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ICU में सिस्टम! एंबुलेंस नहीं मिली तो बाइक पर शव ले गए परिजन

बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था के चुस्त दुरुस्त होने का दावा भले ही किया जाता रहा हो, लेकिन अक्सर कई तस्वीर ऐसी सामने आ ही जाती है जो उन दावों की पोल खोलती हुए नजर आती है. ऐसा नहीं है कि सिस्टम की इस गड़बड़ी की शिकायत और उन पर कार्रवाई नहीं होती है. लेकिन गूंगी और बहरी हो चुकी व्यवस्था पर इसका कोई असर नहीं पड़ता.

बाइक पर शव
बाइक पर शव
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Published : Dec 28, 2020, 8:59 AM IST

Updated : Dec 28, 2020, 1:29 PM IST

बेगूसरायः बिहार के स्वास्थ्य विभाग में सिस्टम की अनदेखी और लापरवाही के किस्से अक्सर आपने सुने होंगे. इस बार ये लापरवाही बेगूसराय सदर अस्पताल से सामने आई है. जहां संवेदनहीन सिस्टम की मेहरबानी से एक महिला के शव को एम्बुलेंस के अभाव में मोटरसाइकिल पर ढोना पड़ा.

ये कहानी कोई नई नहीं है. राज्य के तकरीबन सभी जिले के स्वास्थ्य विभाग से संवेदनहीनता की ऐसी तस्वीर देखने को मिल ही जाती है. हमेशा इस सिस्टम की गड़बड़ी की शिकायत और उन पर कार्रवाई भी होती है. लेकिन गूंगे और बहरे हो चुके सिस्टम पर इसका कोई असर नहीं पड़ता.

सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस का अभाव
बेगूसराय में रविवार को अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला. जहां जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस के अभाव ने एक परिवार को इतना बेबस और लाचार बना दिया कि उन्हें एक महिला के शव को मोटरसाइकिल पर लादकर ले जाना पड़ा. शव मोटरसाइकिल पर ठहर भी नहीं पा रहा था. किसी तरह परिजनों ने जैसै-तैसे शव को मोटरसाइकिल पर चढ़ाया. कुछ दूर बाइक पर ले जाने के बाद शव को एक ई-रिक्शा के सहारे घर तक पहुंचाया गया.

बता दें कि बेगूसराय में शव को ढोने के लिए एंबुलेंस तो जरूर है. लेकिन ये अक्सर खराब ही रहता है. मजबूरी में मृतक के शव को प्राइवेट एम्बुलेंस, ई-रिक्शा और मोटरसाइकिल पर ढोने की लाचारी बनी रहती है. परिजनों को मरीज और शव को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करने में काफी जतन करनी पड़ती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः भागलपुर पुलिस के जाल में 3 साइबर अपराधी, एटीएम का क्लोन बनाकर करते थे ठगी

ई-रिक्शा वाला भी शव ले जाने के लिए नहीं था तैयार
इस बार भी नगर थाना क्षेत्र के हर्रख के रहने वाले एक परिजनों को ऐसी ही मुसीबत उठानी पड़ी. हर्रख के रहने वाले एक परिवार की महिला की तबीयत आचानाक खराब हो गई. परिजनों ने महिला को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. रोते बिलखते परिजन अस्पताल प्रबंधन से एम्बुलेंस की मांग करता रहे, लेकिन किसी को भी इस बेबसी पर तरस नहीं आई. बताया गया कि एम्बुलेंस खराब है.

थक हारकर परिजनों ने कई ई रिक्शा वालों से सम्पर्क साधा पर कोई भी शव को ढोने के लिए तैयार नहीं हुआ. जिसके बाद परिजन शव को मोटरसाइकिल पर रखकर ले गए. हालांकि बाद में एक ई रिक्शा शव को ढोने के लिए तैयार हुआ. ई-रिक्शा से शव को ढोने की इस घटना को देकह रहे लोगो मे।काफी आक्रोश देखा गया.

'मांगने पर नहीं मिली एंबुलेंस'
इस संबंध में मृतक प्रीति देवी को लेकर अस्पताल आए उनके पड़ोसी राजकुमार ने बताया कि घर में बैठी प्रीति देवी अचानक गिर गईं. हम लोग बाइक से लेकर उन्हें सदर अस्पताल आए. जहां उनकी मौत हो गई. मौत के बाद शव ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी गई तो कहा गया कि एंबुलेंस खराब है. जबकि आधे दर्जन से अधिक एंबुलेंस सदर अस्पताल में खड़ी थी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सुध नहीं ली. इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.

बेगूसरायः बिहार के स्वास्थ्य विभाग में सिस्टम की अनदेखी और लापरवाही के किस्से अक्सर आपने सुने होंगे. इस बार ये लापरवाही बेगूसराय सदर अस्पताल से सामने आई है. जहां संवेदनहीन सिस्टम की मेहरबानी से एक महिला के शव को एम्बुलेंस के अभाव में मोटरसाइकिल पर ढोना पड़ा.

ये कहानी कोई नई नहीं है. राज्य के तकरीबन सभी जिले के स्वास्थ्य विभाग से संवेदनहीनता की ऐसी तस्वीर देखने को मिल ही जाती है. हमेशा इस सिस्टम की गड़बड़ी की शिकायत और उन पर कार्रवाई भी होती है. लेकिन गूंगे और बहरे हो चुके सिस्टम पर इसका कोई असर नहीं पड़ता.

सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस का अभाव
बेगूसराय में रविवार को अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला. जहां जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस के अभाव ने एक परिवार को इतना बेबस और लाचार बना दिया कि उन्हें एक महिला के शव को मोटरसाइकिल पर लादकर ले जाना पड़ा. शव मोटरसाइकिल पर ठहर भी नहीं पा रहा था. किसी तरह परिजनों ने जैसै-तैसे शव को मोटरसाइकिल पर चढ़ाया. कुछ दूर बाइक पर ले जाने के बाद शव को एक ई-रिक्शा के सहारे घर तक पहुंचाया गया.

बता दें कि बेगूसराय में शव को ढोने के लिए एंबुलेंस तो जरूर है. लेकिन ये अक्सर खराब ही रहता है. मजबूरी में मृतक के शव को प्राइवेट एम्बुलेंस, ई-रिक्शा और मोटरसाइकिल पर ढोने की लाचारी बनी रहती है. परिजनों को मरीज और शव को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करने में काफी जतन करनी पड़ती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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ई-रिक्शा वाला भी शव ले जाने के लिए नहीं था तैयार
इस बार भी नगर थाना क्षेत्र के हर्रख के रहने वाले एक परिजनों को ऐसी ही मुसीबत उठानी पड़ी. हर्रख के रहने वाले एक परिवार की महिला की तबीयत आचानाक खराब हो गई. परिजनों ने महिला को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. रोते बिलखते परिजन अस्पताल प्रबंधन से एम्बुलेंस की मांग करता रहे, लेकिन किसी को भी इस बेबसी पर तरस नहीं आई. बताया गया कि एम्बुलेंस खराब है.

थक हारकर परिजनों ने कई ई रिक्शा वालों से सम्पर्क साधा पर कोई भी शव को ढोने के लिए तैयार नहीं हुआ. जिसके बाद परिजन शव को मोटरसाइकिल पर रखकर ले गए. हालांकि बाद में एक ई रिक्शा शव को ढोने के लिए तैयार हुआ. ई-रिक्शा से शव को ढोने की इस घटना को देकह रहे लोगो मे।काफी आक्रोश देखा गया.

'मांगने पर नहीं मिली एंबुलेंस'
इस संबंध में मृतक प्रीति देवी को लेकर अस्पताल आए उनके पड़ोसी राजकुमार ने बताया कि घर में बैठी प्रीति देवी अचानक गिर गईं. हम लोग बाइक से लेकर उन्हें सदर अस्पताल आए. जहां उनकी मौत हो गई. मौत के बाद शव ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी गई तो कहा गया कि एंबुलेंस खराब है. जबकि आधे दर्जन से अधिक एंबुलेंस सदर अस्पताल में खड़ी थी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सुध नहीं ली. इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.

Last Updated : Dec 28, 2020, 1:29 PM IST
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