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भागलपुर में भी प्रदूषण स्तर में इजाफा, बच्चों को सांस लेने में हो रही परेशानी

जिले के सबौर कृषि विश्वविद्यालय में एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक ढाई किलो मीटर के रेडियस में पार्टिकुलेट मेटर का आंकड़ा 815 माइक्रोग्राम घन मीटर के आसपास  है. जबकि ढाई किलोमीटर के आसपास का आंकड़ा 811 माइक्रो घन मीटर तक बताया जा रहा है.

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Published : Dec 4, 2019, 7:57 AM IST

भागलपुर: जिले में बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम को लेकर प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. यहां मुख्य सड़कों के किनारे कचरों को जलाया जाता है. जिससे हवा में प्रदूषण फैल रहा है. इससे बड़े तो परेशान हैं ही. वहीं बच्चों को भी सांस लेने में परेशानी हो रही है.

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कचरा जलाने से परेशानी

बढ़ता प्रदूषण घटता जीवन
अभी तक जहां प्रदूषित शहरों के तौर पर बड़े-बड़े महानगरों को जाना जाता था. हाल ही में दिल्ली में धूल की वजह से दिन में अंधेरा हो गया था. प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूल एवं कई संस्थानों में छुट्टी दे दी गई थी. लेकिन धीरे धीरे प्रदूषण दिल्ली से बहते हुए बिहार के भी कई शहरों में पहुंच गयी.

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दिन का हाल देखिए

बिहार का भी हाल बुरा
पटना, मुजफ्फरपुर और अब भागलपुर भी इन प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो गया है. कृषि विश्वविद्यालय के लगे बोर्ड में जो आंकड़े शहर के प्रदूषण को दिखा रहे हैं वह काफ़ी चौकाने वाले हैं. और साथ ही साथ बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रहे हैं.

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कृषि विश्वविद्यालय में एयर क्वालिटी इंडेक्स

प्रदूषित हवा में इजाफा
जिले के सबौर कृषि विश्वविद्यालय में एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक ढाई किलो मीटर के रेडियस में पार्टिकुलेट मेटर का आंकड़ा 815 माइक्रोग्राम घन मीटर के आसपास है. जबकि ढाई किलोमीटर के आसपास का आंकड़ा 811 माइक्रो घन मीटर तक बताया जा रहा है. जो की आम लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव डाल सकता है.

बच्चों को हो रही फेफड़े की समस्या
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ खलील अहमद ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को लेकर काफी लोगों को फेफड़े में संक्रमण की शिकायत मिल रही है. खासकर छोटे बच्चों में करीबन 30 फ़ीसदी ज्यादा संक्रमण बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि इन दिनों ज्यादातर बच्चे सांस की शिकायत को लेकर आ रहे हैं.

भागलपुर में भी प्रदूषण स्तर में इजाफा

प्रशासन जल्दी ही कुछ करे
डॉ खलील अहमद ने कहा कि कचरों में लोग आग लगा देते हैं. उसकी वजह से भी प्रदूषण फैल रहा है. शहर में बढ़ते वाहनों की संख्या भी इसकी एक बड़ी वजह है, जिसका सीधा असर बच्चों पर देखने को मिल रहा है. फेफड़े में संक्रमण की शिकायत आये दिन बढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ खेत में पुआल जलाने की वजह से भी उठने वाले धुएं से वातावरण को खतरा बढ़ रहा है. जल्द ही प्रशासन कोई ठोस कदम ले क्योंकि लोग तो झेल रहे हैं लेकिन बच्चों को भी ये दंश झेलना पड़ रहा है.

भागलपुर: जिले में बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम को लेकर प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. यहां मुख्य सड़कों के किनारे कचरों को जलाया जाता है. जिससे हवा में प्रदूषण फैल रहा है. इससे बड़े तो परेशान हैं ही. वहीं बच्चों को भी सांस लेने में परेशानी हो रही है.

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कचरा जलाने से परेशानी

बढ़ता प्रदूषण घटता जीवन
अभी तक जहां प्रदूषित शहरों के तौर पर बड़े-बड़े महानगरों को जाना जाता था. हाल ही में दिल्ली में धूल की वजह से दिन में अंधेरा हो गया था. प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूल एवं कई संस्थानों में छुट्टी दे दी गई थी. लेकिन धीरे धीरे प्रदूषण दिल्ली से बहते हुए बिहार के भी कई शहरों में पहुंच गयी.

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दिन का हाल देखिए

बिहार का भी हाल बुरा
पटना, मुजफ्फरपुर और अब भागलपुर भी इन प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो गया है. कृषि विश्वविद्यालय के लगे बोर्ड में जो आंकड़े शहर के प्रदूषण को दिखा रहे हैं वह काफ़ी चौकाने वाले हैं. और साथ ही साथ बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रहे हैं.

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कृषि विश्वविद्यालय में एयर क्वालिटी इंडेक्स

प्रदूषित हवा में इजाफा
जिले के सबौर कृषि विश्वविद्यालय में एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक ढाई किलो मीटर के रेडियस में पार्टिकुलेट मेटर का आंकड़ा 815 माइक्रोग्राम घन मीटर के आसपास है. जबकि ढाई किलोमीटर के आसपास का आंकड़ा 811 माइक्रो घन मीटर तक बताया जा रहा है. जो की आम लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव डाल सकता है.

बच्चों को हो रही फेफड़े की समस्या
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ खलील अहमद ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को लेकर काफी लोगों को फेफड़े में संक्रमण की शिकायत मिल रही है. खासकर छोटे बच्चों में करीबन 30 फ़ीसदी ज्यादा संक्रमण बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि इन दिनों ज्यादातर बच्चे सांस की शिकायत को लेकर आ रहे हैं.

भागलपुर में भी प्रदूषण स्तर में इजाफा

प्रशासन जल्दी ही कुछ करे
डॉ खलील अहमद ने कहा कि कचरों में लोग आग लगा देते हैं. उसकी वजह से भी प्रदूषण फैल रहा है. शहर में बढ़ते वाहनों की संख्या भी इसकी एक बड़ी वजह है, जिसका सीधा असर बच्चों पर देखने को मिल रहा है. फेफड़े में संक्रमण की शिकायत आये दिन बढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ खेत में पुआल जलाने की वजह से भी उठने वाले धुएं से वातावरण को खतरा बढ़ रहा है. जल्द ही प्रशासन कोई ठोस कदम ले क्योंकि लोग तो झेल रहे हैं लेकिन बच्चों को भी ये दंश झेलना पड़ रहा है.

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बढ़ते प्रदूषण से लोगों का जीना हुआ मुहाल खामोश पड़ी सरकारी व्यवस्था

अभी तक जहां प्रदूषित शहरों के तौर पर बड़े-बड़े महानगरों को जाना जाता था अभी हाल में दिल्ली में धूल की वजह से दिन में अंधेरा हो गया था प्रदूषण का बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूल एवं कई संस्थानों मैं छुट्टी दे दी गई थी लेकिन प्रदूषण धीरे धीरे दिल्ली से बहते हुए धीरे-धीरे दिल्ली से बहुत हुए बिहार के भी कई शहरों में पहुंच गया है पटना मुजफ्फरपुर और अब भागलपुर भी इन प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो गया है कृषि विश्वविद्यालय के लगे जिसके बोर्ड मे जो आंकड़े शहर के प्रदूषण को दिखा रहे है वह काफ़ी चौकाने वाले है और साथ ही साथ बड़े कतरे की तरफ इशारा कर रहे हैं । अगर समय रहते प्रदूषण को नियंत्रण में नहीं लाया जाएगा तो लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय में एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक ढाई किलो मीटर के रेडियस में पार्टिकुलेट मेटर का आंकड़ा 815 माइक्रोग्राम घन मीटर के आसपास बताया जा रहा है जबकि ढाई किलोमीटर के आसपास का आंकड़ा 811 माइक्रो घन मीटर तक बताया जा रहा है जोकि आम लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव डाल सकता है ।


Body:बढ़ते प्रदूषण को लेकर काफी लोगों को फेफड़े में संक्रमण की शिकायत मिल रही है और खासकर छोटे बच्चों में करीबन 30 फ़ीसदी ज्यादा संक्रमण बढ़ गया है भागलपुर के जाने-माने डॉक्टर खलील अहमद का कहना है लगभग फेफड़े में शिकायत को लेकर आने वाले मरीजों की संख्या में 30 फ़ीसदी से ज्यादा वृद्धि हुई है सांस की शिकायत को लेकर ज्यादातर बच्चे इन दिनों पर आ रहे हैं सरकार को बढ़ते प्रदूषण को लेकर एक ठोस कदम उठाने की जरूरत है धुआं वाली गाड़ियों को सरकार रोकने की कोशिश करें कतरों में लोग आग लगा देते हैं उसकी वजह से भी प्रदूषण फैल रहा है शहर में बढ़ते वाहनों की संख्या भी इसकी एक बड़ी वजह है जिसका सीधा असर बच्चों पर देखने को मिल रहा है फेफड़े में संक्रमण की शिकायत लेकर आम दिनों के मुकाबले 30 फ़ीसदी ज्यादा बच्चे फेफड़े में संक्रमण की शिकायत लेकर आ रहे हैं जिसकी मुख्य वजह बढ़ता प्रदूषण भी है सरकार को त्वरित गति से इस पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है ।



Conclusion:जहां एक तरफ वाहनों की वजह से प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है और वातावरण प्रदूषित हो रहा है वहीं दूसरी तरफ खेत में पुआल जलाने की वजह से भी उठने वाले धुएं से वातावरण को खतरा बढ़ रहा है पूरे शहर में पूरे शहर में लाखों की संख्या में वाहनों को चलने की वजह से स्मोग दिखाई दे रहा है और लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डाल रहा है वही खेत में जलने वाले वालों की वजह से भी प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है । दूसरी जो सबसे बड़ी बात है वह यह है कि पूरे शहर का कचरा नगर निगम इन दिनों शहर के शुरुआती छोर पर सड़क के दोनों तरफ डम कर रहा है नाथनगर की तरफ से शुरू होने वाले सड़क के दोनों तरफ कचरा फैला हुआ है साथ में अंग प्रदेश की ऐतिहासिक नदी चंपा भी हैं जो कचरे की वजह से पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है आसपास के लोगों को काफी तकलीफ भी हो रही है और स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर भी पड़ रहा है लेकिन पूरे शहर में फैली कुव्यवस्था की सुध लेने वाला कोई नहीं है ।

बाइट चौधरी आशीष प्रताप सोशल एक्टिविस्ट लाल कपड़े में
बाइट भोला मंडल स्थानीय निवासी वृद्ध
बाइट डॉक्टर खलील अहमद शिशु रोग विशेषज्ञ भागलपुर
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