भागलपुर: बिहार के भागलपुर जिले में बाढ़ ने (Flood In Bhagalpur) तबाही मचा रखी है. गंगा और कोसी नदी में पिछले एक महीने से आई बाढ़ के कारण जिला प्रशासन की ओर से कई राहत शिविर चलाए जा रहे थे. वहीं, अब गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में कमी होते ही राहत शिविर बंद कर दिया गया है. जिससे बाढ़ पीड़ितों को खाने, रहने जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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जिले के नाथनगर प्रखंड के दिलदारपुर बिंद टोली के सैकड़ों बाढ़ पीड़ित (Flood Victim) अपने घर वापस जाने को अभी तैयार ही नहीं हैं. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि उनके घरों में अब भी 2 से 3 फीट तक पानी भरा हुआ है. जिन घरों से बाढ़ का पानी निकल भी गया है, उन घरों से बदबू आ रही है.
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे हालात में गांव लौटने का मतलब कई बीमारियों को दावत देना है. वहां पशु चारा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में वहां रहना बेहद मुश्किल है. जिला प्रशासन के माध्यम से शिविर में मिलने वाली सभी सेवाएं भी बंद कर दी गई है. ऐसे में बाढ़ पीड़ितों के सामने खाने-पीने की समस्या आ गई है.
भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से 33.68 मीटर से 60 सेंटीमीटर नीचे आ गई है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बीते 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में 20 सेंटीमीटर की कमी आई है. लेकिन अगले 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में कमी की रफ्तार धीमी होगी. वहीं, महज 8 सेंटीमीटर की कमी होने का अनुमान लगाया जा रहा है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर 33.30 मीटर तक पहुंच गया है.
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'मेरे घर का सारा अनाज और जलावन डूब गया है. जो भी खाने-पीने का सामान था बाढ़ के पानी में बह गया है. अगर बाल-बच्चों को लेकर जाएंगे, तो क्या खिलाएंगे? हम लोग अभी घर जाने लायक नहीं हैं. यहीं भीख मांग कर खाएंगे. पानी भरे रहने के कारण सांप, बिच्छू का खतरा भी बना रहता है. पानी काफी बदबू कर रहा है. यदि सरकार हम लोगों को खिला नहीं सकती है, तो खाने में जहर मिलाकर एक ही बार में मार दें.' -बीना देवी, बाढ़ पीड़ित
'हमलोगों से अपने-अपने गांव और घर लौटने को कहा जा रहा है. प्रशासन के माध्यम से लाइट भी खोल जा रहा था लेकिन हम लोगों ने मना कर दिया. हम सभी लोग इस महीने तक यही रुकेंगे. चाहे सरकार खाना-पीना दें या न दें मदद करें या न करें.' -पप्पू कुमार, बाढ़ पीड़ित
इस समस्या को लेकर जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि भागलपुर में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से आधे मीटर नीचे बह रहा है. जिले में अब बाढ़ जैसे हालात नहीं है. उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण कुछ इलाकों में जलजमाव की स्थिति 1 से 2 महीने तक रहेगी. वैसे इलाकों में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.
जिलाधिकारी ने कहा कि अब राहत शिविर नहीं चलाया जा सकता है. जितने दिनों तक राहत शिविर चलाना था, चला दिया गया. अब बाढ़ पीड़ित परिवार को जीआर की राशि दी जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब राहत शिविर को इसलिए भी नहीं चलाया जा सकता है कि पंचायत चुनाव के कारण आचार संहिता लग गया है. अधिकारियों को चुनाव के कार्यों में भी लगाया जाना है.
बता दें कि जिले के दियारा क्षेत्र में अभी भी कई जगह बाढ़ का पानी लबालब भरा हुआ है. जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है. उन्हें अभी भी नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. कई जगहों पर कमर तक पानी भरा हुआ है. लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं. पीरपैंती बाजार से अठनिया बाखरपुर आदि दियारा क्षेत्र जाने वाले मार्ग पर लंगड़ा धार के समीप पानी की तेज धार बहने से लोग नाव से आवागमन कर रहे हैं.
वहीं अकबरनगर में बाढ़ के कारण कई इलाकों में अभी भी जलजमाव है. अकबरनगर सहित अन्य पंचायतों की स्थिति काफी दयनीय है. यहां 90 फीसदी इलाका पूरी तरह से पानी में डूब चुका था. अभी भी जगह-जगह 4 फीट तक पानी जमा है. जिससे डेंगू, मलेरिया सहित अन्य जानलेवा बीमारियां होने की संभावना बनी हुई है.