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जब 4 साल की मासूम पीहू ने दी शहीद पिता को मुखाग्नि, लोगों की आंखों में भर आए आंसू - CRPF

शहीद पिंटू सिंह के शव को उनकी चार साल की बेटी पीहू ने जब मुखाग्नि दी, उस दौरान वहां मौजूद सभी की आंखें भर आई. सभी नम आंखों से पिंटू सिंह को पंचतत्व में विलीन होते देख रहे थे. जिस घाट पर पिंटू सिंह की चिता जलाई जा रही थी, उस घाट पर हजारों की तादाद में लोग अपने पुत्र के अंतिम दर्शन को लालायित थे.

बेगूसराय
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Published : Mar 3, 2019, 8:40 PM IST

बेगूसराय: शहीद पिंटू अब हमारे बीच नहीं रहे. अब उनकी स्मृति शेष ही लोगों के साथ बची है. आज जब उनका शव जैसे ही बेगूसराय पहुंचा, पूरा इलाका गम के माहौल में बदल गया. शहीद को उनकी चार साल की बेटी ने मुखाग्नि दी, जिस दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आई.

जिले के ध्यान चक्की गांव में शहीद पिंटू सिंह का शव जैसे ही उनके गांव पहुंचा. हजारों की संख्या में लोगों ने भारत माता के नारे लगाने शुरू कर दिए. छह किलोमीटर तक अंतिम विदाई के दौरान पदयात्रा किया गया. लोग तिरंगे को लेकर शहीद पिंटू सिंह जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. सभी ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी.

शहीद पिंटू सिंह की शव यात्रा

4 साल की बेटी ने दी मुखाग्नि
शहीद पिंटू सिंह के शव को उनकी चार साल की बेटी पीहू ने जब मुखाग्नि दी, उस दौरान वहां मौजूद सभी की आंखें भर आई. सभी नम आंखों से पिंटू सिंह को पंचतत्व में विलीन होते देख रहे थे. जिस घाट पर पिंटू सिंह की चिता जलाई जा रही थी, उस घाट पर हजारों की तादाद में लोग अपने पुत्र के अंतिम दर्शन को लालायित थे.
'तुम्हारी शहादत बेकार नहीं जाएगी'
नदी के ऊपर बना पूल महिलाओं से खाचाखच भरा रहा. हजारों लोग अपने सपूत को इस वादे के साथ विदा किया कि तुम्हारी शहादत बेकार नहीं जाएगी. इस दौरान पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ सीआरपीएफ के जवानों ने जहां गार्ड ऑफ ऑनर के साथ आसमान में गोलियां दागकर अपने सहकर्मी को सलाम किया.

बेगूसराय: शहीद पिंटू अब हमारे बीच नहीं रहे. अब उनकी स्मृति शेष ही लोगों के साथ बची है. आज जब उनका शव जैसे ही बेगूसराय पहुंचा, पूरा इलाका गम के माहौल में बदल गया. शहीद को उनकी चार साल की बेटी ने मुखाग्नि दी, जिस दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आई.

जिले के ध्यान चक्की गांव में शहीद पिंटू सिंह का शव जैसे ही उनके गांव पहुंचा. हजारों की संख्या में लोगों ने भारत माता के नारे लगाने शुरू कर दिए. छह किलोमीटर तक अंतिम विदाई के दौरान पदयात्रा किया गया. लोग तिरंगे को लेकर शहीद पिंटू सिंह जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. सभी ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी.

शहीद पिंटू सिंह की शव यात्रा

4 साल की बेटी ने दी मुखाग्नि
शहीद पिंटू सिंह के शव को उनकी चार साल की बेटी पीहू ने जब मुखाग्नि दी, उस दौरान वहां मौजूद सभी की आंखें भर आई. सभी नम आंखों से पिंटू सिंह को पंचतत्व में विलीन होते देख रहे थे. जिस घाट पर पिंटू सिंह की चिता जलाई जा रही थी, उस घाट पर हजारों की तादाद में लोग अपने पुत्र के अंतिम दर्शन को लालायित थे.
'तुम्हारी शहादत बेकार नहीं जाएगी'
नदी के ऊपर बना पूल महिलाओं से खाचाखच भरा रहा. हजारों लोग अपने सपूत को इस वादे के साथ विदा किया कि तुम्हारी शहादत बेकार नहीं जाएगी. इस दौरान पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ सीआरपीएफ के जवानों ने जहां गार्ड ऑफ ऑनर के साथ आसमान में गोलियां दागकर अपने सहकर्मी को सलाम किया.

Intro:शहीद पिंटू अब हमारे बीच नहीं रहे अब उनकी स्मृति शेष ही लोगों के साथ बची है । शहादत के बाद आज जब उनका सब बेगूसराय पहुंचा दो मानो सारा जहां रो पड़ा। क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या महिलाएं क्या नौजवान हर कोई अपने भाई और बेटे के बिछुड़ने से गमजदा था । पंचतत्व में विलीन होने से पहले आसमान ने भी थोड़ी देर के लिए आंसू बहाए , तो वही 4 वर्ष की एक मात्र बेटी को मुखाग्नि देते देख हर किसी का दिल पिघल गया।


Body:मौत तो हर किसी की आती है पर वतन पर जान न्योछावर करने वाला इतिहास बन जाता है। ऐसा ही एक शहादत पिंटू सिंह ने क्या दिया मानो पूरा बेगूसराय उनकी शहादत पर एकत्रित हो गया और भारत माता के जयकारे के साथ अपने पुत्र को अंतिम विदाई दी। यह कड़ी तब तक नहीं रुकी जब तक कि लोगों ने अपनी आंखों से पिंटू सिंह को पंचतत्व में विलीन होते नहीं देख लिया। जिस घाट पर पिंटू सिंह की चिता जलाई जा रही थी उस घाट पर हजारों हजार की तादाद में लोग अपने पुत्र की अंतिम दर्शन को लालायित थे । नदी के ऊपर बना पूरा पूल महिलाओं से खाचाखच भरा रहा तो पूरे घाट पर हज़ारो लोग अपने सपूत को इस वादे के साथ बिदा किया कि तुम्हारी शहादत बेकार नही जाएगी । इस दौरान पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ सीआरपीएफ के जवानों ने जहा गार्ड ऑफ़ ऑनर के साथ आसमान में गोलियां दागकर अपने सहकर्मी सलाम किया । पर इस पूरी कहानी।का अंतिम दौर दिल को काफी मर्माहत करने वाली थी जब चार बर्ष की बेटी पीहू ने अपने शाहिद पिता को मुखाग्नि दी । रिश्ते नाते प्यार और दुश्मनी के रिश्तो से अनजान पीहू को शायद यह भी नहीं पता था कि वह क्या कर रही है । बस उसकी।आंखें तो बस अपने पिता को ढूंढ रही थी ।


Conclusion:
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