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ये आम है खास: मधुबन में 'जर्दालु' के बाद अब 'मोदी वन' और 'मोदी टू' तैयार

अपने बेहतरीन स्वाद और खुशबू के बल पर बिहार के जर्दालु आम की ख्याति क्षेत्र और राज्य की सीमाओं को लांघकर विदेशों तक जा पहुंची है. आम की कई प्रजातियों के बीच यह अपने बेहतरीन स्वाद के कारण एक अलग ही पहचान बनाता जा रहा है. इसे एक बार जो खा ले, वह इसका मुरीद हो जाता है.

जर्दालु
जर्दालु
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Published : May 1, 2020, 4:57 PM IST

Updated : May 1, 2020, 8:32 PM IST

भागलपुर : हर किसी का अपना एक पसंदीदा आम होता है. यूपी वालों को दशहरी मन भाता है तो मुंबई वाले अलफांसो लुभाता है. दिल्ली वाले चौसा की मिठास के गाने गाते हैं तो बेंग्लुरू वालों को बंगनपल्ली का स्वाद दीवाना बनाता है. अब आपको कौन सा आम पसंद है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रदेश से हैं और आपका बचपन कहां बीता.

बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज महेशी के अशोक चौधरी के बगीचे का आम काफी मशहूर है. इन्हें लोग 'मैंगो मैन' के नाम से भी जानते हैं. अशोक ने अपने बगीचे का नाम मधुबन रखा है, क्योंकि जर्दालु आम...शहद की तरह मीठा होता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

2000 एकड़ में हो रही 'जर्दालु' की खेती
इतना ही नहीं, भागलपुर के कई इलाकों में मैंगो मैन अशोक चौधरी ने कृषि के तौर पर इस्तेमाल होने वाली जमीन को भी बगीचे में बदल दिया. शुरू में जर्दालु की खेती लगभग 500 एकड़ जमीन में होती थी. लेकिन अब अशोक चौधरी की कोशिश एवं राज्य सरकार की मदद से यह खेती लगभग दो हजार एकड़ में हो रही है. साथ ही, करीब 20 हजार से 25 हजार क्विंटल जर्दालु का उत्पादन होता है.

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जर्दालु आम दिखाते मैंगो मैन अशोक चौधरी

देश-विदेश के कोने-कोने तक पहुंचे स्वाद
मैंगो मैन अशोक चौधरी की ख्वाहिश है कि पूरे इलाके में जर्दालु की इतनी खेती हो कि विश्व के हर कोने में जर्दालु आम की पहचान होने के साथ-साथ मांग भी बढ़ जाए और लोग इसका स्वाद को चखे.

जर्दालु के बाद अब 'मोदी वन' और 'मोदी टू'
'मैंगो मैन' अशोक चौधरी...महेशी के पास अपने बगीचे 'मधुबन' में करीब 150 से ज्यादा वैरायटी के आम का उत्पादन कर रहे हैं. लेकिन, उन्हें जर्दालु का उत्पादन सबसे ज्यादा संतुष्टि देता है. अशोक चौधरी ने अपने आम के बगीचे में दो विशेष तरह के आम का भी उत्पादन किया है. जिसका नाम 'मोदी वन' और 'मोदी टू' रखा है. इस आम को दो खास किस्म के आम को क्रॉस कर तैयार किया गया है.

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जर्दालु

शुरुआती दौर में यह आम कुछ किसानों को अपने-अपने बगीचे में लगाने के लिए भी दिया है, ताकि आने वाले समय में 'मोदी वन' और 'मोदी टू' आम का स्वाद भी लोग चख सकें और एक नया वैरायटी का आम अपनी पहचान बनाएं.

लॉकडाउन : करीब 50 फीसदी के नुकसान का आंकलन
'मैंगो मैन' अशोक चौधरी कहते है कि, इस समय देश में लॉक डाउन होने की वजह से फसल के रखरखाव और तैयारी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. जर्दालु आम के उत्पादन की तैयारी मार्च से ही शुरू हो जाती है और इत्तेफाक से कोरोना का संक्रमण उसी समय से शुरू हो गया. ऐसे में करीब 50 फीसदी के नुकसान का अभी से हमलोग आंकलन कर रहे है.

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मैंगो मैन अशोक चौधरी

सियासत में घोल रहा मिठास
वहीं, यह आम आम जनता के साथ सियासतदानों के लिए भी खास रहा है. बिहार सरकार के निर्देश पर 2006 से जर्दालु आम को उपहार स्वरूप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही देश के अति विशिष्ट लोगों को भेजा जाता रहा है. जर्दालु आम के पैकेट पर लिखा होता है 'मुख्यमंत्री नीतीश की भेंट'.

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जर्दालु आम के पैकेट्स

भागलपुर क्षेत्र की मिट्टी बेहतरीन
आम उत्पादन के लिए भागलपुर क्षेत्र की मिट्टी बेहतरीन मानी जाती है. इसलिए यहां पैदावार जर्दालु का स्वाद भी लजीज होता है. दरअसल ब्रॉंड प्रमोशन की कमी की वजह से यह खास आम अपने क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गया था. जो अपने खास गुणों और स्वाद के कारण अब पूरी दुनिया के सामने आ पाया है.

भागलपुर : हर किसी का अपना एक पसंदीदा आम होता है. यूपी वालों को दशहरी मन भाता है तो मुंबई वाले अलफांसो लुभाता है. दिल्ली वाले चौसा की मिठास के गाने गाते हैं तो बेंग्लुरू वालों को बंगनपल्ली का स्वाद दीवाना बनाता है. अब आपको कौन सा आम पसंद है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रदेश से हैं और आपका बचपन कहां बीता.

बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज महेशी के अशोक चौधरी के बगीचे का आम काफी मशहूर है. इन्हें लोग 'मैंगो मैन' के नाम से भी जानते हैं. अशोक ने अपने बगीचे का नाम मधुबन रखा है, क्योंकि जर्दालु आम...शहद की तरह मीठा होता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

2000 एकड़ में हो रही 'जर्दालु' की खेती
इतना ही नहीं, भागलपुर के कई इलाकों में मैंगो मैन अशोक चौधरी ने कृषि के तौर पर इस्तेमाल होने वाली जमीन को भी बगीचे में बदल दिया. शुरू में जर्दालु की खेती लगभग 500 एकड़ जमीन में होती थी. लेकिन अब अशोक चौधरी की कोशिश एवं राज्य सरकार की मदद से यह खेती लगभग दो हजार एकड़ में हो रही है. साथ ही, करीब 20 हजार से 25 हजार क्विंटल जर्दालु का उत्पादन होता है.

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जर्दालु आम दिखाते मैंगो मैन अशोक चौधरी

देश-विदेश के कोने-कोने तक पहुंचे स्वाद
मैंगो मैन अशोक चौधरी की ख्वाहिश है कि पूरे इलाके में जर्दालु की इतनी खेती हो कि विश्व के हर कोने में जर्दालु आम की पहचान होने के साथ-साथ मांग भी बढ़ जाए और लोग इसका स्वाद को चखे.

जर्दालु के बाद अब 'मोदी वन' और 'मोदी टू'
'मैंगो मैन' अशोक चौधरी...महेशी के पास अपने बगीचे 'मधुबन' में करीब 150 से ज्यादा वैरायटी के आम का उत्पादन कर रहे हैं. लेकिन, उन्हें जर्दालु का उत्पादन सबसे ज्यादा संतुष्टि देता है. अशोक चौधरी ने अपने आम के बगीचे में दो विशेष तरह के आम का भी उत्पादन किया है. जिसका नाम 'मोदी वन' और 'मोदी टू' रखा है. इस आम को दो खास किस्म के आम को क्रॉस कर तैयार किया गया है.

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जर्दालु

शुरुआती दौर में यह आम कुछ किसानों को अपने-अपने बगीचे में लगाने के लिए भी दिया है, ताकि आने वाले समय में 'मोदी वन' और 'मोदी टू' आम का स्वाद भी लोग चख सकें और एक नया वैरायटी का आम अपनी पहचान बनाएं.

लॉकडाउन : करीब 50 फीसदी के नुकसान का आंकलन
'मैंगो मैन' अशोक चौधरी कहते है कि, इस समय देश में लॉक डाउन होने की वजह से फसल के रखरखाव और तैयारी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. जर्दालु आम के उत्पादन की तैयारी मार्च से ही शुरू हो जाती है और इत्तेफाक से कोरोना का संक्रमण उसी समय से शुरू हो गया. ऐसे में करीब 50 फीसदी के नुकसान का अभी से हमलोग आंकलन कर रहे है.

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मैंगो मैन अशोक चौधरी

सियासत में घोल रहा मिठास
वहीं, यह आम आम जनता के साथ सियासतदानों के लिए भी खास रहा है. बिहार सरकार के निर्देश पर 2006 से जर्दालु आम को उपहार स्वरूप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही देश के अति विशिष्ट लोगों को भेजा जाता रहा है. जर्दालु आम के पैकेट पर लिखा होता है 'मुख्यमंत्री नीतीश की भेंट'.

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जर्दालु आम के पैकेट्स

भागलपुर क्षेत्र की मिट्टी बेहतरीन
आम उत्पादन के लिए भागलपुर क्षेत्र की मिट्टी बेहतरीन मानी जाती है. इसलिए यहां पैदावार जर्दालु का स्वाद भी लजीज होता है. दरअसल ब्रॉंड प्रमोशन की कमी की वजह से यह खास आम अपने क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गया था. जो अपने खास गुणों और स्वाद के कारण अब पूरी दुनिया के सामने आ पाया है.

Last Updated : May 1, 2020, 8:32 PM IST
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