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बेगूसराय: ABVP का 'ढोल बजाओ सरकार के खिलाफ बोलो' कार्यक्रम

बेगूसराय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने छात्रों की समस्या को लेकर आंदोलन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने रोजगार के सभी विकल्प बंद कर दिए हैं.

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Published : Jun 30, 2020, 6:49 PM IST

begusarai
आंदोलन करते छात्र

बेगूसराय: जिले के मंझौल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने छात्रों की समस्याओं और उन्हें शैक्षणिक रोजगार देने को लेकर 'ढोल बजाओ सरकार के खिलाफ बोलो' कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यकर्ताओं ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने हमेशा ही सरकार, सत्ता और व्यवस्था में बैठे लोगों की आंखों से अहंकार की पट्टी हटाकर उसकी समस्यायों के समाधान के लिए बाध्य किया है.

त्राहिमाम कर रहे छात्र
कार्यकर्ताओं ने कहा कि छात्र त्राहिमाम कर रहे हैं. अभिभावक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. इस परिस्थिति में आखिर सरकार मौन क्यों है ? बच्चे रूम रेंट और ट्यूशन फीस नहीं दे पाने की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर मजदूरी करने के लिए मजबूर हो गये हैं. कोविड 19 की भयंकर महामारी की आड़ में बिहार सरकार ने एसटीईटी की परीक्षा को भी रद्द कर दिया है.

रोजगार के विकल्प बंद
कार्यकर्ताओं ने कहा कि छात्रों को रोजगार से जोड़ने के विकल्प को ही बंद कर दिया गया है. शायद उनकी यह सोच है कि छात्र उनके इस निर्णय पर चुप्पी साध लेंगे और वह छात्रों को रोजगार के अवसर को कब्र में दफन कर देगी. इस अहंकारी सरकार को अब बिहार के नौनिहाल छात्रों के भविष्य की भी चिंता नहीं रही है. जिसको लेकर विद्यार्थी परिषद आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेगी.

बेगूसराय: जिले के मंझौल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने छात्रों की समस्याओं और उन्हें शैक्षणिक रोजगार देने को लेकर 'ढोल बजाओ सरकार के खिलाफ बोलो' कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यकर्ताओं ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने हमेशा ही सरकार, सत्ता और व्यवस्था में बैठे लोगों की आंखों से अहंकार की पट्टी हटाकर उसकी समस्यायों के समाधान के लिए बाध्य किया है.

त्राहिमाम कर रहे छात्र
कार्यकर्ताओं ने कहा कि छात्र त्राहिमाम कर रहे हैं. अभिभावक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. इस परिस्थिति में आखिर सरकार मौन क्यों है ? बच्चे रूम रेंट और ट्यूशन फीस नहीं दे पाने की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर मजदूरी करने के लिए मजबूर हो गये हैं. कोविड 19 की भयंकर महामारी की आड़ में बिहार सरकार ने एसटीईटी की परीक्षा को भी रद्द कर दिया है.

रोजगार के विकल्प बंद
कार्यकर्ताओं ने कहा कि छात्रों को रोजगार से जोड़ने के विकल्प को ही बंद कर दिया गया है. शायद उनकी यह सोच है कि छात्र उनके इस निर्णय पर चुप्पी साध लेंगे और वह छात्रों को रोजगार के अवसर को कब्र में दफन कर देगी. इस अहंकारी सरकार को अब बिहार के नौनिहाल छात्रों के भविष्य की भी चिंता नहीं रही है. जिसको लेकर विद्यार्थी परिषद आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेगी.

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