भागलपुर: भागलपुर से सुकून देने वाली खबर सामने आई है. जिसने साबित कर दिया कि जाति-धर्म, नाते-रिश्तेदार से परे मानवता और प्रेम ही सबसे बड़ा है. हम बात कर रहे हैं सनहौला के रहने वाले मोहम्मद सलीम की. जिन्होंने एक अनजान बच्चे की जान बचाने के लिए किडनी दान करने का निर्णय लिया है. इसके लिए सलीम ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर अनुमति मांगी है. ऐसे कम ही लोग मिलते हैं जो दूसरे को जीवन देने के लिए अपना अंगदान करते हैं.
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आठ साल से बीमारी से हैं ग्रसित
दरअसल, नवगछिया तेतरी के रहने वाले जितेंद्र कुमार चौरसिया के 14 वर्षीय पुत्र अमर कुमार चौरसिया पिछले 8 साल से किडनी की बीमारी से ग्रसित हैं. डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी है. जिसके बाद जितेंद्र कुमार चौरसिया ने अपने बेटे की जान बचाने के लिए वीडियो मैसेज सोशल मीडिया पर डाला था. उसके बाद समाचार चैनल वगैरह पर खबर प्रचारित हुई. जिसको देखने के बाद मोहम्मद सलीम शनिवार को जिलाधिकारी के जनता दरबार में पहुंच गए.
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किडनी दान करने की मांगी अनुमति
उन्होंने जनता दरबार में आवेदन देकर किडनी दान करने की अनुमति मांगी है. जिससे कि बच्चे की जान बचाई जा सके. घर के सदस्य का ब्लड ग्रुप नहीं मिलने के कारण किडनी दान नहीं कर पा रहा है.
सरकार वहन करती है खर्च
बता दें कि बिहार में इंदिरा गांधी आयुर्वेदिक संस्थान, पारस अस्पताल और रूबन मेमोरियल अस्पताल को किडनी ट्रांसप्लांट का लाइसेंस दिया गया है. इसके साथ ही राज्य सरकार ढाई लाख रुपए से कम आय वाले लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च भी देती है. योजना के तहत तीन से 4 लाख का खर्च सरकार वहन करती है.
'हर कोई अपने लिए जीवन जीता है, दूसरों के लिए जीवन जीने में मुझे आनंद आता है. मुझे अमर कुमार के बारे में अखबार और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली. जिसके बाद हमने परिवार से संपर्क किया. इस संबंध में जिलाधिकारी को आवेदन देकर मार्गदर्शन मांगा है. किडनी दान करने की अनुमति मांगी है. बस मुझे इतना समझ में नहीं आ रहा है कि आवेदन कहां पर दिया जाए. जिससे कि जल्द किडनी दान करने के लिए स्वीकृति मिले. जिससे कि बच्चे की जान बचाई जा सके. क्योंकि बच्चे की हालत गंभीर है.' -मोहम्मद सलीम, किडनी दाता
'भागलपुर में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है. लेकिन जो व्यक्ति किडनी दान करना चाहता है और जिसे दान करना चाह रहा है. उससे पहले जिसकी किडनी खराब है, उसकी रिपोर्ट जमा करानी होगी. उसके बाद किडनी दाता की जांच पड़ताल की जाएगी. रिपोर्ट बनाकर यहां से एंबुलेंस की सुविधा प्रदान करते हुए पटना इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल भेज दिया जाएगा. वहां किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया जटिल जरूर है, लेकिन नियम के अनुसार ट्रांसप्लांट संभव है.' -डॉ. उमेश शर्मा, सिविल सर्जन, भागलपुर
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बच्चे के पिता ने भी दिया आवेदन
इस संबंध में जितेंद्र कुमार चौरसिया ने भी जिलाधिकारी को आवेदन दिया है. बताया है कि सनहौला के मोहम्मद सलीम स्वेच्छा से अपनी एक किडनी दान करने के लिए तैयार हैं. इसके लिए राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक है. ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन अधिनियम (टीएचओ) के अनुसार डोनर जो रक्त संबंधित ना हो और स्वेच्छा से बिना किसी लोभ के अपना अंग दान करना चाहता हो तो वह कर सकता है.
जितेंद्र चौरसिया ने आग्रह किया है कि उक्त प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए इस संबंध में अनुमति प्रदान करते हुए मार्गदर्शन भी किया जाए. जिससे कि पुत्र की जिंदगी बचाई जा सके.
यह नियम जानें
बिहार सरकार के नियम के अनुसार किसी मरीज को किडनी देने के लिए दाता का रक्त संबंधी होना जरूरी नहीं है. मरीज से भावनात्मक लगाव रखने वाला व्यक्ति भी किडनी दान कर सकता है.
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