बेगूसराय: देश में जारी लॉकडाउन आम इंसानों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी काफी दुखदायी भरा रहा है. सूखा चारा नहीं मिलने की स्थिति में जिले में हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. वहीं, राहत भरी खबर ये है कि बेगूसराय के एक किसान ने झिंझुआ घास की खेती के गुर सीखाकर ढाई सौ किसानों को हरा चारा की किल्लत से निजात दिला दी. इस घास की खासियत ये है कि एक बार लगाने के बाद 30 साल तक पशुपालक घास के लिए निश्चिंत हो जाते हैं.
गौरतलब है कि यह घास भी खेतों में लगने वाले आम घासों की तरह ही दिखती है, लेकिन इस घास की खासियत जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे. इस घास का नाम झिंझुआ घास है. वैसे तो इस घास की पैदावार शुरुआत में गुजरात में हुई थी, लेकिन बीते 2 वर्षों से इस घास को लेकर बेगूसराय के नागदह मोहल्ले में किसान मदन गोपाल के द्वारा बड़ा प्रयास किया जा रहा था और इसमें वह बहुत हद तक सफल भी हुए.
ढाई सौ किसानों को हरे चारे की किल्लत से दिलाई मुक्ति
लॉकडाउन के कारण जिले में हरा और सूखा चारा के लिये हुये किल्लत के दौरान लोगों ने इस घास की अहमियत को बखूबी समझा. लॉकडाउन के कारण आवागमन बंद होने से जिले में सूखे चारे की घोर किल्लत हो गई. वहीं, खेतों में लगे हरे चारे को काटने के लिए किसान घर से नहीं निकल पा रहे थे. उस दौर में किसान मदन गोपाल ने ढाई सौ किसानों को हरा चारा की किल्लत से मुक्ति दिलाई.
'एक बार लगाने के बाद 30 साल तक काट सकते हैं घास'
बता दें कि मदन गोपाल ने इस घास को खेतों में रोपने के लिए किसानों को प्रेरित किया और ढाई सौ किसानों ने उनकी बात मानते हुए झिंझुआ घास अपने खेतों में लगाया. जिसके बाद अब घास का इस्तेमाल तमाम पशुपालक पशुओं के मुख्य चारा के रूप में कर रहे हैं. इस घास की खासियत है कि यह बड़ी तेजी से बढ़ता है. साथ ही गायों के सेहत के लिए इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है. सबसे बड़ी बात यह है कि एक बार अपने खेत में लगाने के बाद किसान 30 साल तक इस घास को काट सकते हैं.
लंबे समय तक ज्यादा पैदावार देने की क्षमता
खेतों में लगे घास की फसल एक तरफ से किसान काटते जाते हैं और दूसरी ओर से तेजी से घास बड़ा होता है. किसानों ने दावा किया कि घर के पास के दो कट्ठा जमीन पर इसे लगाने से पशुपालक दो गायों के चारे के लिए साल भर निश्चिंत हो जाते हैं. झिंझुआ घास के बारे में किसान मदन गोपाल ने बताया कि यह घास गायों की सेहत के लिए ना सिर्फ फायदेमंद है बल्कि कम जगह और कम समय में ज्यादा पैदावार वो भी लंबे समय तक देने की क्षमता रखता है.
'सैकड़ों किसान हुए लाभान्वित'
मदन गोपाल ने बेगूसराय के हर प्रखंड के किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि प्रयोग के तौर पर वह इसका बीज निःशुल्क देने को तैयार हैं. किसान चाहें तो अपने खेतों में झिंझुआ घास लगाकर इसका लाभ ले सकते हैं. मदन गोपाल ने लॉकडाउन के दौरान झिंझुआ घास की महत्ता को बताया और कहा कि सैकड़ों की संख्या में किसान इससे लाभान्वित हुए हैं.
पशुपालकों के चेहरे पर लौटी मुस्कान
गौरतलब है कि पुरानी कहावत 'आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है' बेगूसराय के किसान मदन गोपाल पर सटीक बैठता है. उनकी बात मानकर जिले के 200 से ज्यादा किसानों ने अपनी खेतों में झिंझुआ घास की खेती का प्रयोग किया जो काफी सफल रहा. अब खेतों में झिंझुआ घास की लहलहाती फसल से ना सिर्फ पशु चारे का स्थाई समाधान हो गया है बल्कि पशुपालकों के चेहरे पर पुरानी मुस्कान भी लौट आई है.