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विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए जमीन का जल्द होगा अधिग्रहण, 6 साल पहले PM ने की थी स्थापना की घोषणा - साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी

भागलपुर में विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय का सपना साकार होता दिख रहा है. विश्वविद्यालय स्थापना की उम्मीद जग गई है. अब जल्द ही भू-अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Sep 13, 2021, 7:15 AM IST

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के कहलगांव में स्थित विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय (Vikramshila Central University) स्थापना की उम्मीद जग गई है. बीते दिनों भारत सरकार की ओर से गठित टीम ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर बिहार सरकार द्वारा भेजे गए तीन भूखंडों का निरीक्षण (Inspection Of Plots) किया था. जिसके बाद टीम ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. उसमें से एक भूखंडों का चयन कर लिया गया है. अब जल्द ही भू-अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

इसे भी पढ़ें: विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय अब भी सपना, 6 साल पहले पीएम मोदी ने की थी स्थापना की घोषणा

गौरतलब हो कि बीते 8 अप्रैल को केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी (South Bihar Central University) के वीसी प्रोफेसर हरिश्चंद्र सिंह राठौर के नेतृत्व में बिहार सरकार के माध्यम से भेजे गए तीन भूखंडों का जायजा लिया था. राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन कहलगांव प्रखंड के अंतीचक मौजा, परशुरामचक मौजा और किशनदासपुर मौजा में 200-200 एकड़ भूखंड का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की जमीन को लेकर चल रही है तैयारी, सूटेबिलिटी रिपोर्ट का इंतजार

जिसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट के आधार पर टीम ने निरीक्षण किया था. निरीक्षण का रिपोर्ट सौंपने के बाद एक भूखंड का चयन केंद्र सरकार के माध्यम से कर लिया गया है. केंद्रीय टीम ने परशुरामचक की जमीन को उपयुक्त जमीन माना है. यह जमीन बाढ़ प्रभावित नहीं है और रेलवे स्टेशन से कम दूरी पर है. साथ ही विक्रमशिला खुदाई स्थल के करीब भी है.

'बीते दिनों गया केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति अपनी जांच रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी थी. अब एक भूखंड का चयन भी कर लिया गया है. इससे संबंधित पत्र भी जिला प्रशासन को मिल गया है. अब राशि मिलने के बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.' -सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी

गौरतलब हो कि विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा 6 साल पहले हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में ही केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी. इसके बाद से केवल जमीन के प्रस्ताव पर ही मामला अटका रहा है. केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय के नाम पर 500 करोड़ का बजट में प्रावधान भी किया है.

बता दें कि भागलपुर में ऐतिहासिक विक्रमशिला विश्वविद्यालय की जमीन पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Vikramshila Central University) का सपना सभी देख रहे हैं. करीब 6 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान किया था. हालांकि, उसके बाद से अभी तक ये मूर्त रूप नहीं ले सका है, जबकि केंद्र सरकार ने इसके लिए 500 करोड़ रुपये भी आवंटित किए थे.

बताते चलें कि आठवीं शताब्दी में विक्रमशिला विश्वविद्यालय का स्थापना पाल वंश के शासक धर्मपाल द्वारा किया गया था. यह विश्वविद्यालय भागलपुर शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर है. इस विश्वविद्यालय को नालंदा के समकक्ष माना जाता है.

यहां से तिब्बत के राजा के अनुरोध पर दीपांकर अतिश तिब्बत गए और उन्होंने तिब्बत से बौद्ध भिक्षुओं को चीन, जापान, मलेशिया, थाईलैंड से लेकर अफगानिस्तान तक भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया. मध्यकालीन भारतीय इतिहास में विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान था. यहां पर बौद्ध धर्म एवं दर्शन के अतिरिक्त न्याय, तत्व ज्ञान एवं व्याकरण का अध्ययन कराया जाता था.

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के कहलगांव में स्थित विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय (Vikramshila Central University) स्थापना की उम्मीद जग गई है. बीते दिनों भारत सरकार की ओर से गठित टीम ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर बिहार सरकार द्वारा भेजे गए तीन भूखंडों का निरीक्षण (Inspection Of Plots) किया था. जिसके बाद टीम ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. उसमें से एक भूखंडों का चयन कर लिया गया है. अब जल्द ही भू-अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

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गौरतलब हो कि बीते 8 अप्रैल को केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी (South Bihar Central University) के वीसी प्रोफेसर हरिश्चंद्र सिंह राठौर के नेतृत्व में बिहार सरकार के माध्यम से भेजे गए तीन भूखंडों का जायजा लिया था. राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन कहलगांव प्रखंड के अंतीचक मौजा, परशुरामचक मौजा और किशनदासपुर मौजा में 200-200 एकड़ भूखंड का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था.

देखें रिपोर्ट.

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जिसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट के आधार पर टीम ने निरीक्षण किया था. निरीक्षण का रिपोर्ट सौंपने के बाद एक भूखंड का चयन केंद्र सरकार के माध्यम से कर लिया गया है. केंद्रीय टीम ने परशुरामचक की जमीन को उपयुक्त जमीन माना है. यह जमीन बाढ़ प्रभावित नहीं है और रेलवे स्टेशन से कम दूरी पर है. साथ ही विक्रमशिला खुदाई स्थल के करीब भी है.

'बीते दिनों गया केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति अपनी जांच रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी थी. अब एक भूखंड का चयन भी कर लिया गया है. इससे संबंधित पत्र भी जिला प्रशासन को मिल गया है. अब राशि मिलने के बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.' -सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी

गौरतलब हो कि विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा 6 साल पहले हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में ही केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी. इसके बाद से केवल जमीन के प्रस्ताव पर ही मामला अटका रहा है. केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय के नाम पर 500 करोड़ का बजट में प्रावधान भी किया है.

बता दें कि भागलपुर में ऐतिहासिक विक्रमशिला विश्वविद्यालय की जमीन पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Vikramshila Central University) का सपना सभी देख रहे हैं. करीब 6 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान किया था. हालांकि, उसके बाद से अभी तक ये मूर्त रूप नहीं ले सका है, जबकि केंद्र सरकार ने इसके लिए 500 करोड़ रुपये भी आवंटित किए थे.

बताते चलें कि आठवीं शताब्दी में विक्रमशिला विश्वविद्यालय का स्थापना पाल वंश के शासक धर्मपाल द्वारा किया गया था. यह विश्वविद्यालय भागलपुर शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर है. इस विश्वविद्यालय को नालंदा के समकक्ष माना जाता है.

यहां से तिब्बत के राजा के अनुरोध पर दीपांकर अतिश तिब्बत गए और उन्होंने तिब्बत से बौद्ध भिक्षुओं को चीन, जापान, मलेशिया, थाईलैंड से लेकर अफगानिस्तान तक भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया. मध्यकालीन भारतीय इतिहास में विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान था. यहां पर बौद्ध धर्म एवं दर्शन के अतिरिक्त न्याय, तत्व ज्ञान एवं व्याकरण का अध्ययन कराया जाता था.

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