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बांका: युवाओं ने श्रमदान और चंदा के पैसे से बनाया चांदन नदी पर पुल - bihar news

चांदन नदी पर बने पुल का बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो जाने के बाद लोग सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहे थे. जिसके बाद गांव के युवाओं ने वह काम किया जो जिला प्रशासन को करना चाहिए था. स्थानीय युवाओं ने श्रमदान देकर चांदन नदी में रास्ता बना दिया. युवाओं की इस पहल की चर्चा जिलेभर में हो रही है.

चांदन नदी में रास्ता
चांदन नदी में रास्ता
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Published : May 14, 2020, 3:49 PM IST

बांका: रामधारी सिंह दिनकर की एक मशहूर कविता है. 'मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है. गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर'. इस काव्य पंक्ति को जिले के विशनपुर गांव के युवाओं ने चरितार्थ करके दिखाया है. दरअसल, यहां के ग्रामीण युवाओं ने चांदन नदी में रास्ता बनाने का प्रण लिया. जिसके बाद वे इसे मूर्त रुप दने में जुट गए. आखिरकर श्रमदान और आपस में जमा किए पैसे से युवाओं ने असंभव से दिखने वाले कार्य को मूर्त रूप दे दिया.

'श्रमदान से नदी पार करने के लिए रास्ता'
इसको लेकर युवा रमेश कुमार सिंह ने बताया कि चांदन नदी पर बने पुल का एक बड़ा हिस्सा हो गया था. पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद लाखों की आबादी जिला मुख्यालय से कट गई थी. लोगों को काफी चक्कर लगाकर बांका आना पड़ता था. कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई थी. बावजूद कोई पहल नहीं हो पा रही थी. इसके बाद गांव के युवाओं की टोली ने चांदन नदी में ही रास्ता बनाने का ठाना और मूर्त रूप देने में जुट गए. नदी में रास्ता बनाने का राह इतना आसान भी नहीं था. इसके लिए पैसे की भी जरूरत थी. युवाओं ने गांव में चंदा इकट्ठा किया और नदी में रास्ता बनाने के लिए जेसीबी का सहारा लेकर समतलीकरण का काम शुरू किया. अब युवा रोजाना सुबह और शाम रास्ते को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं. हाथ में कुदाल थामकर नदी के उबड़-खाबड़ हिस्से को समतल बनाने का काम पूरी तन्मयता से जारी है. युवाओं का कहना है कि श्रमदान से नदी ने रास्ता दे दिया है.

श्रमदान कर नदी में रास्ता बना रहे युवा
श्रमदान कर नदी में रास्ता बना रहे युवा

'कार भी आसानी से कर सकती है आवाजाही'
वहीं, गांव के ही राघवेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के परेशानी को दूर करने के लिए सभी युवा एकत्रित हुए और नदी में रास्ता बनाने के लिए सहमत हुए. रोजाना सुबह और शाम रास्ता को दुरुस्त करने का काम चल रहा है. राघवेंद्र सिंह ने बताया कि हमारे पास पैसे का अभाव है इसलिए बेहतर डायवर्जन तो नहीं बना सकते थे. लेकिन श्रमदान देकर नदी में रास्ता बना रहे हैं. अब साइकिल, बाइक और कार आसानी से नदी पार कर आ-जा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'राहें आसान'
विशनपुर के ग्रामीण चिरंजीवी कुमार सिंह ने बताया कि लगातार हो रही समस्या का कोई हाल नहीं मिल रहा था. रास्ता बनाने का काम अब भी जारी है. आस-पास के 100 से अधिक गांव के लोगों को बांका आने-जाने में काफी तकलीफ हो रही थी. युवाओं ने श्रमदान देकर रास्ता बनाने का काम शुरू किया है. जो अब भी जारी है. युवाओं की जितनी प्रशंसा की जाए कम है. अब लोगों की राह आसान हो गई है.

चांदन नदी
चांदन नदी

बांका: रामधारी सिंह दिनकर की एक मशहूर कविता है. 'मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है. गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर'. इस काव्य पंक्ति को जिले के विशनपुर गांव के युवाओं ने चरितार्थ करके दिखाया है. दरअसल, यहां के ग्रामीण युवाओं ने चांदन नदी में रास्ता बनाने का प्रण लिया. जिसके बाद वे इसे मूर्त रुप दने में जुट गए. आखिरकर श्रमदान और आपस में जमा किए पैसे से युवाओं ने असंभव से दिखने वाले कार्य को मूर्त रूप दे दिया.

'श्रमदान से नदी पार करने के लिए रास्ता'
इसको लेकर युवा रमेश कुमार सिंह ने बताया कि चांदन नदी पर बने पुल का एक बड़ा हिस्सा हो गया था. पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद लाखों की आबादी जिला मुख्यालय से कट गई थी. लोगों को काफी चक्कर लगाकर बांका आना पड़ता था. कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई थी. बावजूद कोई पहल नहीं हो पा रही थी. इसके बाद गांव के युवाओं की टोली ने चांदन नदी में ही रास्ता बनाने का ठाना और मूर्त रूप देने में जुट गए. नदी में रास्ता बनाने का राह इतना आसान भी नहीं था. इसके लिए पैसे की भी जरूरत थी. युवाओं ने गांव में चंदा इकट्ठा किया और नदी में रास्ता बनाने के लिए जेसीबी का सहारा लेकर समतलीकरण का काम शुरू किया. अब युवा रोजाना सुबह और शाम रास्ते को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं. हाथ में कुदाल थामकर नदी के उबड़-खाबड़ हिस्से को समतल बनाने का काम पूरी तन्मयता से जारी है. युवाओं का कहना है कि श्रमदान से नदी ने रास्ता दे दिया है.

श्रमदान कर नदी में रास्ता बना रहे युवा
श्रमदान कर नदी में रास्ता बना रहे युवा

'कार भी आसानी से कर सकती है आवाजाही'
वहीं, गांव के ही राघवेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के परेशानी को दूर करने के लिए सभी युवा एकत्रित हुए और नदी में रास्ता बनाने के लिए सहमत हुए. रोजाना सुबह और शाम रास्ता को दुरुस्त करने का काम चल रहा है. राघवेंद्र सिंह ने बताया कि हमारे पास पैसे का अभाव है इसलिए बेहतर डायवर्जन तो नहीं बना सकते थे. लेकिन श्रमदान देकर नदी में रास्ता बना रहे हैं. अब साइकिल, बाइक और कार आसानी से नदी पार कर आ-जा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'राहें आसान'
विशनपुर के ग्रामीण चिरंजीवी कुमार सिंह ने बताया कि लगातार हो रही समस्या का कोई हाल नहीं मिल रहा था. रास्ता बनाने का काम अब भी जारी है. आस-पास के 100 से अधिक गांव के लोगों को बांका आने-जाने में काफी तकलीफ हो रही थी. युवाओं ने श्रमदान देकर रास्ता बनाने का काम शुरू किया है. जो अब भी जारी है. युवाओं की जितनी प्रशंसा की जाए कम है. अब लोगों की राह आसान हो गई है.

चांदन नदी
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