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नहीं थमा कटाव तो गंगा में समा जाएगा सबौर इंजीनियरिंग कॉलेज, भागलपुर प्रशासन अलर्ट - भागलपुर में गंगा की बाढ़

सबौर इंजीनियरिंग कॉलेज पर कटाव का खतरा मंडरा रहा है. गंगा का पानी कॉलेज की इमारत के पीछे तक पहुंच गया है. ऐसे में प्रशासन ने जरा भी चूक की तो गंगा के घटते ही कॉलेज का भवन कटान का शिकार हो जाएगा. पढ़ें पूरी खबर-

गंगा से कटाव
भागलपुर में सबौर इंजीनियरिंग कॉलेज
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Published : Aug 9, 2021, 5:03 PM IST

भागलपुर: बिहार के भागलपुर में गंगा (Flood in Bhagalpur) ने रौद्र रूप अख्तियार कर लिया है. गंगा (Ganga) की प्रचंड धारा के आगे कटाव से लोगों की संपत्ति को बचाना प्रशासान के लिए चुनौती बन गया है. गंगा की तेज धारा से होने वाले कटाव का खतरा अब सबौर स्थित इंजीनियरिंग ( Sabour Engineering College) कॉलेज पर मंडरा रहा है.

ये भी पढ़ें- अजगैविनाथ गंगा तट पर श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

बीते कुछ दिन पहले ही सीएम नीतीश ने हवाई सर्वेक्षण कर इंजीनियरिंग कॉलेज को कटाव से बचाने का निर्देश दिया था. गंगा की धारा इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे तक पहुंच गई है. जबकि अभी भी गंगा में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. जब पानी घटेगा तो कटाव का खतरा बढ़ेगा.

देखें रिपोर्ट.

कटाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने सारी कवायद कर रखी है. लेकिन गंगा के प्रचंड वेग के आगे सारे उपाय फेल साबित हो रहे हैं. कई जगहों पर बोल्डर पीचिंग और जिओ बैग नदी किनारे प्रशासन ने लगवाए थे. लेकिन सभी कवायद गंगा में समा चुके हैं.

सीएम के निर्देश के बाद जिलाधिकारी भागलपुर भी सबौर इंजीनियरिंग कॉलेज का निरीक्षण कर चुके हैं. कॉलेज पर कटाव के खतरे को देखते हुए बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से इंजीनियरिंग कॉलेज से जियाउद्दीन चौक तक बोल्डर पीचिंग कराने का निर्देश दिया है.

गंगा में कटाव को रोकने के लिए बाढ़ और नियंत्रण विभाग की ओर से पहले ही लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं. फिर भी खतरा टला नहीं है. इस बार गंगा में आए उफान ने प्रशासन के साथ यहां पढ़ने वाले बच्चों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है.

बता दें कि, 2015 में गंगा का जल स्तर बढ़ने के कारण इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे कटाव शुरू हुआ था. जहां पर 0 से 950 मीटर तक करीब 11 लाख की राशि से कटाव निरोधी कार्य हुआ था. बाढ़ आते ही वह सभी पानी में समा गये. 2016 में इंजीनियरिंग कॉलेज के पश्चिमी छोर 0 पॉइंट से जियाउद्दीनपुर चौका गांव के पूर्वी छोर तक 1080 मीटर तक कटाव रोकने के लिए फ्लड फाइटिंग के नाम पर प्रतिदिन 3 लाख से अधिक खर्च हुआ. सैकड़ों मजदूरों के माध्यम से कटाव स्थल की पाइपिंग के लिए बालू मिट्टी से भरे बोरे जैसे तैसे डाले गए, फिर भी कटाव को रोका नहीं जा सका.

ये भी पढ़ें- उफान पर गंगा: पटना में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा, घाटों की नहीं हो रही निगरानी

भागलपुर: बिहार के भागलपुर में गंगा (Flood in Bhagalpur) ने रौद्र रूप अख्तियार कर लिया है. गंगा (Ganga) की प्रचंड धारा के आगे कटाव से लोगों की संपत्ति को बचाना प्रशासान के लिए चुनौती बन गया है. गंगा की तेज धारा से होने वाले कटाव का खतरा अब सबौर स्थित इंजीनियरिंग ( Sabour Engineering College) कॉलेज पर मंडरा रहा है.

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बीते कुछ दिन पहले ही सीएम नीतीश ने हवाई सर्वेक्षण कर इंजीनियरिंग कॉलेज को कटाव से बचाने का निर्देश दिया था. गंगा की धारा इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे तक पहुंच गई है. जबकि अभी भी गंगा में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. जब पानी घटेगा तो कटाव का खतरा बढ़ेगा.

देखें रिपोर्ट.

कटाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने सारी कवायद कर रखी है. लेकिन गंगा के प्रचंड वेग के आगे सारे उपाय फेल साबित हो रहे हैं. कई जगहों पर बोल्डर पीचिंग और जिओ बैग नदी किनारे प्रशासन ने लगवाए थे. लेकिन सभी कवायद गंगा में समा चुके हैं.

सीएम के निर्देश के बाद जिलाधिकारी भागलपुर भी सबौर इंजीनियरिंग कॉलेज का निरीक्षण कर चुके हैं. कॉलेज पर कटाव के खतरे को देखते हुए बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से इंजीनियरिंग कॉलेज से जियाउद्दीन चौक तक बोल्डर पीचिंग कराने का निर्देश दिया है.

गंगा में कटाव को रोकने के लिए बाढ़ और नियंत्रण विभाग की ओर से पहले ही लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं. फिर भी खतरा टला नहीं है. इस बार गंगा में आए उफान ने प्रशासन के साथ यहां पढ़ने वाले बच्चों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है.

बता दें कि, 2015 में गंगा का जल स्तर बढ़ने के कारण इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे कटाव शुरू हुआ था. जहां पर 0 से 950 मीटर तक करीब 11 लाख की राशि से कटाव निरोधी कार्य हुआ था. बाढ़ आते ही वह सभी पानी में समा गये. 2016 में इंजीनियरिंग कॉलेज के पश्चिमी छोर 0 पॉइंट से जियाउद्दीनपुर चौका गांव के पूर्वी छोर तक 1080 मीटर तक कटाव रोकने के लिए फ्लड फाइटिंग के नाम पर प्रतिदिन 3 लाख से अधिक खर्च हुआ. सैकड़ों मजदूरों के माध्यम से कटाव स्थल की पाइपिंग के लिए बालू मिट्टी से भरे बोरे जैसे तैसे डाले गए, फिर भी कटाव को रोका नहीं जा सका.

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