भागलपुर: जिले में बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम को लेकर प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. यहां मुख्य सड़कों के किनारे कचरों को जलाया जाता है. जिससे हवा में प्रदूषण फैल रहा है. इससे बड़े तो परेशान हैं ही. वहीं बच्चों को भी सांस लेने में परेशानी हो रही है.
बढ़ता प्रदूषण घटता जीवन
अभी तक जहां प्रदूषित शहरों के तौर पर बड़े-बड़े महानगरों को जाना जाता था. हाल ही में दिल्ली में धूल की वजह से दिन में अंधेरा हो गया था. प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूल एवं कई संस्थानों में छुट्टी दे दी गई थी. लेकिन धीरे धीरे प्रदूषण दिल्ली से बहते हुए बिहार के भी कई शहरों में पहुंच गयी.
बिहार का भी हाल बुरा
पटना, मुजफ्फरपुर और अब भागलपुर भी इन प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो गया है. कृषि विश्वविद्यालय के लगे बोर्ड में जो आंकड़े शहर के प्रदूषण को दिखा रहे हैं वह काफ़ी चौकाने वाले हैं. और साथ ही साथ बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रहे हैं.
प्रदूषित हवा में इजाफा
जिले के सबौर कृषि विश्वविद्यालय में एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक ढाई किलो मीटर के रेडियस में पार्टिकुलेट मेटर का आंकड़ा 815 माइक्रोग्राम घन मीटर के आसपास है. जबकि ढाई किलोमीटर के आसपास का आंकड़ा 811 माइक्रो घन मीटर तक बताया जा रहा है. जो की आम लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव डाल सकता है.
बच्चों को हो रही फेफड़े की समस्या
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ खलील अहमद ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को लेकर काफी लोगों को फेफड़े में संक्रमण की शिकायत मिल रही है. खासकर छोटे बच्चों में करीबन 30 फ़ीसदी ज्यादा संक्रमण बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि इन दिनों ज्यादातर बच्चे सांस की शिकायत को लेकर आ रहे हैं.
प्रशासन जल्दी ही कुछ करे
डॉ खलील अहमद ने कहा कि कचरों में लोग आग लगा देते हैं. उसकी वजह से भी प्रदूषण फैल रहा है. शहर में बढ़ते वाहनों की संख्या भी इसकी एक बड़ी वजह है, जिसका सीधा असर बच्चों पर देखने को मिल रहा है. फेफड़े में संक्रमण की शिकायत आये दिन बढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ खेत में पुआल जलाने की वजह से भी उठने वाले धुएं से वातावरण को खतरा बढ़ रहा है. जल्द ही प्रशासन कोई ठोस कदम ले क्योंकि लोग तो झेल रहे हैं लेकिन बच्चों को भी ये दंश झेलना पड़ रहा है.