बेगूसरायः जिले में चमकी रोग ने विकराल रूप धारण कर लिया है. जिले के विभिन्न भागों से जो सूचनाएं मिल रही हैं, उस हिसाब से यह एक तरह से अब महामारी का रूप अख्तियार कर चुका है. यहां बीते 48 घंटे में चमकी बीमारी के कारण एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.
वहीं जिले के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में 50 से ज्यादा की संख्या में चमकी रोग से ग्रस्त बच्चे जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं. जिला मुख्यालय में सरकारी हो या निजी अस्पताल. यहां चमकी रोग से ग्रसित बच्चों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है और इस रोग के कारण महामारी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
4 घंटों में इलाज जरूरी
डॉक्टरों के मुताबिक चमकी के अटैक आने और बच्चे की मौत के बीच का फासला मात्र 4 घंटे का होता है. इस बीच अगर बच्चा रिकवर किया तो उसकी जान बच सकती है. वरना उसे बचा पाना मुश्किल हो जाता है. चमकी रोग से ग्रसित बच्चों की मॉनिटरिंग के लिए जिला प्रशासन ने डॉक्टर कृष्णा कुमार को नोडल अधिकारी बनाया है.
चमकी ने लिया महामारी का रूप
डॉ. कृष्णा कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि यह बीमारी अब महामारी का रूप ले चुकी है. चमकी रोग से ग्रसित अस्पताल में जीवित अवस्था में पहुंचते हैं, लेकिन ट्रीटमेंट शुरू होते ही स्थिति बद से बदतर हो जाती है और ज्यादातर मरीजों की मौत हो जाती है. जिनकी ठीक होने की संभावना दिखती है तो उसे बाहर रेफर किया जाता है. वहीं अन्य बच्चे जो आंशिक रूप से बीमार हैं, उनका इलाज किया जा रहा है.
डॉक्टर ने क्या कहा
डॉक्टर कृष्ण कुमार के मुताबिक सदर अस्पताल में एक अलग वॉर्ड बनाया गया है. इस रोग के लिए कोई खास दवा भी नहीं है. अस्पताल में पेरासिटामोल, ओआरएस की दवा के साथ-साथ एंटी मलेरियन और एंटी वायरल इंजेक्शन उपलब्ध हैं. जिससे उनका इलाज किया जा रहा है. सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर खासकर चमकी रोग से निपटने के लिए प्रशासन और राज्य सरकार ने विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश भी जारी कर दिए हैं.
सरकार पर सवाल
बहरहाल, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन चमकी रोग से निपटने के लाख दावे करे, लेकिन धरातल पर चमकी रोग से ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए उनके परिजन त्राहिमाम की स्थिति में हैं. एक तरफ जहां निजी अस्पताल पैसे के लिए मुंह बाए खड़े हैं, वहीं सरकारी अस्पतालों में सुविधा नाम मात्र की है. ऐसे में अब चमकी ने महामारी का रूप ले लिया है.