भागलपुरः जिले में सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव के तीन पहाड़ी तक बह रही गंगा नदी को डॉल्फिन के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है. इसका नाम विक्रमशिला कैनेटिक डॉल्फिन सेंचुरी है. इस क्षेत्र में डॉल्फिन की संख्या बढ़ी है लेकिन फिर भी यह विलुप्त होने की कगार पर है. जिसका कारण गंगा का दूषित पानी है.
नाले के पानी से दूषित हो रही गंगा
वन प्रमंडल अधिकारी एस सुधाकर ने कहा कि भागलपुर में गंगा के पानी को डॉल्फिन के लिए खतरनाक घोषित किया गया है. पानी में प्लास्टिक, कचड़ा और नाले का पानी आने की वजह से यह डॉल्फिन के लिए खतरनाक हो रही है.
कम हो रही छोटी मछलियों की संख्या
एस सुधाकर ने कहा कि उन्होंने कहा कि डॉल्फिन छोटी-छोटी मछलियों को खाती है. डॉल्फिन के सेंचुरियन एरिया में मछली मारना सख्त मना है. फिर भी मछुआरे छोटी मछलियों को जाल में फंसा कर मार देते हैं. जिससे उनकी संख्या कम हो रही है.
चलाया जा रहा जागरूकता अभियान
वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि हम लोगों ने गंगा के पानी को दूषित होने से बचाने और डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया है. नाले के पानी को कंट्रोल करने के लिए भी काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर हैबिटेट इंप्रूवमेंट के लिए काम किया जा रहा है.