भागलपुर: सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के अमनौर स्थित कार्यालय में 30 से ज्यादा एंबुलेंसों के खड़े रहने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. शुक्रवार को सांसद राजीव प्रताप रूडी के अमनौर स्थित कार्यालय में जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने पहुंचकर मामले को उजागर किया था.
पप्पू यादव ने दावा किया था कि एंबुलेंस साल भर से अधिक समय से कार्यालय में खड़ी हैं. जिसके बाद राजीव प्रताप रूडी को मीडिया में बकायदा एक वीडियो मैसेज जारी कर सफाई देनी पड़ी थी. लेकिन अब रूडी की सफाई पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है.
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302 का दर्ज हो मुकदमा
बिहार कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने इस मामले पर राजीव प्रताप रूडी और सारण के जिलाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी और योजना पदाधिकारी पर 302 का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है.
'एक तरफ जहां एंबुलेंस के लिए मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. वहीं सारण में दर्जनों एंबुलेंस राजीव प्रताप रूडी के कार्यालय में खड़ी हैं. यह राजीव प्रताप रूडी की निजी संपत्ति नहीं थी. सरकारी एंबुलेंस को अपने कार्यालय में कैसे कोई रख सकता है. राजीव प्रताप रूडी ने तर्क दिया है कि ड्राइवर नहीं होने की वजह से एंबुलेंस खड़ी हैं. एंबुलेंस 1 साल से खड़ी हैं. कोरोना काल को साल भर से अधिक हो गया. अब तक एंबुलेंस चालक की नियुक्ति नहीं होना काफी गंभीर मामला है.' -अजीत शर्मा, बिहार कांग्रेस विधायक दल के नेता
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धूल फांक रहीं एंबुलेंस
अजीत शर्मा ने कहा है कि सांसद विकास निधि से एंबुलेंस की खरीदारी की गई थी. मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान लेना चाहिए था. जहां एक तरफ एंबुलेंस मरीज को नहीं मिल रहा है. निजी एंबुलेंस चालक मनमाना किराया वसूल रहे हैं.
वहीं सरकारी एंबुलेंस बिना चालक के धूल फांक रहे हैं. अब तक एंबुलेंस के अभाव में कई लोगों की जान जा चुकी है. इसलिए सांसद राजीव प्रताप रूडी और जिला पदाधिकारी, योजना पदाधिकारी और सिविल सर्जन पर आपराधिक मुकदमा के साथ-साथ हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए.
सरकारी राशि से हुई है खरीद
विधायक ने अविलंब एंबुलेंस ड्राइवरों की नियुक्ति की मांग की है. उन्होंने कहा कि राजीव प्रताप रूडी द्वारा कहा जा रहा है कि पप्पू यादव ड्राइवर लाएं और एंबुलेंस ले जाएं. इस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि वह राजीव प्रताप रूडी की संपत्ति नहीं है. सांसद ने स्थानीय क्षेत्र विकास योजना से अनुशंसा कर एंबुलेंस की खरीद की है. वह सरकारी राशि है. इसके लिए ड्राइवर की नियुक्ति से लेकर रखरखाव जिला प्रशासन को करना होता है. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से अब तक वह एंबुलेंस राजीव प्रताप रूडी के कार्यालय में खड़ी हैं.
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