भागलपुरः जिले के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अब एक सौ सीटों पर एमबीबीएस में छात्रों का दाखिला होगा. करीब 49 साल बाद अस्पताल में बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी में 50 सीटों पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी मान्यता दे दी है. एमसीआई ने मान्यता देने का पत्र कॉलेज के प्राचार्य डॉ हेमंत कुमार सिन्हा को दिया है.
डेढ़ सौ छात्रों का होगा एडमिशन
मान्यता प्राप्त करने के लिए मेडिकल कॉलेज लगातार मेहनत कर रहा था. 2012 में एमबीबीएस की 50 सीट अस्थाई सीट पर पढ़ाई होती थी. 2013 में यह बढ़ाकर 100 कर दी गई, जिसमें 50 अस्थाई और 50 स्थाई सीट थी. अब एक 100 सीट स्थाई हो जाने से यहां आने वाले दिनों में डेढ़ सौ छात्र का एडमिशन होगा.
उपलब्ध कराई जाएगी बुनियादी सुविधा
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक भगत ने कहा कि भागलपुर के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. इसके लिए कॉलेज के सारे फैकल्टी दिन रात मेहनत कर रहे थे. कई बार इसमें हम असफल भी रहे लेकिन आखिर सफलता हासिल हो गई. उन्होंने कहा कि अब यहां छात्रों के रहने के लिए हॉस्टल के अलावा जो बुनियादी सुविधा है वह उपलब्ध कराई जाएगी.
एमसीआई ने तय किया था मानक
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा ने बताया कि एमसीआई ने अस्थाई मान्यता के लिए मानक तय किया था. उस पर खड़े उतरने के बाद हमारी मांग पूरी हो गई. उन्होंने कहा कि कई बार हम लोग असफल भी रहे मगर लगातार प्रयास जारी रहा. जिसके बाद यह उपलब्धि हासिल हुई है.
निरीक्षण के लिए किया जाता है आमंत्रित
प्राचार्य ने बताया कि हमने आधुनिक पुस्तकालय, क्लासरूम, प्रयोगशाला समेत अन्य चीजों को बेहतर बनाना शुरू किया है. इसके बाद एक बार फिर एमसीआई को निरीक्षण के लिए आमंत्रित किया गया है. इस बार हम लोग उनके मानकों पर खड़े उतरे तो और 50 सीट की मान्यता मिल जाएगी.
1970 में हुई थी स्थापना
भागलपुर में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की स्थापना 1970 में की गई थी. पहले बैच के छात्रों का नामांकन 1971 में लिया गया था. उस समय से लेकर 2011 तक 50 सीट पर ही दाखिला लिया जाता था. 2012 में एमसीआई ने 50 और सीटों पर नामांकन करने की स्थाई स्वीकृति दे दी.
हर साल निरीक्षण करती है एमसीआई
2012 से लेकर जुलाई 2020 तक एमसीआई प्रत्येक साल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करती रही है. प्रत्येक एमसीआई निरीक्षण के लिए कॉलेज प्रशासन को बतौर फीस 35 लाख 4 हजार रुपये देने पड़ते हैं.