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'नीतीश-लालू की सरकार में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त, खिचड़ी केंद्र बनकर रह गया स्कूल'- प्रशांत किशोर - प्रशांत किशोर

Jan Suraj Yatra: बेगूसराय में प्रशांत किशोर ने कहा-लालू-नीतीश की सरकार में बिहार की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गया है. स्कूल केवल खिचड़ी वितरण का केंद्र बनकर रह गया है. कॉलेज में सिर्फ डिग्री बांटी जा रही है. पढ़ें पूरी खबर.

बेगूसराय में प्रशांत किशोर
बेगूसराय में प्रशांत किशोर
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 7, 2024, 8:33 PM IST

बेगूसरायः जन सुराज यात्रा के तहत प्रशांत किशोर बेगूसराय पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लालू नीतीश की सरकार पर सवाल उठाए. कहा कि लालू-नीतीश के 20 से 30 सालों की सरकार में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है. बिहार की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी और पलायन है.

शिक्षा दूसरी सबसे बड़ी समस्याः प्रशांत किशोर ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते कहा कि बिहार में दूसरी सबसे बड़ी समस्या शिक्षा व्यवस्था है. स्कूलों की छवि खिचड़ी बांटने का केंद्र और कॉलेज की स्थिति डिग्री बांटने का केंद्र हो गया है. लगता है कि बिहार में खिचड़ी बांटने से पढ़ाई बिगड़ गया है. प्रशांत किशोर ने साफ तौर पर कहा कि बिहार में पिछले 20- 30 वर्षों में समाज और सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा रह ही नहीं गई है.

"अब तक हमने साढ़े चार हजार गांवों का दौरा किया है. एक प्रश्न हर वक्त करता हूं कि पढ़ाई की व्यवस्था सुधारनी चाहिए. लोग हाथ उठाकर यह कहते हैं कि व्यवस्था सुधारनी चाहिए. लोगों ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए वोट किए हैं, लेकिन लालू-नीतीश की सरकार में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गया है." - प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

स्कूल बना खिचड़ी केंद्रः प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि बच्चा स्कूल जाए. वहां से खिचड़ी, पोशाक और साइकिल मिल जाए काफी है. वह भी अपने बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. प्रशांत किशोर ने इस बात से इनकार किया कि बिहार में नियोजित शिक्षकों की वजह से पढ़ाई की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. उन्होंने कहा कि सरकार तो चाहती है कि कोई न पढ़े, सभी अनपढ़ रहे.

समाजाकि कल्यान केंद्र बन गया स्कूलः प्रशांत ने कहा कि समता मुलक शिक्षा नीति बनाने के चककर में विद्यालयों का विशुद्ध रूप से सामाजिक कल्याण के केंद्र के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका नतीजा यह हुआ है कि जहां विद्यालय बने हैं, वहां पर शिक्षक नहीं है. जहां शिक्षक हैं, वहां विद्यालय नहीं है. जहां दोनों हैं वहां छात्र नहीं है. जहां तीनों है वहां पढ़ाई नहीं है.

बिहार सरकार ने ध्वस्त की शिक्षा व्यवस्थाः प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में पहले भी शिक्षा व्यवस्था सही नहीं थी, लेकिन जिलों में दो चार पांच विद्यालय ऐसे होते थे, जहां पढ़ कर आप कुछ अच्छा कर सकते थे. कमिश्नरी में कुछ ऐसे कॉलेज थे, जहां पढ़ कर कुछ कर सकते थे, लेकिन नीतीश-लालू के राज में इसे पूरी तरीके से ध्वस्त कर दिया गया.

यह भी पढ़ेंः प्रशांत किशोर का बड़ा दावा- 'नीतीश के राजनीतिक जीवन का अंतिम दौर, 243 सीटों पर 2025 में लड़ेगी जन सुराज'

बेगूसरायः जन सुराज यात्रा के तहत प्रशांत किशोर बेगूसराय पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लालू नीतीश की सरकार पर सवाल उठाए. कहा कि लालू-नीतीश के 20 से 30 सालों की सरकार में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है. बिहार की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी और पलायन है.

शिक्षा दूसरी सबसे बड़ी समस्याः प्रशांत किशोर ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते कहा कि बिहार में दूसरी सबसे बड़ी समस्या शिक्षा व्यवस्था है. स्कूलों की छवि खिचड़ी बांटने का केंद्र और कॉलेज की स्थिति डिग्री बांटने का केंद्र हो गया है. लगता है कि बिहार में खिचड़ी बांटने से पढ़ाई बिगड़ गया है. प्रशांत किशोर ने साफ तौर पर कहा कि बिहार में पिछले 20- 30 वर्षों में समाज और सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा रह ही नहीं गई है.

"अब तक हमने साढ़े चार हजार गांवों का दौरा किया है. एक प्रश्न हर वक्त करता हूं कि पढ़ाई की व्यवस्था सुधारनी चाहिए. लोग हाथ उठाकर यह कहते हैं कि व्यवस्था सुधारनी चाहिए. लोगों ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए वोट किए हैं, लेकिन लालू-नीतीश की सरकार में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गया है." - प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

स्कूल बना खिचड़ी केंद्रः प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि बच्चा स्कूल जाए. वहां से खिचड़ी, पोशाक और साइकिल मिल जाए काफी है. वह भी अपने बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. प्रशांत किशोर ने इस बात से इनकार किया कि बिहार में नियोजित शिक्षकों की वजह से पढ़ाई की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. उन्होंने कहा कि सरकार तो चाहती है कि कोई न पढ़े, सभी अनपढ़ रहे.

समाजाकि कल्यान केंद्र बन गया स्कूलः प्रशांत ने कहा कि समता मुलक शिक्षा नीति बनाने के चककर में विद्यालयों का विशुद्ध रूप से सामाजिक कल्याण के केंद्र के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका नतीजा यह हुआ है कि जहां विद्यालय बने हैं, वहां पर शिक्षक नहीं है. जहां शिक्षक हैं, वहां विद्यालय नहीं है. जहां दोनों हैं वहां छात्र नहीं है. जहां तीनों है वहां पढ़ाई नहीं है.

बिहार सरकार ने ध्वस्त की शिक्षा व्यवस्थाः प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में पहले भी शिक्षा व्यवस्था सही नहीं थी, लेकिन जिलों में दो चार पांच विद्यालय ऐसे होते थे, जहां पढ़ कर आप कुछ अच्छा कर सकते थे. कमिश्नरी में कुछ ऐसे कॉलेज थे, जहां पढ़ कर कुछ कर सकते थे, लेकिन नीतीश-लालू के राज में इसे पूरी तरीके से ध्वस्त कर दिया गया.

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