भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) जिले में कई गांवों की तस्वीर बदलने में मनरेगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को हुआ है. मनरेगा से कुर्मा, बैसा, धनौरा गांव में करीब 5 नहर पर चेक डैम का निर्माण कराया गया. यह चेकडैम किसानों के लिए चमत्कार साबित हुआ.
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बता दें कि डैम के निर्माण के बाद से आस-पास के गांव में जलस्तर में वृद्धि हुई है. गांव के सूखे कुंए में जान आ गई और सबसे ज्यादा फायदा खेती को हुआ. गांव के करीब 400 एकड़ में फैली खेती को चेक डैम से पानी मिलने लगा. इसके साथ ही किसान समय पर खेती करना शुरू कर दिए हैं. कभी इस इलाके में पानी के अभाव के कारण उपजाऊ भूमि बंजर हो रही थी. अब चेकडैम ने किसानों की तस्वीरें बदल दी है.
किसानों के लिए चेकडैम वरदान साबित हो रहा है. चेकडैम के पानी से किसान मनचाहा फसल लगाकर अपनी जीविका चला रहे हैं. पहले यहां के किसान बरसात पर निर्भर थे. लेकिन अब चेकडैम से खेत को पानी मिलने से उत्पादन भी 10 गुना बढ़ गया है. पटवन में लगने वाला लागत भी कम हो गया. मनरेगा से बने चेकडैम की बदौलत गरीबी के दुष्चक्र से जूझ रहे किसान को काफी हद तक बाहर निकालने में मदद मिला.
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15 साल पहले तक गांव के सभी किसान परिवार साहूकार के कर्ज में दबे थे. अधिकांश परिवार भुखमरी के शिकार पर थे. लेकिन अब चेकडैम से पानी मिलने पर खेती आय का साधन बन गया. धीरे-धीरे लोग साहूकार के कर्ज से बाहर निकल गए हैं. किसान चेकडैम के बगल में धान, गेहूं, बैगन, आलू आदि की खेती करना शुरू कर दिए हैं.
2016 के बाद इस गांव में एक के बाद एक पांच चेकडैम बनाए गए हैं. इतना ही नहीं समय-समय पर इन चेकडैम का रखरखाव भी मनरेगा (MGNREGA) के तहत किया जाता है. इन चेकडैम ने बरसा के पानी पर कृषि की निर्भरता को बहुत हद तक खत्म कर दिया है. सभी चेकडैम पानी से लबालब है और सूखाग्रस्त इलाका अब दुर्लभ है.
'पिछले साल यहां चेकडैम बना है. चेकडैम बनने से हम लोगों के खेत फसल से लहलहा रहे हैं. हम लोगों की खेती 2 साल पहले तक वर्षा पर आधारित थी. लेकिन चेकडैम बन जाने से समय पर खेती हो रही है. इससे पहले हम लोगों की खेती समय से पीछे हो जाती थी. धान की बोवाई शुरू हो गई है. पहले पानी के बिना धान की बोवाई संभव नहीं था. चेकडैम होने के कारण खेत को भरपूर मात्रा में पानी मिल रहा है. आसपास के नलकूप कुआं में भी जलस्तर ठीक हो गया है. इन चेकडैम के निर्माण होने से आसपास के करीब 400 एकड़ खेत को पानी मिला है.' -सुमन कुमार यादव, किसान
किसानों ने कहा कि हमारे गांव में अभी धान की खेती हो रही है. जबकि अगल-बगल के गांव में अभी बोवाई नहीं हो रही है. क्योंकि वहां पानी की कमी है. पहले भगवान भरोसे खेती की जाती थी लेकिन अब चेकडैम बनने से थोड़ी बहुत भी बारिश हो जाती है तो डैम में पानी जमा हो जाता है. जिसके बाद उस पानी से खेतों की सिंचाई की जाती है. उन्होंने कहा कि उनके गांव में चार चेकडैम का निर्माण हुआ है. जिससे 400 एकड़ में खेती हो रही है.
'धनोरा पंचायत के अलग-अलग गांव में छोटे-बड़े करीब 4 चेक डैम का निर्माण कराया है. जिसमें 8 से 10 फीट पानी को रोका जा रहा है. सभी जगहों पर वर्षा के जल को संरक्षित किया जाता है. जिससे किसान अपने खेत की सिंचाई कर रहे हैं. जब मैं यहां निरीक्षण के लिए आया था तो इलाका काफी सूखा था. यहां का वाटर लेवल काफी नीचे था. लेकिन फिर हम लोगों ने इस नहर की खुदाई करवाया. खुदाई कराने से एक तो यहां के लोगों को रोजगार मिला. इसके बाद पानी को स्टोर करने के लिए एक गहराई भी मिल गई. जिसके बाद चेकडैम का निर्माण कराया गया. अब इलाके में वर्षा का पानी वेस्ट नहीं हो रहा है.' -कौशल राय, कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा
पदाधिकारी ने कहा कि भागलपुर जिले में गंगा के दक्षिणी इलाके में मार्च, अप्रैल, मई, जून और जुलाई महीने तक जल संकट होता है. इस महीने में नलकूप कुआं सहित अन्य स्रोत सूख जाते हैं. वाटर लेवल भी नीचे चला जाता है. लेकिन चेकडैम निर्माण कराने से कुर्मा गांव में वाटर लेवल पहले से ज्यादा बढ़ गया है.
बता दें कि चेकडैम का मुख्य उद्देश्य होता है पानी को उसके सोर्स के पास ही स्थाई रखना. एक निश्चित निकासी की व्यवस्था की मदद से अन्य जगहों पर पानी के भंडारण का इंतजाम किया जाता है. अगर किसी बांध का पानी ओवरफ्लो करने लगता है तो पानी को अन्य बांधों की तरफ बढ़ा दिया जाता है. इस प्रक्रिया की मदद से भूमिगत जल का स्तर भी बेहतर होता है.