भागलपुर: लॉक डाउन की वजह से सभी कारखाने बंद है. इससे कई कारखानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं, भागलपुर के रेशम उत्पाद एवं निर्यात बुनकरों की लॉक डाउन से भूखमरी की नौबत आ गई है. इस हालात को लेकर बुनकर समुदाय चिंतित और भयभीत हैं.
पूरे भागलपुर शहर में लगभग 60 हजार के करीब लोग बुनकर कारोबार से जुड़े हुए हैं. इन लोगों की स्थिति लॉक डाउन के कुछ माह पहले से ही काफी बदतर हो गई है. रेशम बुनने वाले बुनकर अब चाइनीज दुपट्टा और स्टॉल तैयार करतै हैं. दुपट्टा को तैयार करने के लिए धागे की सप्लाई चीन से ही होती है. कच्चा माल नहीं आने से दुपट्टा तैयार नहीं हो पा रहा है. चीन से कोलकाता आने के बाद धागे को भागलपुर लाया जाता था. इस चाइनीज धागों से बुनकर स्टॉल और दुपट्टा तैयार करते हैं. लेकिन इन लोगों की आर्थिक हालत अब खराब है. भागलपुर के रेशम बुनकर बिना काम के काफी मुश्किल से जिंदगी गुजार रहे हैं.
![रेशम से बना वस्त्र](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-bhp-02-lockdown-side-effect-silk-bussiness-and-sopply-on-zero-avb-7202641_04042020005337_0404f_00000_862.jpg)
'सरकार से कोई मदद नहीं'
कोरोना वायरस के वजह से पिछले 3 माह से चाइना के साथ लॉक डाउन होने से बुनकरों की हालत बिगड़ गई है. इनके तैयार किए दुपट्टे को खरीदने वाला बाजार में कोई नहीं दिख रहा है. भागलपुर के चंपानगर के हजारों बुनकरों आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जिस दिन बुनकर यहां बुनकरी नहीं कर पाते, उस दिन भूखे प्यासे से ही रह जाते हैं. रेशम कारोबार यहां पूरी तरह से अभी दुपट्टे कारोबार पर टीका हुआ है. लेकिन इसके बंद हो जाने से बुनकर भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. सरकार की तरफ से अभी तक इनको कोई राहत सामग्री नहीं दिया गया है.