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अंग्रेजों के खून से सनी नवाब सिराजुद्दौला की तलवार बेगूसराय के इस गांव में है सुरक्षित

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Published : May 30, 2020, 1:58 PM IST

बेगूसराय पुरातत्व के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पौराणिक अवशेषों के हिसाब से यहां पाल वंश, मौर्य वंश और महात्मा बुध से जुड़ी कई चीजें खुदाई में मिल चुकी हैं.

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बेगूसरायः अंग्रेजी शासन के पूर्व आजाद भारत के अंतिम शासक नवाब सिराजुद्दौला की अंग्रेजों के खून से सनी तलवार बेगूसराय जिले में आज भी सुरक्षित है. ये तलवार नवाब सिराजुद्दौला ने अपने उस वीर सैनिक मो. सलीम को उपहार स्वरूप भेंट किया था, जिसने पलासी के युद्ध में उनकी जान बचाई थी.

संग्रहालय निर्माण के लिए प्रयासरत
जिले के गोदरगांवा गांव के आनंद कुमार सिंह की देखरेख में एक समृद्ध संग्रहालय की पृष्ठभूमि रची जा रही है. आनंद सिंह विप्लवी पुस्तकालय के सचिव हैं. इतिहास और पुरातत्व से जुड़ी चीजों में रूचि होने के कारण वो वर्षों से अपने गांव में संग्रहालय निर्माण को लेकर प्रयासरत हैं.

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पुस्तकालय के बाहर भगत सिंह का मूर्ती

स्वर्णिम अतीत
आनंद सिंह का मानना है कि बेगूसराय पुरातत्व के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पौराणिक अवशेषों के हिसाब से यहां पाल वंश, मौर्य वंश और महात्मा बुद्ध से जुड़ी कई चीजें खुदाई में मिल चुकी हैं. जो ये प्रमाणित करता है कि जिले का अतीत काफी स्वर्णिम था. पुरानी चीजों और उससे जुड़ी सामग्रियों को सहेजने के उद्देश्य से उन्होंने एक टीम बनाकर जिले के लोगों से इतिहास से जुड़ी चीजें संग्रहालय को दान में देने की अपील की, जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए.

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नवाब सिराजुद्दौला की तलवार

पलासी का युद्ध
जिले के विभिन्न प्रखंडों से इतिहास से जुड़ी चीजें लोग अब इस संग्रहालय को दान दे रहे हैं. इसी कड़ी में वर्षों पहले बखरी प्रखंड के सोनमा गांव निवासी मोहम्मद इदरीश ने एक तलवार दान दिया. जानकारों के अनुसार इदरीश के परदादा मोहम्मद सलीम बंगाल के राजा मोहम्मद सिराजुद्दौला की सैन्य टुकड़ी में अहम पद पर थे. जब पलासी के युद्ध में मीर जाफर ने नवाब सिराजुद्दौला को धोखा दिया और दूसरी ओर रॉबर्ट क्लाइब के ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया तो मोहम्मद सलीम और उसके सहयोगी सैनिकों ने मिलकर उनकी जान बचाई.

देखें रिपोर्ट

उपहार स्वरूप भेंट की थी तलवार
युद्ध हार जाने के बाद नवाब सिराजुद्दौला ने बंगाल छोड़ने के समय मोहम्मद सलीम की वीरता और तलवारबाजी से प्रसन्न होकर अपनी तलवार उसे उपहार स्वरूप भेंट कर दी. जिसमें 9 हीरे जड़े थे. सलीम की मौत के बाद यह तलवार उनके वंशज के पास सुरक्षित रखी थी. कुछ लोगों ने इसमें जड़े हीरे चुरा लिए, जिसके बाद तलवार के चोरी होने के डर से सलीम के प्रपौत्र ने संग्रहालय को दान कर दिया.

पुरातत्व से जुड़ी महत्वपूर्ण चीजों का संग्रह
आनंद सिंह ने बताया कि गोदरगांवा गांव में एक समृद्ध संग्रहालय की स्थापना होनी है. जिसके मद्देनजर संग्रहालय में चीजों को संग्रहित करने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है. उन्होंने बताया कि नवलगढ़ इलाके में हुई खुदाई के दौरान पुरातत्व से जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीजें यहां की शोभा बढ़ा रही हैं.

बेगूसरायः अंग्रेजी शासन के पूर्व आजाद भारत के अंतिम शासक नवाब सिराजुद्दौला की अंग्रेजों के खून से सनी तलवार बेगूसराय जिले में आज भी सुरक्षित है. ये तलवार नवाब सिराजुद्दौला ने अपने उस वीर सैनिक मो. सलीम को उपहार स्वरूप भेंट किया था, जिसने पलासी के युद्ध में उनकी जान बचाई थी.

संग्रहालय निर्माण के लिए प्रयासरत
जिले के गोदरगांवा गांव के आनंद कुमार सिंह की देखरेख में एक समृद्ध संग्रहालय की पृष्ठभूमि रची जा रही है. आनंद सिंह विप्लवी पुस्तकालय के सचिव हैं. इतिहास और पुरातत्व से जुड़ी चीजों में रूचि होने के कारण वो वर्षों से अपने गांव में संग्रहालय निर्माण को लेकर प्रयासरत हैं.

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पुस्तकालय के बाहर भगत सिंह का मूर्ती

स्वर्णिम अतीत
आनंद सिंह का मानना है कि बेगूसराय पुरातत्व के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पौराणिक अवशेषों के हिसाब से यहां पाल वंश, मौर्य वंश और महात्मा बुद्ध से जुड़ी कई चीजें खुदाई में मिल चुकी हैं. जो ये प्रमाणित करता है कि जिले का अतीत काफी स्वर्णिम था. पुरानी चीजों और उससे जुड़ी सामग्रियों को सहेजने के उद्देश्य से उन्होंने एक टीम बनाकर जिले के लोगों से इतिहास से जुड़ी चीजें संग्रहालय को दान में देने की अपील की, जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए.

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नवाब सिराजुद्दौला की तलवार

पलासी का युद्ध
जिले के विभिन्न प्रखंडों से इतिहास से जुड़ी चीजें लोग अब इस संग्रहालय को दान दे रहे हैं. इसी कड़ी में वर्षों पहले बखरी प्रखंड के सोनमा गांव निवासी मोहम्मद इदरीश ने एक तलवार दान दिया. जानकारों के अनुसार इदरीश के परदादा मोहम्मद सलीम बंगाल के राजा मोहम्मद सिराजुद्दौला की सैन्य टुकड़ी में अहम पद पर थे. जब पलासी के युद्ध में मीर जाफर ने नवाब सिराजुद्दौला को धोखा दिया और दूसरी ओर रॉबर्ट क्लाइब के ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया तो मोहम्मद सलीम और उसके सहयोगी सैनिकों ने मिलकर उनकी जान बचाई.

देखें रिपोर्ट

उपहार स्वरूप भेंट की थी तलवार
युद्ध हार जाने के बाद नवाब सिराजुद्दौला ने बंगाल छोड़ने के समय मोहम्मद सलीम की वीरता और तलवारबाजी से प्रसन्न होकर अपनी तलवार उसे उपहार स्वरूप भेंट कर दी. जिसमें 9 हीरे जड़े थे. सलीम की मौत के बाद यह तलवार उनके वंशज के पास सुरक्षित रखी थी. कुछ लोगों ने इसमें जड़े हीरे चुरा लिए, जिसके बाद तलवार के चोरी होने के डर से सलीम के प्रपौत्र ने संग्रहालय को दान कर दिया.

पुरातत्व से जुड़ी महत्वपूर्ण चीजों का संग्रह
आनंद सिंह ने बताया कि गोदरगांवा गांव में एक समृद्ध संग्रहालय की स्थापना होनी है. जिसके मद्देनजर संग्रहालय में चीजों को संग्रहित करने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है. उन्होंने बताया कि नवलगढ़ इलाके में हुई खुदाई के दौरान पुरातत्व से जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीजें यहां की शोभा बढ़ा रही हैं.

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