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भागलपुर में सजा कतरनी चूड़ा का बाजार, विदेशों में भी है मांग

भागलपुर के कतरनी चूड़ा की मांग देश-विदेश में भी है. दरअसल, यहां पर कतरनी धान की पैदावार अधिक होती है. इस धान की खूशबू ऐसी है कि लोगों को अपनी ओर खींच ही लेती है.

विदेशों में है कतरनी चूड़ा की डिमांड
विदेशों में है कतरनी चूड़ा की डिमांड
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Published : Jan 2, 2021, 2:11 PM IST

भागलपुरः जिले में पानी की उपलब्धता के कारण धान की खेती यहां की मुख्य फसल में शामिल है. यहां कई किस्म के धान उगाए जाते हैं. जिसमें से एक कतरनी धान है. कतरनी धान से बने चावल और चूड़ा की मांग देश ही नहीं विदेशों में भी है. यही वजह है कि मकर संक्रांति आने में अभी वक्त है लेकिन अभी से ही रेशम नगरी के मुख्य बाजार में विभिन्न किस्म के कतरनी चूड़ा की बिक्री तेज हो गई है.

ऑनलाइन लिया जा रहा चूड़ा का ऑर्डर
कतरनी चूड़ा की खासियत है कि इसकी खुशबू बाजार में आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेती है. इसकी खुशबू से बाजार गमक उठता है. बाजार में आए लोग अपने लिए चूड़ा की खरीदारी तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ दूरदराज रहने वाले नातेदारों-रिश्तेदारों को भी भेज रहे हैं. यहां के कतरनी चूड़ा की डिमांड देश के अलावा विदेशों में भी है. जिसके लिए ऑनलाइन चूड़ा का ऑर्डर भी लिया जा रहा है.

देखें रिपोर्ट

नामी-गिरामी हस्तियों को भेजा जाता है चूड़ा और चावल

बता दें कि भागलपुर के जगदीशपुर प्रखंड में कतरनी धान की उपज अधिक होती है. यहां के चावल और चूड़ा को जिला प्रशासन मकर संक्रांति के पूर्व प्रत्येक वर्ष मुख्यमंत्री, राज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक को उपहार स्वरूप भेजा जाता है. भागलपुर के बाजार में कतरनी, देसला, कतरनी धोरैया, सबौर कतरनी, बीआर कतरनी, तुलसी मंजरी, कतरनी भोग कामिनी सहित कई किस्म का चूड़ा बेचा जा रहा है. जिसकी कीमत 60 से लेकर 110 रूपये तक है.

''इस चूड़ा को हम जगदीशपुर प्रखंड से लाकर यहां बेचते हैं. यह काफी स्वादिष्ट होता है. बाजार में मकर संक्रांति के मौके पर अधिक मांग होती है. यही वजह है कि अभी कतरनी चूड़ा की बिक्री बढ़ गई है. पहले जहां हम चूड़ा बेच रहे हैं इस गली का नाम कचौड़ी गली था. लेकिन बीते 5 सालों से इस गली का नाम बदलकर अब कतरनी गली हो गया. चूंकि यहां कतरनी धान से बना चूड़ा, चावल और मूढी मिलता है''.- कुंदन विश्वास, दुकानदार

मकर सक्रांति में बढ़ जाती है मांग
इस बाजार में साल भर कतरनी धान से बना चूड़ा और चावल मिलता है. लेकिन मकर सक्रांति के मौके पर मांग बढ़ जाती है. इसकी बिक्री अन्य मौसम के अपेक्षा 10 गुना तक बढ़ जाती है. यहां से लोग कतरनी चूड़ा खरीद कर अपने रिश्तेदारों को भी भेजते हैं. इसकी मांग विदेशों में भी है.

''कतरनी चूड़ा खुशबूदार ,मुलायम, स्वादिष्ट और सुपाच्य होता है. मकर संक्रांति के मौके पर इसकी अधिक डिमांड होती है. भागलपुर के अलावा अन्य राज्यों में इसे भेजा जाता है. विदेश में मांग होने से इसकी आपूर्ति विदेशों में की जाती है''.-पिंटू गुप्ता, दुकानदार

भागलपुरः जिले में पानी की उपलब्धता के कारण धान की खेती यहां की मुख्य फसल में शामिल है. यहां कई किस्म के धान उगाए जाते हैं. जिसमें से एक कतरनी धान है. कतरनी धान से बने चावल और चूड़ा की मांग देश ही नहीं विदेशों में भी है. यही वजह है कि मकर संक्रांति आने में अभी वक्त है लेकिन अभी से ही रेशम नगरी के मुख्य बाजार में विभिन्न किस्म के कतरनी चूड़ा की बिक्री तेज हो गई है.

ऑनलाइन लिया जा रहा चूड़ा का ऑर्डर
कतरनी चूड़ा की खासियत है कि इसकी खुशबू बाजार में आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेती है. इसकी खुशबू से बाजार गमक उठता है. बाजार में आए लोग अपने लिए चूड़ा की खरीदारी तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ दूरदराज रहने वाले नातेदारों-रिश्तेदारों को भी भेज रहे हैं. यहां के कतरनी चूड़ा की डिमांड देश के अलावा विदेशों में भी है. जिसके लिए ऑनलाइन चूड़ा का ऑर्डर भी लिया जा रहा है.

देखें रिपोर्ट

नामी-गिरामी हस्तियों को भेजा जाता है चूड़ा और चावल

बता दें कि भागलपुर के जगदीशपुर प्रखंड में कतरनी धान की उपज अधिक होती है. यहां के चावल और चूड़ा को जिला प्रशासन मकर संक्रांति के पूर्व प्रत्येक वर्ष मुख्यमंत्री, राज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक को उपहार स्वरूप भेजा जाता है. भागलपुर के बाजार में कतरनी, देसला, कतरनी धोरैया, सबौर कतरनी, बीआर कतरनी, तुलसी मंजरी, कतरनी भोग कामिनी सहित कई किस्म का चूड़ा बेचा जा रहा है. जिसकी कीमत 60 से लेकर 110 रूपये तक है.

''इस चूड़ा को हम जगदीशपुर प्रखंड से लाकर यहां बेचते हैं. यह काफी स्वादिष्ट होता है. बाजार में मकर संक्रांति के मौके पर अधिक मांग होती है. यही वजह है कि अभी कतरनी चूड़ा की बिक्री बढ़ गई है. पहले जहां हम चूड़ा बेच रहे हैं इस गली का नाम कचौड़ी गली था. लेकिन बीते 5 सालों से इस गली का नाम बदलकर अब कतरनी गली हो गया. चूंकि यहां कतरनी धान से बना चूड़ा, चावल और मूढी मिलता है''.- कुंदन विश्वास, दुकानदार

मकर सक्रांति में बढ़ जाती है मांग
इस बाजार में साल भर कतरनी धान से बना चूड़ा और चावल मिलता है. लेकिन मकर सक्रांति के मौके पर मांग बढ़ जाती है. इसकी बिक्री अन्य मौसम के अपेक्षा 10 गुना तक बढ़ जाती है. यहां से लोग कतरनी चूड़ा खरीद कर अपने रिश्तेदारों को भी भेजते हैं. इसकी मांग विदेशों में भी है.

''कतरनी चूड़ा खुशबूदार ,मुलायम, स्वादिष्ट और सुपाच्य होता है. मकर संक्रांति के मौके पर इसकी अधिक डिमांड होती है. भागलपुर के अलावा अन्य राज्यों में इसे भेजा जाता है. विदेश में मांग होने से इसकी आपूर्ति विदेशों में की जाती है''.-पिंटू गुप्ता, दुकानदार

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