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महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं शुक्ला मिस्त्री, देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास को दे रही हैं नया आयाम - Manager Director of Barauni Refinery

वर्तमान में बरौनी रिफाइनरी की क्षमता विस्तार का काम चल रहा है. आने वाले दिनों में ये 6 हजार मैट्रिक टन से आगे बढ़कर 9 हजार मैट्रिक टन तेल का उत्पादन करेगी. इस रिफाइनरी को एक बार फिर से देश का नंबर वन रिफाइनरी बनाने के लिए शुक्ला मिस्त्री रात दिन काम कर रही हैं.

शुक्ला मिस्त्री
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Published : Sep 16, 2019, 10:59 AM IST

बेगूसराय: बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निदेशक शुक्ला मिस्त्री आज महिला सशक्तिकरण की एक नायाब उदाहरण हैं. शुक्ला मिस्त्री देश की आर्थिक और औद्योगिक विकास में ना सिर्फ अपनी महती भूमिका निभा रही हैं, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर भी ले जा रही हैं.

आयरन लेडी के नाम से मशहूर शुक्ला मिस्त्री एक बेहद ही गरीब परिवार से हैं. गरीबी के बीच अपनी जिंदगी की शुरुआत करने वाली इस महिला ने पंखों से नहीं, बल्कि हौसलों की उड़ान से समाज और देश की महिलाओं के बीच एक मिसाल पेश की है. ये अपने गांव की पहली महिला हैं, जिन्होंने पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया. आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछडे़ गांव में जन्म लेने वाली इस महिला ने इंजीनियरिंग की न सिर्फ पढ़ाई पूरी की, बल्कि इंजीनियर बनकर लोगों की प्रेरणाश्रोत बनीं.

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बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिस्त्री

बरौनी रिफाइनरी की बढ़ेगी क्षमता
शुक्ला मिस्त्री को केंद्र सरकार ने करोड़ों की लागत से बरौनी रिफाइनरी की क्षमता विस्तार की जवाबदेही सौंपी है. अब तक छह हजार मैट्रिक टन का उत्पादन करने की क्षमता रखने वाले बरौनी रिफाइनरी में आज नौ हजार मैट्रिक टन का उत्पादन करने का काम चल रहा है. बरौनी रिफाइनरी को एक बार फिर से देश का नंबर वन रिफाइनरी बनाने के लिए शुक्ला मिस्त्री रात दिन एक कर रही हैं.

सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से हैं शुक्ला मिस्त्री
बता दें कि बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निदेशक शुक्ला मिस्त्री का जन्म पश्चिम बंगाल के 24 परगना के सुंदरवन इलाके में पड़ने वाले बसंती गांव में हुआ है. ये जंगलों से भरा सुदूर ग्रामीण क्षेत्र है. पढ़ाई के प्रति गहरे लगाव के कारण ही शुक्ला मिस्त्री ने गांव के बाद पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया. ये गांव की पहली महिला बनीं, जिन्होंने शहर जाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. कठिन मेहनत और डेडिकेशन के बल पर इन्होंने रिफाइनरी की नौकरी में अपनी उपयोगिता साबित की.

BEGUSARAI
कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची शुक्ला मिस्त्री

टीम वर्क में रखती हैं यकीन
शुक्ला मिस्त्री का कहना है कि इन्होंने खुद को एक व्यक्ति मानकर जिंदगी जिया है. जितने भी काम करने वाले लोग है उनके अंदर असीम संभावनाएं हैं. जरूरत इस बात की है कि इसका सही दिशा में उपयोग किया जाए. शुक्ला मिस्त्री टीम वर्क में यकीन रखती हैं, इनका मानना है कि कोई भी काम कठिन नहीं है. जरूरत है कि इसे बेहतर ढंग से किया जाए.

'कठिन परिश्रम के बिना कुछ भी संभव नहीं'
ईटीवी भारत से खास बातचीत में शुक्ला मिस्त्री ने बताया कि जीवन में हार्ड वर्क और टीम मंत्र उन्हें आगे बढ़ने में काफी मदद करती है. कठिन परिश्रम और लीडरशिप की प्रवृति कार्य दक्षता प्रदान करती है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि जब आपके अंदर नेतृत्व क्षमता मजबूत होगी, तभी अब अपने सुंदर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं. इसके लिए दृढ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है.

begusarai
महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं शुक्ला मिस्त्री

'महिला पुरूष से कम नहीं'
उन्होंने कहा कि हमारा समाज सोचता है कि पुरुषों के लिए कुछ काम करना आसान होता है और यही हमारी सामाजिक संरचना भी है. लेकिन जहां तक मेरा प्रश्न है, मैं इस प्रकार के विवाद में विश्वास नहीं करती हूं. कोई भी महिला किसी भी कार्य को कर सकती है.

अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा स्रोत बनीं शुक्ला मिस्त्री
फिलहाल शुक्ला मिस्त्री 24 घंटे रिफाइनरी के विस्तारीकरण की योजना पर काम कर रही हैं. इनकी इन कोशिशों का ही नतीजा है कि शुक्ला मिस्त्री दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं. शिक्षाविद सह बीपी हाईस्कूल की पूर्व प्रधानाध्यापिका डॉ. चंद्र पुनीता ने कहा कि शुक्ला मिस्त्री की कार्यशाली से काफी प्रभावित हूं. मैं चाहती हूं कि अन्य महिलाएं भी इनसे प्रभावित हो.

बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिस्त्री से खास बातचीत

रिफाइनरी की क्षमता विस्तार का हो रहा काम
बता दें कि बरौनी रिफाइनरी देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास की महत्वपूर्ण कड़ी है. वर्तमान में रिफाइनरी की क्षमता विस्तार का काम चल रहा है. आने वाले दिनों में ये 6 हजार मैट्रिक टन से आगे बढ़कर नौ हजार मैट्रिक टन तेल का उत्पादन करेगी. वर्तमान में बरौनी रिफाइनरी में दो हजार से अधिक कर्मचारी और ठेका कर्मचारी काम करते हैं, जिनकी देखरेख की जिम्मेवारी भी शुक्ला मिस्त्री के हाथों में हैं.

बेगूसराय: बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निदेशक शुक्ला मिस्त्री आज महिला सशक्तिकरण की एक नायाब उदाहरण हैं. शुक्ला मिस्त्री देश की आर्थिक और औद्योगिक विकास में ना सिर्फ अपनी महती भूमिका निभा रही हैं, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर भी ले जा रही हैं.

आयरन लेडी के नाम से मशहूर शुक्ला मिस्त्री एक बेहद ही गरीब परिवार से हैं. गरीबी के बीच अपनी जिंदगी की शुरुआत करने वाली इस महिला ने पंखों से नहीं, बल्कि हौसलों की उड़ान से समाज और देश की महिलाओं के बीच एक मिसाल पेश की है. ये अपने गांव की पहली महिला हैं, जिन्होंने पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया. आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछडे़ गांव में जन्म लेने वाली इस महिला ने इंजीनियरिंग की न सिर्फ पढ़ाई पूरी की, बल्कि इंजीनियर बनकर लोगों की प्रेरणाश्रोत बनीं.

begusarai
बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिस्त्री

बरौनी रिफाइनरी की बढ़ेगी क्षमता
शुक्ला मिस्त्री को केंद्र सरकार ने करोड़ों की लागत से बरौनी रिफाइनरी की क्षमता विस्तार की जवाबदेही सौंपी है. अब तक छह हजार मैट्रिक टन का उत्पादन करने की क्षमता रखने वाले बरौनी रिफाइनरी में आज नौ हजार मैट्रिक टन का उत्पादन करने का काम चल रहा है. बरौनी रिफाइनरी को एक बार फिर से देश का नंबर वन रिफाइनरी बनाने के लिए शुक्ला मिस्त्री रात दिन एक कर रही हैं.

सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से हैं शुक्ला मिस्त्री
बता दें कि बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निदेशक शुक्ला मिस्त्री का जन्म पश्चिम बंगाल के 24 परगना के सुंदरवन इलाके में पड़ने वाले बसंती गांव में हुआ है. ये जंगलों से भरा सुदूर ग्रामीण क्षेत्र है. पढ़ाई के प्रति गहरे लगाव के कारण ही शुक्ला मिस्त्री ने गांव के बाद पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया. ये गांव की पहली महिला बनीं, जिन्होंने शहर जाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. कठिन मेहनत और डेडिकेशन के बल पर इन्होंने रिफाइनरी की नौकरी में अपनी उपयोगिता साबित की.

BEGUSARAI
कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची शुक्ला मिस्त्री

टीम वर्क में रखती हैं यकीन
शुक्ला मिस्त्री का कहना है कि इन्होंने खुद को एक व्यक्ति मानकर जिंदगी जिया है. जितने भी काम करने वाले लोग है उनके अंदर असीम संभावनाएं हैं. जरूरत इस बात की है कि इसका सही दिशा में उपयोग किया जाए. शुक्ला मिस्त्री टीम वर्क में यकीन रखती हैं, इनका मानना है कि कोई भी काम कठिन नहीं है. जरूरत है कि इसे बेहतर ढंग से किया जाए.

'कठिन परिश्रम के बिना कुछ भी संभव नहीं'
ईटीवी भारत से खास बातचीत में शुक्ला मिस्त्री ने बताया कि जीवन में हार्ड वर्क और टीम मंत्र उन्हें आगे बढ़ने में काफी मदद करती है. कठिन परिश्रम और लीडरशिप की प्रवृति कार्य दक्षता प्रदान करती है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि जब आपके अंदर नेतृत्व क्षमता मजबूत होगी, तभी अब अपने सुंदर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं. इसके लिए दृढ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है.

begusarai
महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं शुक्ला मिस्त्री

'महिला पुरूष से कम नहीं'
उन्होंने कहा कि हमारा समाज सोचता है कि पुरुषों के लिए कुछ काम करना आसान होता है और यही हमारी सामाजिक संरचना भी है. लेकिन जहां तक मेरा प्रश्न है, मैं इस प्रकार के विवाद में विश्वास नहीं करती हूं. कोई भी महिला किसी भी कार्य को कर सकती है.

अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा स्रोत बनीं शुक्ला मिस्त्री
फिलहाल शुक्ला मिस्त्री 24 घंटे रिफाइनरी के विस्तारीकरण की योजना पर काम कर रही हैं. इनकी इन कोशिशों का ही नतीजा है कि शुक्ला मिस्त्री दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं. शिक्षाविद सह बीपी हाईस्कूल की पूर्व प्रधानाध्यापिका डॉ. चंद्र पुनीता ने कहा कि शुक्ला मिस्त्री की कार्यशाली से काफी प्रभावित हूं. मैं चाहती हूं कि अन्य महिलाएं भी इनसे प्रभावित हो.

बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिस्त्री से खास बातचीत

रिफाइनरी की क्षमता विस्तार का हो रहा काम
बता दें कि बरौनी रिफाइनरी देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास की महत्वपूर्ण कड़ी है. वर्तमान में रिफाइनरी की क्षमता विस्तार का काम चल रहा है. आने वाले दिनों में ये 6 हजार मैट्रिक टन से आगे बढ़कर नौ हजार मैट्रिक टन तेल का उत्पादन करेगी. वर्तमान में बरौनी रिफाइनरी में दो हजार से अधिक कर्मचारी और ठेका कर्मचारी काम करते हैं, जिनकी देखरेख की जिम्मेवारी भी शुक्ला मिस्त्री के हाथों में हैं.

Intro:दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। एक ऐसी ही शख्सियत का नाम है शुक्ला मिस्त्री । बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिस्त्री आज महिला सशक्तिकरण की एक नायाब उदाहरण है । शुक्ला मिस्त्री देश की आर्थिक और औद्योगिक विकास में ना सिर्फ अपनी महती भूमिका निभा रही हैं बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर भी ले जा रही है । आयरन लेडी के नाम से मशहूर शुक्ला मिस्त्री का संबंध एक बेहद ही गरीब परिवार से है । गरीबी और मुफ़्लिशी के बीच अपनी जिंदगी की शुरुआत करने वाली इस महिला ने पंखों से नही, बल्कि हौसलों की उड़ान से समाज और देश के महिलाओं के बीच एक मिसाल पेश किया । कड़ी मेहनत और लगन को अपना पथ प्रदर्शक मानने वाली , गावँ और इलाके की वो पहली महिला है जिन्होंने पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया । आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछडे गावँ में जन्म लेने वाली इलाके की वो पहली महिला है जिन्होंने इंजीनियरिंग की न सिर्फ़ पढ़ाई पूरी की बल्कि इंजीनयर बनकर लोगो की प्रेरणाश्रोत बनी । जीवन मे कठिन चुनौतियों के बीच खुद को स्थापित करने वाली इस महिला ने ,देश के आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण कड़ी कहे जाने वाले बरौनी रिफाइनरी की प्रबंध निर्देशक का पद हासिल कर, मर्दों के बीच अपनी काबलियत का लोहा मनवाया । जिंदगी में कभी हार नही मानने वाली इस महिला के सर पर , केंद्र सरकार ने करोड़ों की लागत से बरौनी रिफाइनरी की क्षमता बिस्तार की जवाबदेही सौपी है । अबतक छह हजार मैट्रिक टन की उत्पादन की छमता वाले बरौनी रिफाइनरी में आज करोड़ों की लागत से नौ हजार मैट्रिक टन क्षमता का काम चल रहा है । हजारों कर्मचारियों की क्षमता वाले बरौनी रिफाइनरी को एक बार फिर से देश का नंबर वन रिफाइनरी बनाने के लिए शुक्ला मिस्त्री रात दिन एक कर रही है ।।


Body:अगर आपके अंदर कुछ करने का दमखम हो तो गरीबी और मुफलिसी इसके सामने बौने साबित होते है । यैसी ही एक महिला नाम है शुक्ल मिस्त्री । वर्तमान में बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिस्त्री का जन्म पश्चिम बंगाल के 24 परगना के सुंदरवन इलाके में पड़ने वाले बसंती गावँ में हुआ है । ये वो गावँ है जो जंगलों से भरा सुदूर ग्रामीण क्षेत्र है ।उस बक्त आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े इस गावँ में एक अति सामान्य परिवार में जन्म लेने वाली शुक्ला मिस्त्री बचपन से ही होनहार थी । पढ़ाई के प्रति गहरे लगाव के कारण ही शुकला मिस्त्री ने गावँ के बाद पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया । यह एक संजोग है कि ये ये गावँ की पहली महिला बनी जिन्होंने कठिन मेहनत के बल पर न सिर्फ गावँ से पढ़ाई के।लिए शहर आई बल्कि गावँ की पहली इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली पहली महिला भी बनी । बाद में इन्होंने कठिन परीक्षा को पास कर रिफाइनरी की नौकरी हासिल की उसके बाद कभी पीछे मुड़ कर नही देखा । कठिन मेहनत और डेडिकेशन के बल पर इन्होंने रिफाइनरी की नौकरी में अपनी उपयोगिता साबित की । मर्दो से कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाली इस।महिला ने टीम वर्क , कठिन मेहनत और आत्मविश्वास को बनाये रखा । यैसा नही है कि इन्होंने इस दरम्यान काफी मुसिबतों का सामना।नही किया पर परिस्थितियों से लड़कर इन्होंने खुद को स्थापित किया । नौकरी के दौरान कई बार इन्हें महिला होने का दंश झेलना पड़ा पर , इनका इनका मानना है की इनके जीवन मे कई यैसी घटनाएं जो पहली बार हुआ । इनका मानना है कि इनके अंदर औरत और मर्द होने का फीलिंग बिल्कुल ही नही है इन्होंने खुद को एक वयक्ति मानकर जिंदगी जिया । इनका कहना है।कि जितने भी काम करने वाले लोग है उनके अंदर असीम संभाबनाये है जरूरत इस बात की है कि सही दिशा में इसका उपयोग किया जाए । शुक्ला मिस्त्री टीम वर्क में यकीन रखती है और इसके सहारे ही बड़े से बड़े काम को मजबूती से अंजाम तक पहुंचाती है ।इनका ये भी मानना है कि कोई भी काम कठिन नही है ज़रूरत है इसे बेहतर ढंग से किया जाए । दुसरो के दुख दर्द में अपना भरपूर सहयोग करने वाली इस शख्शियत ने लोगो को हौसला अफजाई कर उनकी भरपूर मदद करने का।काम।किया । बरौनी रिफाइनरी के प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिश्री का मानना है कि मैं एक ऐसा बाताबरण तैयार करना चाहता हु जहा कोई भेदभाव न हो । जीवन में कई ऐस मौके आते है जब आपको खट्टे और मीठे पन का एहसास होता है, पर आपको खट्टी चीजों को नीचे में तब्दील करना होता है । इनका कहना है कि मैं औरत और मर्द के बीच भेद नहीं करती । जीवन के घटना क्रम का जिक्र करते हुए शुक्ला मिस्त्री ने बताया कि एक बक्त उन्हें तब इनफिनिटी कंपलेक्स का एहसास हुआ जब मुझे इंस्पेक्टिंग इंजीनियर के काम से वंचित रखा गया । जबकि मैं इस काम को करने के लिए सक्षम थी और जब मैंने इस काम को किया तुम्हें अपने आप कंफर्टेबल फील कर रही थी । इनका मानना है कि उनके जीवन में हार्ड वर्क और टीम मंत्रा उन्हें आगे बढ़ने में काफी मदद करती है । इनका कहना है कि जब आप व्यवसाय क्षेत्र की ओर जाते हैं तो आपको आने को संघर्ष का सामना करना पड़ता है । पर जब आप अपने मित्रों के ऊपर प्रतियोगी बनकर उभरते हैं इसके बाद ही आपका चयन हो पाता है। उनका यह भी मानना है कि कठिन परिश्रम और लीडरशिप की प्रवृत्ति कार्स दक्षता प्रदान करती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि जब आपके अंदर नेतृत्व क्षमता मजबूत होगी तभी अब आपने सुंदर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं। इनका मानना है कि इसके लिए दृढ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है। इनका कहना है कि जीवन में अनेक कठिनाइयां आती है और उस पर विजय प्राप्त करना ही आपकी सफलता की निशानी है ।। इनका मानना है कि इनके अंदर किसी तरह का कॉन्प्लेक्स नहीं है यह पुरुष और स्त्रियों के बीच विभेद नहीं करती बल्कि इन्हें एक फैशन के रूप में देखती हैं। उन्होंने कहा कि हमारा समाज ऐसा सोचता है कि पुरुषों के लिए कुछ काम करना आसान होता है। और यही हमारी सामाजिक संरचना भी है लेकिन जहां तक मेरा प्रश्न है मैं इस प्रकार के विवाद में विश्वास नहीं करती हूं । इनका कहना है कि जब आप इस प्रकार की बिभेद में विश्वास नहीं करती हैं तो अनेकों काम कर सकती हैं तब आप इन बातों से ऊपर होते हैं। इनका मानना है कि मेरे अधीन काम करने वाले सभी लोगों के अंदर कार्यक्षमता है अगर इनकी क्षमता का सही उपयोग किया जाए तो कठिन से कठिन काम भी पूरे किए जा सकते हैं ,मैं उन्हें कांमकरने के लिए प्रेरित करती हूं । प्रबंध निदेशक शुक्ला मिस्त्री का कहना है कि मैं पुरुष और स्त्रियों के बीच कोई अंतर नहीं समझती हूं कभी-कभी पुरुषों को जो काट दिए जाते हैं स्त्रियों को उन कामों से अलग रखा जाता है ऐसा समझा जाता है कि महिला होने के कारण वह इस काम को करने में सक्षम नहीं है । यह केवल सामाजिक संरचना में निहित है । इनका मानना है कि नहीं नहीं कोई भी महिला किसी भी कार्य को कर सकती हैं । शुक्ला मिस्त्री की माने तो यह जिस देश में जन्म ली है इसकी तुलना अमेरिका से नहीं की जा सकती है क्योंकि भारत में अलग प्रकार की कार्य प्रबृत्ति है जो हमें स्वीकार करना पड़ेगा और इन बातों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा । महिला सशक्तिकरण के इस दौर में एक बेहतरीन उदाहरण के तौर पर देखे जाने वाली आयरन लेडी शुक्ला मिस्त्री का मानना है कि वो कठिन परिश्रम में विश्वास रखती है ।
फिलहाल शुक्ला मिस्त्री 24 घंटे रिफाइनरी के विस्तारीकरण की योजना पर काम कर रही है । और आने वाला दिन बरौनी रिफाइनरी के लिए बेहतर दिन बनकर आये, इंसके लिए लगातार प्रयासरत है । इनकी इन कोशिशों के ही नतीजा है कि शुक्ला मिस्त्री दूसरी महिलाओ के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है । बताते चलें कि बरौनी रिफायनरी देश के आर्थिक विकास और औद्योगिक विकास की महत्वपूर्ण कड़ी है । वर्तमान में पुराने रिफाइनरी के क्षमता विस्तार का काम चल रहा है। आने वाले दिनों में दौड़ने के फायदे 6 हजार मैट्रिक टन से आगे बढ़कर नौ हजार मैट्रिक टन तेल का उत्पादन करेगी । जिसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी का निर्वाह वर्तमान में बरौनी रिफाइनरी की प्रबंधक निर्देशक शुक्ला मिस्त्री कर रही हैं । वर्तमान में बरौनी रिफाइनरी में दो हजार से अधिक कर्मचारी और ठेका कर्मचारी काम करते हैं जिसका नेतृत्व और जिनकी देखरेख की जिम्मेवारी भी शुक्ला मिस्त्री के हाथों में हैं। कर्मचारियों में बेहतर कार्य क्षमता का उपयोग और इन कर्मचारियों की देखरेख की जिम्मेवारी शुक्ला मिस्त्री बखूबी निभा रही हैं। 24 घंटे की मेहनत करने वाली शुक्ला मिस्त्री को लोग आयरन लेडी के नाम से जानते है और इनसे सीख लेते है ।
टिक टैक- शुक्ला मिस्त्री - एक्सक्यूटिव डायरेक्टर बरौनी रिफायनरी
बाइट - डॉक्टर चंद्र पुनीता - शिक्षाविद सह पूर्ब प्रधानाध्यापिका बीपी हाई स्कूल बेगूसराय



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