक घटना को अंजाम नहीं देगें

भागलपुर: कोरोना वायरस की रोकथाम और जेल में कैदियों की संख्या घटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में 7 साल से कम सजयाफ्ता कैदी को पैरोल पर रिहा किया जा रहा है. इसी क्रम में भागलपुर के केंद्रीय कारा से शराब के मामले में सजा काट रहे पांच कैदियों को रिहा किया गया. सभी कैदी भागलपुर जिले के अलग-अलग जनपदों के रहने वाले हैं. हालांकि बाहर निकलने के बाद कैदी निराश दिखे. उन्हें अपने घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला. सभी को पैदल ही घर जाना पड़ा.

तैयार किया जा रहा कैदियों का डाटा
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्थानीय पुलिस को इस तरह निकले हुए कैदियों पर नजर बनाए रखने का निर्देश है. लेकिन कोरोना काल में पुलिस के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं है. इस मामले को लेकर कारा प्रबंधन के द्वारा जेल में बंद ऐसे कैदियों का डाटा तैयार किया जा रहा है. उसके क्रियाकलाप समेत जेल के अंदर उनके रहन-सहन, आदत और चरित्र के बारे में भी पता लगाया जा रहा है.

कैदी
पैरोल पर रिहा कैदी

'जेल ही अच्छा था'
जेल से बाहर आए एक कैदी ने बताया कि वह शराब के मामले में जेल बंद था. बाहर निकलकर ऐसा लग रहा है जेल ही बेहतर था. उसने कहा कि सबकुछ बदला-बदला सा लग रहा है. सड़कों पर लोग नहीं सिर्फ पुलिस नजर आ रही है. शराब पीने के मामले में पैरोल पर रिहा कैदी अमित कुमार यादव ने बताया किे घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है.

बाहर आए कैदियों पर रहेगी पुलिस की नजर
बताया जा रहा है कि ऐसे कैदी जिनकी जेल मैनुअल के अनुसार आदत ठीक है, किसी भी तरह की शिकायत नहीं आई है और उनके ऊपर अलग से किसी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है तो ऐसे कैदियों को चिन्हित कर पैरोल पर रिहा किया जाएगा. लेकिन उनको पांच साल की ही सजा होनी चाहिए. ऐसे कैदी रिहा होने के बाद बकायदा स्थानीय पुलिस की नजर में होंगे ताकि दोबारा किसी अपराध की घटना को अंजाम नहीं दे पाएं.

कैदी
घर जाने को सवारी खोजते कैदी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
जानकारी के अनुसार देश के अधिकांश जेलों में संख्या से अधिक कैदी बंद हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक आदेश दिया गया है कि 5 साल के सजायाफ्ता कैदी को उनकी अच्छी आदत को देखते हुए फिलहाल पैरोल पर रिहा किया जाए. इससे जेल के अंदर केरोना वायरस के संक्रमण के फैलने का खतरा कम हो सकेगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे कैदियों पर नजर स्थानीय पुलिस को भी रखनी है ताकि वह किसी तरह की गड़बड़ी समाज में फिर दोबारा नहीं करें.

कोर्ट ने भेजा पत्र
इस मामले में बिहार की सभी जेल के जेलर और अधीक्षक को आवश्यक दिशा निर्देश के लिए पत्र भी भेजा जा गया है. बताया जाता है कि छोड़े जाने वाले सभी कैदियों से कारा प्रबंधन के द्वारा बात की जा रही है और उन्हें समझाया भी जा रहा है कि वह बाहर निकलने के बाद कोरोना वायरस से संबंधित चल रहे लॉकडाउन नियम का पालन करेंगे. इसके अलावा वह समाज की मुख्यधारा में जुड़कर रहेंगे और किसी भी तरह की आपराधिक घटना को अंजाम नहीं देगें

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