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सराहनीय पहल: लॉकडाउन के बीच घर से 30 KM दूर जाकर करा रहे बेजुबानों को भोजन

सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों में कैद हैं. ऐसे में सड़क पर रहने वाले पशु-पक्षियों और जानवरों की जान मुश्किल में है. इन्हें खाना और पानी नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से वे प्रतिदिन बेजुबानों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं.

बेजुबानों को भोजन
बेजुबानों को भोजन
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Published : May 1, 2020, 12:58 PM IST

बेगूसराय: कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संकट में इंसानों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों के आसपास रहने वाले बेजुबान जानवरों के सामने भी भोजन का संकट खड़ा हो गया है. इस मुश्किल समय मे कुछ गैर सरकारी संस्थाओ की तरफ से जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध कर रहे हैं. वन्य जीवों की परेशानी को देखते हुए जिले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बेजुबान को प्रतिदिन खाना खिलाने का जिम्मा उठाया है. सामाजिक कार्यकर्ता संजय गौतम प्रतिदिन अपने घर से 30 किलोमीटर दूर जाकर पशुओं को भोजन कराते हैं. ऐसी संकट की स्थिति में सामाजिक कार्यकर्ता की दरियादिली प्रशंसनीय है.

'मुश्किल में है वन्य जीवों की जान'
इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संजय गौतम बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी दफ्तर, दुकानें और होटल बंद हैं. लोग अपने घरों में कैद हैं. ऐसे में सड़क पर रहने वाले पशु-पक्षियों और जानवरों की जान मुश्किल में है. इन्हें खाना और पानी नहीं मिल पा रहा है. बेगूसराय स्थित जयमंगला गढ़ 52 शक्तिपीठों में से एक है. यहां पर सालों भर हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए रोज आते थे. श्रद्धालु यहां रहने वाले वन्यजीवों के लिए भोजन मुहैया करने का जरिया बनते थे. लेकिन लॉक डाउन के कारण यहां रह रहे वन्यजीवों के सामने भोजन की समस्याएं खड़ी हो गई. उन्होंने बताया कि वे अपनी एक टीम के साथ जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर जयमंगला के वन्य क्षेत्रो में जाकर बन्यजीवों के बीच भोजन का वितरण कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'लॉकडाउन तक जारी रहेगा अभियान'
इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता संजय गौतम ने बताया कि बंदी के दौरान कई सामाजिक संस्था और सरकारी तंत्र इंसानों के लिए भोजन तो उपलब्ध करा रही है. लेकिन बेजुबानों के लिए कोई पहल नहीं कि गई. इस वजह से उन्होंने यह जिम्मा उठाया है. उन्होंने बताया कि मानव जीवन के लिए धरती पर पशु-पक्षियों का रहना भी अनिवार्य है. वन्य जीव और मानव जीवन के तालमेल से पृथ्वी का संतुलन बना रहता है. उनकी टीम अभी तक दस हजार लोगों को राहत सामग्री भी वितरित कर चुकी है. वहीं, बेजुबान जानवरो के लिए उनकी टीम जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर जयमंगला के वन्य क्षेत्रो में जाकर वन्य जीवों को भी लगातार भोजन उपलब्ध करा रही है. यह अभियान लागू लॉकडाउन तक अनवरत रूप से जारी रहेगा.

बेगूसराय: कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संकट में इंसानों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों के आसपास रहने वाले बेजुबान जानवरों के सामने भी भोजन का संकट खड़ा हो गया है. इस मुश्किल समय मे कुछ गैर सरकारी संस्थाओ की तरफ से जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध कर रहे हैं. वन्य जीवों की परेशानी को देखते हुए जिले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बेजुबान को प्रतिदिन खाना खिलाने का जिम्मा उठाया है. सामाजिक कार्यकर्ता संजय गौतम प्रतिदिन अपने घर से 30 किलोमीटर दूर जाकर पशुओं को भोजन कराते हैं. ऐसी संकट की स्थिति में सामाजिक कार्यकर्ता की दरियादिली प्रशंसनीय है.

'मुश्किल में है वन्य जीवों की जान'
इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संजय गौतम बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी दफ्तर, दुकानें और होटल बंद हैं. लोग अपने घरों में कैद हैं. ऐसे में सड़क पर रहने वाले पशु-पक्षियों और जानवरों की जान मुश्किल में है. इन्हें खाना और पानी नहीं मिल पा रहा है. बेगूसराय स्थित जयमंगला गढ़ 52 शक्तिपीठों में से एक है. यहां पर सालों भर हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए रोज आते थे. श्रद्धालु यहां रहने वाले वन्यजीवों के लिए भोजन मुहैया करने का जरिया बनते थे. लेकिन लॉक डाउन के कारण यहां रह रहे वन्यजीवों के सामने भोजन की समस्याएं खड़ी हो गई. उन्होंने बताया कि वे अपनी एक टीम के साथ जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर जयमंगला के वन्य क्षेत्रो में जाकर बन्यजीवों के बीच भोजन का वितरण कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'लॉकडाउन तक जारी रहेगा अभियान'
इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता संजय गौतम ने बताया कि बंदी के दौरान कई सामाजिक संस्था और सरकारी तंत्र इंसानों के लिए भोजन तो उपलब्ध करा रही है. लेकिन बेजुबानों के लिए कोई पहल नहीं कि गई. इस वजह से उन्होंने यह जिम्मा उठाया है. उन्होंने बताया कि मानव जीवन के लिए धरती पर पशु-पक्षियों का रहना भी अनिवार्य है. वन्य जीव और मानव जीवन के तालमेल से पृथ्वी का संतुलन बना रहता है. उनकी टीम अभी तक दस हजार लोगों को राहत सामग्री भी वितरित कर चुकी है. वहीं, बेजुबान जानवरो के लिए उनकी टीम जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर जयमंगला के वन्य क्षेत्रो में जाकर वन्य जीवों को भी लगातार भोजन उपलब्ध करा रही है. यह अभियान लागू लॉकडाउन तक अनवरत रूप से जारी रहेगा.

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