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जहां चपरासी थे, वहीं बने सहायक प्रोफेसर.. मिलिए भागलपुर के कमल किशोर मंडल से

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Published : Oct 13, 2022, 9:37 AM IST

Updated : Oct 13, 2022, 1:06 PM IST

बिहार के भागलपुर तिलकामांझी विश्वविद्यालय (Bhagalpur Tilkamanji University) के एक युवक ने मिसाल कायम की है. टीएमबीयू के अम्बेडकर विचार विभाग में चपरासी और देर रात पहरेदारी का काम करने वाले कर्मचारी कमल किशोर मंडल का असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन हुआ है.

जहां चपरासी थे वहीं बने सहायक प्रोफेसर
जहां चपरासी थे वहीं बने सहायक प्रोफेसर

भागलपुरः लोग अक्सर अपनी नाकामयाबी की वजह किस्मत या खुद को बताते हैं. किस्मत और बुरी परिस्थिति से गुजरने के बाद भी लोगों के बीच अपनी पहचान बना लेना ही सच्ची सफलता है. ऐसा ही एक उदाहरण बनकर आज सामने आए हैं बिहार के भागलपुर जिले के कमल किशोर मंडल (Success Story Of Kamal Kishor Mandal). भागलपुर में तिलकामांझी विश्वविद्यालय के अम्बेडकर विचार विभाग में चपरासी और देर रात पहरेदारी का काम करने वाले कर्मचारी कमल किशोर मंडल का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर (Bhagalpur Man Appointed Assistant Professor) के पद पर हुआ हैं. हांलाकि इस पद पर अभी इनकी ज्वाइनिंग नहीं हुई है.

ये भी पढ़ेंः भागलपुर: तिलकामांझी विश्वविद्यालय में नियमित हुआ सत्र, कुलपति और रजिस्टार खुद कर रहे हैं मॉनिटरिंग

जहां चपरासी थे वहीं बने सहायक प्रोफेसर: भागलपुर कस्बे के मुंडीचक इलाके के रहने वाले 42 वर्षीय कमल किशोर मंडल को 23 साल की उम्र में 2003 में मुंगेर के आरडी एंड डीजे कॉलेज में नाइट गार्ड के रूप में नौकरी मिली. तब वह राजनीति विज्ञान से स्नातक थे, गार्ड की नौकरी कर ली क्योंकि उन्हें पैसों की सख्त जरूरत थी. किशोर मंडल की जिंदगी में टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब उन्हें ड्यूटी में शामिल होने के एक महीने बाद तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के अंबेडकर विचार और सामाजिक कार्य विभाग (स्नातकोत्तर) में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया. 2008 में उनका पद बदलकर चपरासी कर दिया गया.

राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) भी किया पासः अंबेडकर विचार और सामाजिक कार्य विभाग में आने के बाद उनकी मुलाकात विभाग के छात्रों और शिक्षकों से हुई. छात्रों को देख उनके मन भी आगे पढ़ाई की जिज्ञासा बढ़ने लगी. फिर उन्होंने पीजी किया. उन्होंने 2013 में पीएचडी के लिए खुद को नामांकित किया और 2017 में थीसिस जमा की. उन्हें 2019 में पीएचडी की डिग्री से सम्मानित किया गया. इस बीच उन्होंने व्याख्यान के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) भी पास की और रिक्तियों की तलाश जारी रखी.

"2009 में पीएचडी करने की अनुमति मांगी लेकिन विभाग ने तीन साल बाद 2012 में अपनी सहमति दे दी. मैंने कभी भी अपने अध्ययन के रास्ते में गरीबी और पारिवारिक समस्याओं को नहीं आने दिया. मैंने सुबह कक्षाओं में भाग लिया और दोपहर में ड्यूटी की. रात के समय में क्लास में किए गए अध्ययन को दोहराता था" - कमल किशोर मंडल

ऐसे हुए प्रोफेसर के पद पर चयन: 2020 में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (बीएसयूएससी) ने टीएमबीयू में संबंधित विभाग में सहायक प्रोफेसर के चार पदों के लिए रिक्तियों का विज्ञापन निकला. बारह उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था, उनके चयन का परिणाम 19 मई, 2022 को घोषित किया गया था. हालांकि सहायक प्रोफेसर पद पर अभी इनकी ज्वाइनिंग नहीं हुई है, कुछ टेक्निकल कारणों की वजह से जांच चल रही है. कमल किशोर मंडल ने अपनी सफलता को अपने विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों को समर्पित किया है, जिन्होंने उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. किशोर मंडल के पिता गोपाल मंडल अभी भी अपने परिवार को चलाने के लिए सड़क किनारे एक स्टॉल पर चाय बेचते हैं.

"मेरे साथ चार लोगों कि न्युक्ति हुई, हमको रोक दिया गया तीन लोगों की ज्वाइनिंग हो गई, मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे किस वजह से रोका गया. फिर मैने सेक्शन 'ए' से पता किया कि तो पता चला कि अभी मुझे हटाया नहीं गया है, कमिटी बैठी है, जांच चल रही हैं, उसके बाद आप पर निर्णय लिया जाएगा. ये आश्वासन मिला कि हो जाएगा आप वेट किजीए. तब से मैं वेट एंड वॉच की स्थिति में हूं".

कमल किशोर मंडल ने मिसाल कायम की: वहीं, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के प्रोफेसर रमेश कुमार ने कमल को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि कमल किशोर मंडल के इस मेहनत ने मिसाल कायम की है. उनसे सीखने की जरूरत है कि कैसे कमजोर आर्थिक स्थिति के बाद भी अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं भटकता है और लक्ष्य को पाया जा सकता है.

''टीएमबीयू के लिए यह गर्व की बात है कि रात में पहरेदारी और चपरासी के रूप में काम कर रहा शख्स प्रोफेसर बना है. वाकई रात में ड्यूटी को पूरा करते हुए पढ़ाई, पीएचडी करना, बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के योग्य बनना, यह अपने आप में एक मिसाल है और गर्व की बात है.'' - प्रोफेसर रमेश कुमार, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय

भागलपुरः लोग अक्सर अपनी नाकामयाबी की वजह किस्मत या खुद को बताते हैं. किस्मत और बुरी परिस्थिति से गुजरने के बाद भी लोगों के बीच अपनी पहचान बना लेना ही सच्ची सफलता है. ऐसा ही एक उदाहरण बनकर आज सामने आए हैं बिहार के भागलपुर जिले के कमल किशोर मंडल (Success Story Of Kamal Kishor Mandal). भागलपुर में तिलकामांझी विश्वविद्यालय के अम्बेडकर विचार विभाग में चपरासी और देर रात पहरेदारी का काम करने वाले कर्मचारी कमल किशोर मंडल का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर (Bhagalpur Man Appointed Assistant Professor) के पद पर हुआ हैं. हांलाकि इस पद पर अभी इनकी ज्वाइनिंग नहीं हुई है.

ये भी पढ़ेंः भागलपुर: तिलकामांझी विश्वविद्यालय में नियमित हुआ सत्र, कुलपति और रजिस्टार खुद कर रहे हैं मॉनिटरिंग

जहां चपरासी थे वहीं बने सहायक प्रोफेसर: भागलपुर कस्बे के मुंडीचक इलाके के रहने वाले 42 वर्षीय कमल किशोर मंडल को 23 साल की उम्र में 2003 में मुंगेर के आरडी एंड डीजे कॉलेज में नाइट गार्ड के रूप में नौकरी मिली. तब वह राजनीति विज्ञान से स्नातक थे, गार्ड की नौकरी कर ली क्योंकि उन्हें पैसों की सख्त जरूरत थी. किशोर मंडल की जिंदगी में टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब उन्हें ड्यूटी में शामिल होने के एक महीने बाद तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के अंबेडकर विचार और सामाजिक कार्य विभाग (स्नातकोत्तर) में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया. 2008 में उनका पद बदलकर चपरासी कर दिया गया.

राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) भी किया पासः अंबेडकर विचार और सामाजिक कार्य विभाग में आने के बाद उनकी मुलाकात विभाग के छात्रों और शिक्षकों से हुई. छात्रों को देख उनके मन भी आगे पढ़ाई की जिज्ञासा बढ़ने लगी. फिर उन्होंने पीजी किया. उन्होंने 2013 में पीएचडी के लिए खुद को नामांकित किया और 2017 में थीसिस जमा की. उन्हें 2019 में पीएचडी की डिग्री से सम्मानित किया गया. इस बीच उन्होंने व्याख्यान के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) भी पास की और रिक्तियों की तलाश जारी रखी.

"2009 में पीएचडी करने की अनुमति मांगी लेकिन विभाग ने तीन साल बाद 2012 में अपनी सहमति दे दी. मैंने कभी भी अपने अध्ययन के रास्ते में गरीबी और पारिवारिक समस्याओं को नहीं आने दिया. मैंने सुबह कक्षाओं में भाग लिया और दोपहर में ड्यूटी की. रात के समय में क्लास में किए गए अध्ययन को दोहराता था" - कमल किशोर मंडल

ऐसे हुए प्रोफेसर के पद पर चयन: 2020 में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (बीएसयूएससी) ने टीएमबीयू में संबंधित विभाग में सहायक प्रोफेसर के चार पदों के लिए रिक्तियों का विज्ञापन निकला. बारह उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था, उनके चयन का परिणाम 19 मई, 2022 को घोषित किया गया था. हालांकि सहायक प्रोफेसर पद पर अभी इनकी ज्वाइनिंग नहीं हुई है, कुछ टेक्निकल कारणों की वजह से जांच चल रही है. कमल किशोर मंडल ने अपनी सफलता को अपने विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों को समर्पित किया है, जिन्होंने उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. किशोर मंडल के पिता गोपाल मंडल अभी भी अपने परिवार को चलाने के लिए सड़क किनारे एक स्टॉल पर चाय बेचते हैं.

"मेरे साथ चार लोगों कि न्युक्ति हुई, हमको रोक दिया गया तीन लोगों की ज्वाइनिंग हो गई, मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे किस वजह से रोका गया. फिर मैने सेक्शन 'ए' से पता किया कि तो पता चला कि अभी मुझे हटाया नहीं गया है, कमिटी बैठी है, जांच चल रही हैं, उसके बाद आप पर निर्णय लिया जाएगा. ये आश्वासन मिला कि हो जाएगा आप वेट किजीए. तब से मैं वेट एंड वॉच की स्थिति में हूं".

कमल किशोर मंडल ने मिसाल कायम की: वहीं, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के प्रोफेसर रमेश कुमार ने कमल को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि कमल किशोर मंडल के इस मेहनत ने मिसाल कायम की है. उनसे सीखने की जरूरत है कि कैसे कमजोर आर्थिक स्थिति के बाद भी अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं भटकता है और लक्ष्य को पाया जा सकता है.

''टीएमबीयू के लिए यह गर्व की बात है कि रात में पहरेदारी और चपरासी के रूप में काम कर रहा शख्स प्रोफेसर बना है. वाकई रात में ड्यूटी को पूरा करते हुए पढ़ाई, पीएचडी करना, बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के योग्य बनना, यह अपने आप में एक मिसाल है और गर्व की बात है.'' - प्रोफेसर रमेश कुमार, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय

Last Updated : Oct 13, 2022, 1:06 PM IST
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