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Bhagalpur News: मायागंज अस्पताल की लचार व्यवस्था ने ली जान, नाराज परिजनों ने काटा बवाल - Patient died in Bhagalpur Mayaganj Hospital

भागलपुर जिला के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में लचर व्यवस्था के कारण एक मरीज की जान चली गई. परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जमकर बवाल काटा.

मायागंज अस्पताल में मरीज की मौत
मायागंज अस्पताल में मरीज की मौत
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Published : Apr 3, 2023, 10:51 PM IST

भागलपुर: पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, भागलपुर (Jawaharlal Nehru Medical College Hospital) में लचर व्यवस्था ने एक मरीज की जान ले ली. नाजुक हालत में पहुंचे मरीज को लाइन में घंटों लगाकर पहले रसीद कटाना पड़ा. उसके बाद घंटों एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर लगाना पड़ा. इस तरह करते-करते तीन घंटे बीत गए और मरीज ने दम तोड़ दिया.

ये भी पढ़ें- Bihar Junior Doctors Strike: PMCH में ऑपरेशन नहीं होने से मरीज हलकान, छपरा के एक शख्स की गई जान

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से गई मरीज की जान: घटना के बाद परिजनों ने घंटों तक अस्पताल में हंगामा किया. परिजनों ने बताया कि उनलोगों को आए तीन घंटे बीत गए. इमरजेंसी में एडमिट करने के लिए लाया था कि तुरंत इलाज हो सकेगा, तो उनके पिताजी की जान बच जाएगी, लेकिन अस्पताल की ऐसी लचर व्यवस्था थी कि तीन घंटे में रसीद कटाने और लाइन में लग कर ही समय बीत गया.

परिजनों ने किया हंगामा: परिजनों ने बताया कि इतना तक तो ठीक था. सारी प्रक्रिया करने के बाद जब चिकित्सक के पास पहुंचा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा मरीज को लेकर आप रसीद कटाई और हस्ताक्षर करें. तभी मैं एडमिट करूंगा. जब तक मरीज हस्ताक्षर कर एडमिट होने आता तब तक मरीज की स्थिति नाजुक बन गई और वहीं दम तोड़ दिया.

"ऐसे तीन घंटे के दरमियान ना तो मेरे मरीज को देखा गया और ना ही कोई दवा दी गई और ना ही कोई इंजेक्शन, जिससे उसकी हालत में सुधार हो सकता. लचर व्यवस्था के चलते पिताजी की जान चली गई. अब मैं अस्पताल प्रबंधन पर केस दायर करूंगा और मुझे मेरे पिताजी के मृत्यु का इंसाफ चाहिए."- मोहम्मद आलमगीर, परिजन

भागलपुर: पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, भागलपुर (Jawaharlal Nehru Medical College Hospital) में लचर व्यवस्था ने एक मरीज की जान ले ली. नाजुक हालत में पहुंचे मरीज को लाइन में घंटों लगाकर पहले रसीद कटाना पड़ा. उसके बाद घंटों एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर लगाना पड़ा. इस तरह करते-करते तीन घंटे बीत गए और मरीज ने दम तोड़ दिया.

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अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से गई मरीज की जान: घटना के बाद परिजनों ने घंटों तक अस्पताल में हंगामा किया. परिजनों ने बताया कि उनलोगों को आए तीन घंटे बीत गए. इमरजेंसी में एडमिट करने के लिए लाया था कि तुरंत इलाज हो सकेगा, तो उनके पिताजी की जान बच जाएगी, लेकिन अस्पताल की ऐसी लचर व्यवस्था थी कि तीन घंटे में रसीद कटाने और लाइन में लग कर ही समय बीत गया.

परिजनों ने किया हंगामा: परिजनों ने बताया कि इतना तक तो ठीक था. सारी प्रक्रिया करने के बाद जब चिकित्सक के पास पहुंचा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा मरीज को लेकर आप रसीद कटाई और हस्ताक्षर करें. तभी मैं एडमिट करूंगा. जब तक मरीज हस्ताक्षर कर एडमिट होने आता तब तक मरीज की स्थिति नाजुक बन गई और वहीं दम तोड़ दिया.

"ऐसे तीन घंटे के दरमियान ना तो मेरे मरीज को देखा गया और ना ही कोई दवा दी गई और ना ही कोई इंजेक्शन, जिससे उसकी हालत में सुधार हो सकता. लचर व्यवस्था के चलते पिताजी की जान चली गई. अब मैं अस्पताल प्रबंधन पर केस दायर करूंगा और मुझे मेरे पिताजी के मृत्यु का इंसाफ चाहिए."- मोहम्मद आलमगीर, परिजन

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