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एक बार फ‍िर विवादों में BAU, सरकार के सवाल पूछने पर मची खलबली - कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति

ब‍िहार कृष‍ि व‍िश्‍वव‍िद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. जिसके कारण एक बार फ‍िर विश्वविद्यालय विवादों में आ गया है. ब‍िहार सरकार ने कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े कर द‍िए हैं. जिसके बाद से ही खलबली मची हुई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Sep 16, 2021, 3:01 PM IST

भागलपुर: बिहार सरकार का एकलौता कृषि विश्वविद्यालय सबौर (Sabour Agricultural University) फिर से विवादों में घिर गया है. इस बार विश्वविद्यालय के ऊपर सरकार ने सवाल खड़े किए हैं. हाल के निर्णय पर कई तरह के सवाल विश्वविद्यालय से पूछे गए हैं. विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor) की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े हुए थे. कुलपति नियुक्ति मामले को लेकर पीआईएल (Public interest litigation in India) भी दायर हुआ है. पीआईएल दायर होने के बाद स्वेच्छाचारी और धोखाधड़ी का आरोप भी सामने आया है.

इसे भी पढ़ें: भागलपुर: सबौर कृषि विश्वविद्यालय में कृषि हैकाथॉन का आयोजन

प्रबंधन बोर्ड की 32वीं बैठक में उपस्थित आईसीएआर के प्रतिनिधियों को अनुपस्थित दिखाया है. नियम को ताक पर रखकर कई फैसले लिए गए. खास बात यह कि बार-बार मांग करने पर भी कृषि विभाग को कार्रवाई के लिए नहीं भेजा गया. यहां तक कि वित्त विभाग के प्रतिनिधि की बातों को अपने अनुकूल बनाकर प्रस्तुत किया गया.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: 'सबौर कृषि विश्वविद्यालय के दो परिसरों को जोडने के लिए बनेगा अंडरपास'

वित्त विभाग की आपत्ति के बाद अब कृषि विभाग ने विश्वविद्यालय के कुलपति से कई बिंदुओं पर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही इसकी जानकारी सरकार द्वारा राजभवन को भी दी गई है. कृषि विभाग के विशेष सचिव विजय कुमार ने प्रभारी कुलपति अरुण कुमार से यह बताने को कहा है कि एजेंडा तय करने में विभाग के चेक लिस्ट का उपयोग क्यों नहीं किया गया. इसके अलावा बैठक की कार्रवाई विभाग को क्यों नहीं भेजी गई.

इस मामले में विश्वविद्यालय का पक्ष जानने के लिए जब कुलपति से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उनके फोन कवरेज एरिया से बाहर बता रहा था. विश्वविद्यालय के एक वरीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि विश्वविद्यालय सरकार के अधीन है. बोर्ड की बैठक में सरकार के चेकलिस्ट का उपयोग नहीं किया गया, तो सरकार बैठक को रद्द कर सकती है. कार्रवाई की प्रति कैसे उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है, जब सभी निर्णय सरकार को ही करनी है.

अधिकारी ने कहा कि बैठक में कृषि विभाग के प्रतिनिधि नहीं थे. इस वजह से प्रति उन्हें उस वक्त नहीं मिली. आईसीएआर के सहायक महानिदेशक के मंतव्य को कुछ शामिल किया गया है. कुछ अगले कार्रवाई में लिया जाएगा. निदेशक का नाम हटाया नहीं गया. वह वर्चुअल मोड में शामिल थे. जो लोग बैठक में शामिल थे, उनका हस्ताक्षर लिया गया है.

विशेष सचिव विजय कुमार ने प्रभारी कुलपति से पूछा कि प्रबंधन बोर्ड की बैठक में आईसीएआर के सहायक महानिदेशक और बोर्ड के सदस्य पीएस पांडे के मंतव्य को कार्रवाई में क्यों नहीं शामिल किया गया. विभाग ने इस पत्र की प्रति राजभवन में भी दी गई है. साथ ही कहा है कि उक्त लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी की भी जानकारी 7 दिनों में दें दी जाएगी.

बता दें कि बीएयू में 30 जुलाई को प्रबंध बोर्ड की अहम बैठक हुई थी. बैठक में आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के प्रतिनिधि श्री पांडे ने वर्चुअल मोड में भाग लिया था. उन्होंने कई एजेंडों पर असहमति जताई थी. लेकिन उनके प्रखर विरोध के कारण बोर्ड की बैठक की कार्रवाई से उनका नाम ही हटा दिया गया.

इस बैठक से संबंधित मामला उठाते हुए बिहार सरकार के कृषि विभाग के विशेष सचिव विजय कुमार ने कहा था कि बोर्ड की बैठक में एजेंडा तय करने में विभाग के चेकलिस्ट का उपयोग नहीं किया गया. साथ ही बैठक की कार्रवाई की प्रति विभाग को उपलब्ध नहीं कराई गई. आइसीएआर के सहायक महानिदेशक के मंतव्य को कार्रवाई में शामिल नहीं किया गया. उनका नाम तक बैठक से हटा दिया गया. सरकार को चकमा देकर कई फैसले लिए गए. हेराफेरी कर वित्त विभाग के प्रतिनिधि की बातों को अपने अनुकुल बनाकर प्रस्तुत किया गया. ऐसे ही कई सवाल कुलपति से पत्र के माध्यम से पूछा गया, जिसकी जानकारी राज्यपाल को भी दी गई है.

भागलपुर: बिहार सरकार का एकलौता कृषि विश्वविद्यालय सबौर (Sabour Agricultural University) फिर से विवादों में घिर गया है. इस बार विश्वविद्यालय के ऊपर सरकार ने सवाल खड़े किए हैं. हाल के निर्णय पर कई तरह के सवाल विश्वविद्यालय से पूछे गए हैं. विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor) की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े हुए थे. कुलपति नियुक्ति मामले को लेकर पीआईएल (Public interest litigation in India) भी दायर हुआ है. पीआईएल दायर होने के बाद स्वेच्छाचारी और धोखाधड़ी का आरोप भी सामने आया है.

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प्रबंधन बोर्ड की 32वीं बैठक में उपस्थित आईसीएआर के प्रतिनिधियों को अनुपस्थित दिखाया है. नियम को ताक पर रखकर कई फैसले लिए गए. खास बात यह कि बार-बार मांग करने पर भी कृषि विभाग को कार्रवाई के लिए नहीं भेजा गया. यहां तक कि वित्त विभाग के प्रतिनिधि की बातों को अपने अनुकूल बनाकर प्रस्तुत किया गया.

देखें रिपोर्ट.

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वित्त विभाग की आपत्ति के बाद अब कृषि विभाग ने विश्वविद्यालय के कुलपति से कई बिंदुओं पर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही इसकी जानकारी सरकार द्वारा राजभवन को भी दी गई है. कृषि विभाग के विशेष सचिव विजय कुमार ने प्रभारी कुलपति अरुण कुमार से यह बताने को कहा है कि एजेंडा तय करने में विभाग के चेक लिस्ट का उपयोग क्यों नहीं किया गया. इसके अलावा बैठक की कार्रवाई विभाग को क्यों नहीं भेजी गई.

इस मामले में विश्वविद्यालय का पक्ष जानने के लिए जब कुलपति से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उनके फोन कवरेज एरिया से बाहर बता रहा था. विश्वविद्यालय के एक वरीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि विश्वविद्यालय सरकार के अधीन है. बोर्ड की बैठक में सरकार के चेकलिस्ट का उपयोग नहीं किया गया, तो सरकार बैठक को रद्द कर सकती है. कार्रवाई की प्रति कैसे उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है, जब सभी निर्णय सरकार को ही करनी है.

अधिकारी ने कहा कि बैठक में कृषि विभाग के प्रतिनिधि नहीं थे. इस वजह से प्रति उन्हें उस वक्त नहीं मिली. आईसीएआर के सहायक महानिदेशक के मंतव्य को कुछ शामिल किया गया है. कुछ अगले कार्रवाई में लिया जाएगा. निदेशक का नाम हटाया नहीं गया. वह वर्चुअल मोड में शामिल थे. जो लोग बैठक में शामिल थे, उनका हस्ताक्षर लिया गया है.

विशेष सचिव विजय कुमार ने प्रभारी कुलपति से पूछा कि प्रबंधन बोर्ड की बैठक में आईसीएआर के सहायक महानिदेशक और बोर्ड के सदस्य पीएस पांडे के मंतव्य को कार्रवाई में क्यों नहीं शामिल किया गया. विभाग ने इस पत्र की प्रति राजभवन में भी दी गई है. साथ ही कहा है कि उक्त लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी की भी जानकारी 7 दिनों में दें दी जाएगी.

बता दें कि बीएयू में 30 जुलाई को प्रबंध बोर्ड की अहम बैठक हुई थी. बैठक में आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के प्रतिनिधि श्री पांडे ने वर्चुअल मोड में भाग लिया था. उन्होंने कई एजेंडों पर असहमति जताई थी. लेकिन उनके प्रखर विरोध के कारण बोर्ड की बैठक की कार्रवाई से उनका नाम ही हटा दिया गया.

इस बैठक से संबंधित मामला उठाते हुए बिहार सरकार के कृषि विभाग के विशेष सचिव विजय कुमार ने कहा था कि बोर्ड की बैठक में एजेंडा तय करने में विभाग के चेकलिस्ट का उपयोग नहीं किया गया. साथ ही बैठक की कार्रवाई की प्रति विभाग को उपलब्ध नहीं कराई गई. आइसीएआर के सहायक महानिदेशक के मंतव्य को कार्रवाई में शामिल नहीं किया गया. उनका नाम तक बैठक से हटा दिया गया. सरकार को चकमा देकर कई फैसले लिए गए. हेराफेरी कर वित्त विभाग के प्रतिनिधि की बातों को अपने अनुकुल बनाकर प्रस्तुत किया गया. ऐसे ही कई सवाल कुलपति से पत्र के माध्यम से पूछा गया, जिसकी जानकारी राज्यपाल को भी दी गई है.

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