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प्रेम की अनूठी मिसाल, पत्नी की मौत की खबर सुन पति ने भी तोड़ा दम

मामला भागलपुर के कहलगांव के एकचारी प्रखंड का है. जहां पत्नी के मौत के गम में पति ने भी दम तोड़ दिया. इस घटना की चर्चा इलाके में खूब सुनी जा रही है.

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Published : May 13, 2019, 7:47 PM IST

अंतिम यात्रा

भागलपुरः जहां एक ओर आए दिन पति-पत्नी के बीच होने वाले घरेलू हिंसा और तलाक सामान्य बात हो गई है. वहीं, भागलपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुन लोग आश्चर्य कर रहे हैं. दरअसल, कहलगांव के एकचारी पंचायत में पत्नी अंचला देवी की मौत की खबर सुनकर पति रामस्वरूप को गहरा सदमा लगा और कुछ ही घंटों बाद उनकी भी मौत हो गई. लोगों का कहना है कि रामस्वरूप पत्नी की मौत के सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाए.

दोनों के बीच था अपार प्रेम

इस मामले के बारे में घर वालों ने बताया कि दोनों का विवाह वर्ष 1962 में हुआ था. उसी समय से दोनों में अपार प्रेम था. पत्नी अंचला देवी दिव्यांग थीं और कुछ दिनों से वो बीमार चल रही थीं. वहीं, रामस्वरूप दास पूरी तरह स्वस्थ थे. लेकिन पत्नी की मौत का गम वह नहीं सह सके और दो घंटे बाद उनकी भी सांसें रुक गयीं.

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पति-पत्नी की अंतिम यात्रा

अंतिम संस्कार एक साथ

खबर सुनकर इलाके में मातम छा गया. घर पर अंतिम दर्शन के लिए पंचायत के लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. दोनों शवों को एक साथ दो अर्थी पर लेकर गंगा घाट पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया. जहां उनके बेटे राजेश श्रीवास्तव ने माता-पिता को मुखाग्नि दी. बता दें कि रामस्वरूप दास की पहचान पंचायत के अच्छे मुखिया के रूप में होती थी.

पति-पत्नी का प्यार

मिलनसार स्वभाव के थे रामस्वरूप

परिजनों का कहना है कि रामस्वरूप दास दूसरे लोगों की हमेशा मदद करते थे. वह स्वभाव से काफी मिलनसार व्यक्ति थे. अंचला देवी अपंग रहते हुए भी अपने पति के सेवा में लगी रहती थी. ग्रामीण सुबोध पासवान इनके राजनीतिक कार्यकाल के बारे में बताते हैं कि जब वो मुखिया थे, तब अपने घर का ख्याल नहीं रख कर पंचायत के लोगों का रखा करते थे. उन्होंने कई लोगों को इंदिरा आवास योजना का लाभ दिलाया और सड़क का निर्माण कराया.

भागलपुरः जहां एक ओर आए दिन पति-पत्नी के बीच होने वाले घरेलू हिंसा और तलाक सामान्य बात हो गई है. वहीं, भागलपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुन लोग आश्चर्य कर रहे हैं. दरअसल, कहलगांव के एकचारी पंचायत में पत्नी अंचला देवी की मौत की खबर सुनकर पति रामस्वरूप को गहरा सदमा लगा और कुछ ही घंटों बाद उनकी भी मौत हो गई. लोगों का कहना है कि रामस्वरूप पत्नी की मौत के सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाए.

दोनों के बीच था अपार प्रेम

इस मामले के बारे में घर वालों ने बताया कि दोनों का विवाह वर्ष 1962 में हुआ था. उसी समय से दोनों में अपार प्रेम था. पत्नी अंचला देवी दिव्यांग थीं और कुछ दिनों से वो बीमार चल रही थीं. वहीं, रामस्वरूप दास पूरी तरह स्वस्थ थे. लेकिन पत्नी की मौत का गम वह नहीं सह सके और दो घंटे बाद उनकी भी सांसें रुक गयीं.

bhagalpur
पति-पत्नी की अंतिम यात्रा

अंतिम संस्कार एक साथ

खबर सुनकर इलाके में मातम छा गया. घर पर अंतिम दर्शन के लिए पंचायत के लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. दोनों शवों को एक साथ दो अर्थी पर लेकर गंगा घाट पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया. जहां उनके बेटे राजेश श्रीवास्तव ने माता-पिता को मुखाग्नि दी. बता दें कि रामस्वरूप दास की पहचान पंचायत के अच्छे मुखिया के रूप में होती थी.

पति-पत्नी का प्यार

मिलनसार स्वभाव के थे रामस्वरूप

परिजनों का कहना है कि रामस्वरूप दास दूसरे लोगों की हमेशा मदद करते थे. वह स्वभाव से काफी मिलनसार व्यक्ति थे. अंचला देवी अपंग रहते हुए भी अपने पति के सेवा में लगी रहती थी. ग्रामीण सुबोध पासवान इनके राजनीतिक कार्यकाल के बारे में बताते हैं कि जब वो मुखिया थे, तब अपने घर का ख्याल नहीं रख कर पंचायत के लोगों का रखा करते थे. उन्होंने कई लोगों को इंदिरा आवास योजना का लाभ दिलाया और सड़क का निर्माण कराया.

Intro:अग्नि के सात फेरे लेते समय विवाह बंधन में बंधने वाले सात जनम तक साथ जीने मरने की कसम खाते हैं । इस तरह का वाकिया फिल्मों में देखने के लिए मिलता है लेकिन यह हकीकत भी चरितार्थ गोवा भागलपुर में कहलगांव प्रखंड के एकचारी पंचायत में मिला पत्नी अंचला देवी की मौत शनिवार शाम को बीमारी से हो गई पत्नी का वियोग पति रामस्वरूप दास नहीं सह पाया कुछ ही देर बाद उन्होंने भी दम तोड़ दिया । दोनों का विवाह 1962 ईस्वी में हुई थी । दोनों में प्रगाढ़ प्रेम था पत्नी अंचला देवी निशक्त थी । लंबे अरसे से वह निशक्त होने के बावजूद भी पति सेवा करती थी । मरने से 2 दिन पहले पत्नी बीमार पड़ी जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई । पत्नी की मृत्यु के सदमे को पति नहीं सह पाया और उन्होंने भी अपना दम तोड़ दिया । खबर सुनकर परिवार में जहां मातम छा गई वहीं घर पर अंतिम दर्शन के लिए पंचायत के लोगों कि भारी संख्या में घर के आगे भीड़ जमा हो गई । दोनों के शवों को एक साथ दो अर्थी पर लेकर गंगा घाट पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया जहां उनके पुत्र राजेश श्रीवास्तव ने माता पिता को मुखाग्नि दी । रामस्वरूप दास की पहचान पंचायत के अच्छे मुखिया के रूप में की जाती थी ।


Body:रिश्तेदार सुमित गुप्ता ने बताया कि रामस्वरूप दास दूसरे लोगों की मदद के लिए लालायित रहते थे ।.वह काफी ही मिलनसार व्यक्ति थे । जिन से भी मिलता था वह अपनत्व के भाव से मिलते थे । उन्होंने कहा कि हमने किताबों में पति पत्नी के प्रेम की कहानी को पड़ा था मगर हमने हकीकत में इस तरह का प्यार भी देख लिया कि दोनों साथ जिये और दोनों साथ मरे ।


रामस्वरूप दास के छोटे भाई रंजन दास अपने बड़े भाई के बारे में बताते हैं कि वे काफी मिलनसार व्यक्तित्व समाज में उनका किसी से कभी कोई बैर की भाव नहीं था काफी अच्छे विचार के थे में पंचायत के मुखिया थे परिवार में भी उनका काफी अच्छा संबंध था पति पत्नी में काफी अच्छा प्रेम भाव रहता था अपंग रहते हुए भी पत्नी अपने पति के सेवा में लगे रहते थे और हमेशा उनका ख्याल रखते थे । उन्होंने कहा कि मेरे बड़े भाई का अच्छा सौभाग्य मानेंगे कि पहले पत्नी कीक्षथोड़ी देर पहले देहांत हुई उसके बाद मेरे भाई का देहांत हुआ । पत्नी अपने साथ अपने पति को लेकर चली गई ।

छोटा बेटा मुकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि मेरे पिताजी और मां मेरा बहुत ख्याल रखते थे । मेरी मां अपंग थी शादी हो जाने के बाद भी जब पत्नी मायके चली जाती थी तो मां अपंग होने के बावजूद खाना बना कर खिलाती थी और मेरे स्वास्थ्य के बारे में हमेशा पूछती रहती थी । मेरे मां और पिताजी हमेशा प्यार से रहते थे ।
उन्होंने कहा कि मेरे मां और पिताजी दोनों एक साथ चले गए इस दुख को मैं जी नहीं पाऊंगा उनकी कमी हमेशा खलेगी ।


मृतक महिला चंचला देवी की छोटी गौतनी निर्मला देवी रोते हुए कहती है कि मेरी बड़ी गोतनी हमेशा परिवार का ख्याल रखती थी । परिवार में मिल जुल कर रहती थी । अपंग होने के बावजूद पति का हमेशा ख्याल रखती थी । आज दोनों हमें छोड़ कर चली गयी ।

ग्रामीण सुबोध पासवान इनके राजनीतिक कार्यकाल के बारे में बताते हैं कि जब वह मुखिया थे तो अपने घर का ख्याल नहीं रख कर पंचायत के लोगों का रखा । उन्होंने कई लोगों को इंदिरा आवास योजना का लाभ दिलाया साथी सड़क का निर्माण कराया। वे अपने घर कच्ची रख कर लोगों का घर पक्की बनवाया। वे अपने साथ जनता की सेवा के लिए मुहर रखते थे जब किसी को जरूरत पड़ते तो वही का वही वह मुहर लगाकर उन उनके काम कर देते थे । पहला ऐसा मुखिया था जो अपने साथ मुहर रखते थे ।


Conclusion:VISUAL
BYTE - सुमित कुमार ( रिश्तेदार )
BYTE - रंजन दास ( छोटा भाई )
BYTE - मुकेश श्रीवास्तव ( बेटा )
BYTE- निर्मला देवी ( गौतनी )
BYTE - सुबोध पासवान ( ग्रामीण )
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