बेगूसराय: कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन से सभी परेशान हैं. लॉकडाउन से मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर सार्वजनिक आयोजन पर भी पाबंदी लग गई है. बेगूसराय के प्रसिद्ध सिमरिया गंगा तट पर रहने वाले पंडा समाज और दुकानदार दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. इनकी मांग है कि सरकार इनके लिए कुछ व्यवस्था करे, जिससे इस दौरान इनका जीविकोपार्जन चल सके.
बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थलों में बेगूसराय में गंगा नदी के किनारे स्थित सिमरिया धाम आज वीरान सा है. ये वही सिमरिया धाम है, जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान और पूजा पाठ के लिए आया करते थे. भीड़ इतनी होती थी कि लोगों का पैदल चल पाना मुश्किल होता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब न वो भीड़ दिखाई दे रही है और न ही बाजारो में रौनक दिख रहा है.
'गंगाजल पीकर काम चलना पड़ता है'
लॉकडाउन की वजह से यहां के पंडा समाज और दुकानदारों की स्थिति बदहाल है. ये लोग दाने-दाने का मोहताज हो गए हैं. पंडा समाज का कहना है कि सैकड़ों पंडा समाज की जीविका श्रद्धालुओं के दान से ही चलती है. जब लोग ही नहीं आएंगे, तो फिर हमें परेशानी होनी ही है. घाट पर जिस वक्त होते हैं, पैसों की कमी की वजह से कभी-कभी दिन भर गंगाजल पीकर काम चलना पड़ता है.
'भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं'
सिमरिया विकास समिति के सचिव नीरज कुमार ने बताया कि यहां पर दुकानदारों का जीवन लॉकडाउन की वजह से काफी बेहाल हो गया है. सिमरिया के प्रसिद्ध गंगा तट पर बिहार नेपाल सहित देश के कोने-कोने से लोग धार्मिक अनुष्ठान और दर्शन करने पहुंचते हैं. कई देशों से पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन लॉकडॉउन की वजह से सभी का आना बंद है, जिससे हम लोगों का बुरा हाल हो गया है. प्रशासनिक अधिकारी भी ध्यान नहीं देते हैं. अब तक यहां के लोगों के बीच किसी भी तरह की राहत सामग्री का वितरण नहीं किया गया है. वहीं, सिमरिया तट की महिला दुकानदार ने बताया कि उनके परिवार की स्थिति बद से बदतर हो गई है. परिवार के सभी सदस्य दुकान पर ही आश्रित हैं. लेकिन दुकान बंद होने से भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं.