भागलपुर: बारिश का मौसम आते ही गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि हो जाती है. इसके कारण तेजी से कटाव शुरू हो गया है. इस कटाव के चपेट में जिले के पीरपैंती, कहलगांव, खरीक बिहपुर प्रखंड आ गया है. नदी के कटाव में तटवर्ती गांवों के खेती वाले जमीन समेत लोगों के घर समाए जा रहे हैं. इस कटाव के कारण लोगों को काफी डर लग रहा है. लोग अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित है.
कई घरों पर मंडरा रहा कटाव का खतरा
पिछले 5 दिनों में पिरपैंती प्रखंड के रानी दियारा के टपुआ गांव में निताई मंडल, बटनी देवी ,मनोज यादव का घर गंगा में समा चुका है. दर्जनों घर के ऊपर कटाव का खतरा मंडरा रहा है. करीब 3 किलोमीटर के दायरे में कटाव जारी है. तौफिल दियारा, अंठावन दियारा और टपुआ गांव गंगा नदी के तेज कटाव के चपेट में है. अब तक 20 घर बेघर हो गए हैं. सभी बेघर हुए लोग अपने रिश्तेदार के घर आश्रय लिए हुए हैं. वहीं, प्रशासन की ओर से लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कोई तत्परता नहीं दिखाई जा रही है. प्रशासन के अधिकारी इलाके का जायजा लेकर खानापूर्ति कर देते हैं, लेकिन कटाव रोकने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं करवाते हैं.
कटाव रोकने का नहीं है पर्याप्त व्यवस्था
टपुआ दियारा के ग्रामीण मुकेश मंडल ने बताया कि नदी में 5 साल से ही कटाव हो रहा है. लेकिन बारिश के समय में ज्यादा कटाव होने लगता है. लेकिन तब से लेकर आज तक प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं गया है. सूचना मिलने पर प्रशासन के अधिकारी गांव आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. प्रशासन की तरफ से कोई भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जाती है.
सरकार से मदद की गुहार
ग्रामीण विकास कुमार ने बताया कि कटाव रोकने के लिए बालू का बोरा लाकर गंगा किनारे रख दिया गया है, लेकिन उसे नीचे पानी के पास नहीं डाला गया है. वहीं, काम करने वाले मजदूरों की भी कमी है. गंगा में कटाव को रोकने के लिए काम करवाने के लिए ठेकेदारों का कहना है कि ऊपर से आदेश मिलने के बाद ही काम जारी रखा जायेगा. ग्रामीण गंगा देवी ने बताया कि कटाव के कारण उनका बेटा रात में अपने दोस्तों के साथ गंगा किनारे जगा रहता है. जिससे कि किसी तरह का खतरा होने पर गांव में लोगों को जगाया जा सके. उन्होंने बताया कि एक बार में दो से 3 एकड़ जमीन गंगा में समा जाती है. इन लोगों ने सरकार से रहने के लिए घर के साथ भोजन के लिए अन्न की भी मांग की है.