भागलपुरः नगर निगम के 51 वार्ड में जल संकट गहराता जा रहा है. वहीं, शहर में पेयजल की समस्या पर प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ 'जागो बिहार जागो' के बैनर तले रविवार को पार्षदों ने एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया. नगर निगम के पार्षद ने सांकेतिक धरना देते हुए पेयजल संकट के लिए जिला प्रशासन को दोषी ठहराया. वहीं, इस धरना प्रदर्शन में डिप्टी मेयर ने भी शिरकत की.
पार्षदों का कहना है कि हर साल गर्मी में पानी के लिए शहर में हाहाकार मचता है. लेकिन जिला प्रशासन अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकाल पाया है. पार्षदों ने कहा कि जिला प्रशासन, नगर निगम, बुडको, सीएम, नगर विकास मंत्री और बुडको के एमडी से अब तक 12 बार पत्राचार किया गया है, लेकिन जल संकट का कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
अब तक नहीं सुलझी पेयजल की समस्या
डिप्टी मेयर राजेश वर्मा ने कहा कि जागो बिहार जागो बैनर तले वार्ड के लोगों के साथ जल समस्या को लेकर धरना प्रदर्शन वार्ड संख्या 51 में किया गया. धरना के बाद एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा. समस्या का समाधान नहीं होने पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि शहर में कई जल मीनार बनकर तैयार है. वहीं, पाइप भी बिछाई गई है. जलापूर्ति के लिए बुडको को निर्देश भी दिया गया, लेकिन अब तक पेयजल आपूर्ति नहीं हो सकी. डिप्टी मेयर ने आरोप लगाया कि डेढ़ साल बाद भी बुडको ने नई एजेंसी का चयन नहीं किया है.
अधिकारियों को लिखा गया लगातार पत्र
डिप्टी मेयर का कहना है कि जागो बिहार जागो संगठन के माध्यम से शहर के हर मुद्दे को उठाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं, विभिन्न विभाग और अधिकारियों को पत्र लिख कर जानकारी दी गई. 12 जनवरी 2018 को पेन इंडिया के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखा गया. इसके बाद दूसरे अधिकारियों को पत्र लिखा गया.
- 23 दिसंबर 2019 नगर विकास मंत्री को पत्र लिखा गया.
- 23 दिसंबर 2019 को प्रबंध निदेशक बुडको को लिखा गया पत्र.
- 6 मार्च 19 को नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को लिखा गया पत्र.
- 26 मई 2020 नगर निगम भागलपुर के नगर आयुक्त को लिखा गया पत्र.
- 25 जनवरी 2020 को भागलपुर जिलाधिकारी को लिखा गया पत्र.
- 12 फरवरी 2020 को नगर विकास मंत्री को लिखा गया पत्र.
- 1 फरवरी 2018 को नगर आयुक्त नगर निगम भागलपुर को लिखा गया पत्र.
- 3 अगस्त 2019 का भवन निर्माण मंत्री सह प्रभारी मंत्री भागलपुर को लिखा गया पत्र.
वहीं, 23 दिसंबर 2019 को कार्यपालक अभियंता को पत्र लिख कर जल संकट दूर करने की मांग की गई. बावजूद इसके कार्य धरातल पर नहीं उतरा है.