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खेती को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने का सपना पूरा, बेगूसराय में बन रहा है पहला फूड पार्क - बेगूसराय के सुदूर गांव भरौल

एक तरफ जहां कृषि बिल को लेकर किसान आंदोलनरत हैं. वहीं बेगूसराय का एक युवक फूड पार्क के जरिये किसानों को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने के सपने को साकार करने जा रहा है. बेगूसराय के सुदूर गांव भरौल के रहने वाले सुभाष कुमार ने इस योजना की शुरुआत की है और इलाके के लगभग 20 हजार किसानों को फूड पार्क से जोड़कर इसे नया आयाम दे रहे हैं. गांव में कुल अठारह एकड़ की जमीन में फूड पार्क की स्थापना करने के पीछे किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा और किसानों को ग्लोबल मार्केट से जोड़ना है.

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खेती को ग्लोवल मार्केटिंग से जोड़ने का सपना
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Published : Dec 22, 2020, 8:15 AM IST

बेगूसराय: देश में कृषि को उद्योग के रुप में खड़ा करने की योजना बेगूसराय के सुदूर गांव भरौल में साकार होता दिख रहा है. सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाले सुभाष कुमार उर्फ कंगन ने पारंपरिक खेती को छोड़ कर आधुनिक खेती के लिए न सिर्फ लोगों को जागरूक करने का काम किया है. बल्कि अब खेती को ग्लोबल मार्केट से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. इसके लिए सुभाष कुमार ने दस हजार से भी अधिक किसानों के संगठन सहयाद्री के साथ मिलकर इस योजना को पूरा करने की शुरुआत की है.

20 हजार किसानों को फूड पार्क से जोड़ना मकसद
बेगूसराय के सुदूर गांव भरौल के रहने वाले सुभाष कुमार ने इस योजना की शुरुआत की है और इलाके के लगभग 20 हजार किसानों को फूड पार्क से जोड़कर इसे नया आयाम दे रहे हैं. गांव में कुल अठारह एकड़ की जमीन में फूड पार्क की स्थापना करने के पीछे किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा और किसानों को ग्लोबल मार्केट से जोड़ना है. इसके लिए नवटोल गांव में कंगन फूड पार्क की स्थापना की जा रही है.

खेती को ग्लोवल मार्केटिंग से जोड़ने का सपना

बिहार का पहला फूड पार्क
यह फूड पार्क बिहार का पहला फूड पार्क होगा. जहां सब्जियों और फलों के फूड प्रोसेसिंग के जरिए किसानों को दो से 3 गुना अधिक लाभ दिलाने की योजना है. इस पार्क से जुड़कर किसानों को अपने किसी उत्पादों को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने में मदद करने की भी योजना है. कंगन का मानना है कि आने वाले दिनों में यह फूड पार्क इलाके के किसानों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा.

खेती को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने की जरूरत
अंगूर उत्पादन में देशभर में पहला स्थान रखने वाले सहयाद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर के चेयरमैन विलास शिंदे ने भरौल गांव का दौरा किया और उन्होंने कहा कि यहां फूड पार्क की बेहद संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि जलवायु इरीगेशन सहित दूसरी चीज इसके लिए बेहद ही अनुकूल है. खेती को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने की जरूरत है. तभी किसानों के लिए खेती फायदे का सौदा साबित होगा. महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले विलाश शिंदे देश के सबसे बड़े किसान कहे जाते है. जिन्होंने किसानों के सामूहिक प्रयास से फूड प्रोसेसिंग के व्यवसायिक को न सिर्फ नया आयाम दिया बल्कि इनकी आज इनका प्रतिवर्ष का ट्रांजैक्शन साढ़े पांच सौ करोड़ का है. वहीं इनके अंदर छह हजार से भी अधिक कर्मचारी काम करते है.

कंगन की इस जगह की हो तरह तारीफ
विलास शिंदे देशभर के उन किसानों के प्रेरणा स्रोत हैं. जिन्होंने सामान्य खेती से अलग फूड प्रोसेसिंग को खेती का आधार बनाया. सुभाष कुमार कंगन ने भी बिलास सिंदे को अपना प्रेरणा स्रोत मानते हुए इस काम की शुरुआत की है. बताया जाता है कि कुछ महीनों में यह फूड पार्क बिहार के किसानों को नई दिशा और दशा देगा. अब देखना है कि तेजी से बढ़ते खेती के इस नए स्वरुप का लाभ किसान कितना उठा पाते है और ग्लोबल मार्केट में किस तरह खुद को स्थापित कर पाते हैं. हालांकि सुभाष कुमार उर्फ कंगन ने एक सुदूर गांव में जिस तरह फूड पार्क की नींव रखी है, वो दूसरे किसानों के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. वहीं कंगन की इस कोशिश को लेकर आज हर तरह तारीफ हो रही है.

बेगूसराय: देश में कृषि को उद्योग के रुप में खड़ा करने की योजना बेगूसराय के सुदूर गांव भरौल में साकार होता दिख रहा है. सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाले सुभाष कुमार उर्फ कंगन ने पारंपरिक खेती को छोड़ कर आधुनिक खेती के लिए न सिर्फ लोगों को जागरूक करने का काम किया है. बल्कि अब खेती को ग्लोबल मार्केट से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. इसके लिए सुभाष कुमार ने दस हजार से भी अधिक किसानों के संगठन सहयाद्री के साथ मिलकर इस योजना को पूरा करने की शुरुआत की है.

20 हजार किसानों को फूड पार्क से जोड़ना मकसद
बेगूसराय के सुदूर गांव भरौल के रहने वाले सुभाष कुमार ने इस योजना की शुरुआत की है और इलाके के लगभग 20 हजार किसानों को फूड पार्क से जोड़कर इसे नया आयाम दे रहे हैं. गांव में कुल अठारह एकड़ की जमीन में फूड पार्क की स्थापना करने के पीछे किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा और किसानों को ग्लोबल मार्केट से जोड़ना है. इसके लिए नवटोल गांव में कंगन फूड पार्क की स्थापना की जा रही है.

खेती को ग्लोवल मार्केटिंग से जोड़ने का सपना

बिहार का पहला फूड पार्क
यह फूड पार्क बिहार का पहला फूड पार्क होगा. जहां सब्जियों और फलों के फूड प्रोसेसिंग के जरिए किसानों को दो से 3 गुना अधिक लाभ दिलाने की योजना है. इस पार्क से जुड़कर किसानों को अपने किसी उत्पादों को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने में मदद करने की भी योजना है. कंगन का मानना है कि आने वाले दिनों में यह फूड पार्क इलाके के किसानों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा.

खेती को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने की जरूरत
अंगूर उत्पादन में देशभर में पहला स्थान रखने वाले सहयाद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर के चेयरमैन विलास शिंदे ने भरौल गांव का दौरा किया और उन्होंने कहा कि यहां फूड पार्क की बेहद संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि जलवायु इरीगेशन सहित दूसरी चीज इसके लिए बेहद ही अनुकूल है. खेती को ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने की जरूरत है. तभी किसानों के लिए खेती फायदे का सौदा साबित होगा. महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले विलाश शिंदे देश के सबसे बड़े किसान कहे जाते है. जिन्होंने किसानों के सामूहिक प्रयास से फूड प्रोसेसिंग के व्यवसायिक को न सिर्फ नया आयाम दिया बल्कि इनकी आज इनका प्रतिवर्ष का ट्रांजैक्शन साढ़े पांच सौ करोड़ का है. वहीं इनके अंदर छह हजार से भी अधिक कर्मचारी काम करते है.

कंगन की इस जगह की हो तरह तारीफ
विलास शिंदे देशभर के उन किसानों के प्रेरणा स्रोत हैं. जिन्होंने सामान्य खेती से अलग फूड प्रोसेसिंग को खेती का आधार बनाया. सुभाष कुमार कंगन ने भी बिलास सिंदे को अपना प्रेरणा स्रोत मानते हुए इस काम की शुरुआत की है. बताया जाता है कि कुछ महीनों में यह फूड पार्क बिहार के किसानों को नई दिशा और दशा देगा. अब देखना है कि तेजी से बढ़ते खेती के इस नए स्वरुप का लाभ किसान कितना उठा पाते है और ग्लोबल मार्केट में किस तरह खुद को स्थापित कर पाते हैं. हालांकि सुभाष कुमार उर्फ कंगन ने एक सुदूर गांव में जिस तरह फूड पार्क की नींव रखी है, वो दूसरे किसानों के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. वहीं कंगन की इस कोशिश को लेकर आज हर तरह तारीफ हो रही है.

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