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बेगूसराय: नक्सलियों के गढ़ में शिक्षा की जगाई अलख, 92% रिजल्ट दे रहा विद्यालय - राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान

सुदूर और नक्सल प्रभावित इलाके में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित संत कुमार सहनी ने शिक्षा की अलख जगाने का काम किया है. शिक्षक संत कुमार सहनी ने गांव में स्थापित स्कूल को इलाके के बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर बनाया.

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Published : Sep 6, 2020, 10:50 PM IST

बेगूसराय: जिले के सुदूर और नक्सल प्रभावित इलाके में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित संत कुमार सहनी ने शिक्षा की अलख जगाने का काम किया है. शिक्षक संत कुमार सहनी ने गांव में स्थापित स्कूल को इलाके के बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर बनाया. जहां के बच्चे आज राष्ट्रीय स्तर पर आना नाम रौशन कर रहे हैं.

इतना ही नहीं इनकी कोशिश का ही परिणाम है कि नक्सली विचारधारा के लोग आज अपने बच्चो को हथियार की जगह शिक्षा का पाठ पढ़ा रहे हैं. लंबे प्रयास के बाद इलाके की सूरत बदलने वाले इस शिक्षक को सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया है. जिले के बीरपुर प्रखंड का खरमौली गांव इलाके का एक पिछड़ा गांव है. कुछ सालों पहले तक यहां स्कूल और शिक्षा की हालत काफी खराब थी. वर्ष 2004 में संत कुमार सहनी ने यहां के शिक्षा की सूरत बदलने की ठानी. गांव में 10 कठे की जमीन पर बना 2 कमरे का विद्यालय लोगों के मुँह चिढ़ाने का काम करता था. इतना ही नहीं स्कूल में नामांकित 134 बच्चों को स्कूल से कोई लेना देना नहीं था.

राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से किया गया सम्मानित
राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से किया गया सम्मानित

92 प्रतिशत रिजल्ट दे रहा विद्यालय
बाद में शिक्षक संत कुमार सहनी के सतत प्रयास से लोग जुड़ते और यह काम निरंतर चलता रहा. बता दें कि यह स्कूल प्रदेश में अपना एक खास स्थान रखता है और इसके लिए स्कूल ने कई पुरस्कार भी जीते हैं. इनकी कोशिशों का ही परिणाम है की आज इस विद्यालय में एक हजार से भी अधिक बच्चे प्रतिदिन स्कूल आते हैं. वहीं अब स्कूल के पास एक बीघा जमीन में 30 कमरे बन चुके हैं. खास बात यह है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के औसत 64 प्रतिशत के रिजल्ट के आंकड़े को पार करता हुआ यह विद्यालय 92 प्रतिशत रिजल्ट दे रहा है. यहां के बच्चें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना परचम लहरा रहे हैं.

शिक्षक दिवस के मौके पर मिला सम्मान
संत कुमार सहनी ने इसके अलावे यहां के लोगो को जागरूक करने का भी काम किया है. जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं. जिससे यहां के लोग बंदूक से परहेज कर शिक्षा में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. इनकी ढेर सारी कोशिश का परिणाम है कि शिक्षकों के सबसे सम्मानित पुरस्कार से केंद्र सरकार ने इन्हें नवाजा है. सूबे के दो शिक्षकों को इस पुरस्कार से शिक्षक दिवस के मौके पर सम्मानित किया गया है. संत कुमार साहनी का कहना है कि उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से इलाके में शिक्षा को स्थापित करने का काम किया है. जिसका बेहतर परिणाम आज देखने को मिल रहा है.

बेगूसराय: जिले के सुदूर और नक्सल प्रभावित इलाके में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित संत कुमार सहनी ने शिक्षा की अलख जगाने का काम किया है. शिक्षक संत कुमार सहनी ने गांव में स्थापित स्कूल को इलाके के बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर बनाया. जहां के बच्चे आज राष्ट्रीय स्तर पर आना नाम रौशन कर रहे हैं.

इतना ही नहीं इनकी कोशिश का ही परिणाम है कि नक्सली विचारधारा के लोग आज अपने बच्चो को हथियार की जगह शिक्षा का पाठ पढ़ा रहे हैं. लंबे प्रयास के बाद इलाके की सूरत बदलने वाले इस शिक्षक को सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया है. जिले के बीरपुर प्रखंड का खरमौली गांव इलाके का एक पिछड़ा गांव है. कुछ सालों पहले तक यहां स्कूल और शिक्षा की हालत काफी खराब थी. वर्ष 2004 में संत कुमार सहनी ने यहां के शिक्षा की सूरत बदलने की ठानी. गांव में 10 कठे की जमीन पर बना 2 कमरे का विद्यालय लोगों के मुँह चिढ़ाने का काम करता था. इतना ही नहीं स्कूल में नामांकित 134 बच्चों को स्कूल से कोई लेना देना नहीं था.

राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से किया गया सम्मानित
राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से किया गया सम्मानित

92 प्रतिशत रिजल्ट दे रहा विद्यालय
बाद में शिक्षक संत कुमार सहनी के सतत प्रयास से लोग जुड़ते और यह काम निरंतर चलता रहा. बता दें कि यह स्कूल प्रदेश में अपना एक खास स्थान रखता है और इसके लिए स्कूल ने कई पुरस्कार भी जीते हैं. इनकी कोशिशों का ही परिणाम है की आज इस विद्यालय में एक हजार से भी अधिक बच्चे प्रतिदिन स्कूल आते हैं. वहीं अब स्कूल के पास एक बीघा जमीन में 30 कमरे बन चुके हैं. खास बात यह है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के औसत 64 प्रतिशत के रिजल्ट के आंकड़े को पार करता हुआ यह विद्यालय 92 प्रतिशत रिजल्ट दे रहा है. यहां के बच्चें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना परचम लहरा रहे हैं.

शिक्षक दिवस के मौके पर मिला सम्मान
संत कुमार सहनी ने इसके अलावे यहां के लोगो को जागरूक करने का भी काम किया है. जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं. जिससे यहां के लोग बंदूक से परहेज कर शिक्षा में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. इनकी ढेर सारी कोशिश का परिणाम है कि शिक्षकों के सबसे सम्मानित पुरस्कार से केंद्र सरकार ने इन्हें नवाजा है. सूबे के दो शिक्षकों को इस पुरस्कार से शिक्षक दिवस के मौके पर सम्मानित किया गया है. संत कुमार साहनी का कहना है कि उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से इलाके में शिक्षा को स्थापित करने का काम किया है. जिसका बेहतर परिणाम आज देखने को मिल रहा है.

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