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इन हुनरमंद युवाओं को अब तक नहीं मिला रोजगार, पलायन को न हो जाएं मजबूर

हैदराबाद से लौटे सनोज कुमार ने बताया कि फुल्लीडुमर प्रखंड में खड़ोआ, धनकुड़िया, पथलकुड़िया, कैथा, बदलाचक घुटियारा धुसरी, नरोन सहित एक दर्जन गांव के लगभग दो हजार युवा लॉकडाउन में वापस लौटे हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी हैदराबाद के विभिन्न होटल और रेस्टोरेंट में कुकिंग से लेकर अन्य काम करते थे.

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Published : Jul 8, 2020, 5:00 PM IST

बांकाः जिले का सबसे पिछड़ा प्रखंड फुल्लीडुमर इन दिनों प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां दो हजार से अधिक युवा होटल के विभिन्न कामों में महारत हासिल किए हुए हैं. सभी युवा लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों से वापस लौटे हैं. प्रशासन ने इन्हें चिन्हित कर रोजगार देने की बात कही थी. लेकिन अब तक इन्हें रोजगार मुहैया नहीं कराया गया है.

17 कैटेगरी में बांटकर स्किल मैपिंग
कोरोना महामारी की वजह से देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से जिले में हजारों प्रवासी मजदूरों ने घर वापसी की थी. जिला प्रशासन ने मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए 17 कैटेगरी में बांटकर स्किल मैपिंग की. जिसमें सर्वाधिक दिहाड़ी मजदूर शामिल थे.

देखें रिपोर्ट

बेहतरीन डिश तैयार करने में हैं दक्ष
स्किल मैपिंग के दौरान फुल्लीडुमर प्रखंड में एक वर्ग ऐसा भी मिला जो बेहतरीन डिश तैयार करने में दक्ष हैं. इनको जिला प्रशासन ने अलग कैटेगरी में रखा है. ये युवा
हैदराबाद के बेहतरीन होटल से लेकर रेस्टोरेंट और ढाबे में काम करके घर लौटे हैं. लेकिन इन कुशल कारीगरों को अभी तक रोजगार नहीं मिल पाया है.

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सरकार से रोजगार के लिए आस लगाए युवा

दो हजार से अधिक युवा जुड़े हैं होटल लाइन से
हैदराबाद से लौटे सनोज कुमार ने बताया कि फुल्लीडुमर प्रखंड में खड़ोआ, धनकुड़िया, पथलकुड़िया, कैथा, बदलाचक घुटियारा धुसरी, नरोन सहित एक दर्जन गांव के लगभग दो हजार युवा लॉकडाउन में वापस लौटे हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी हैदराबाद के विभिन्न होटल और रेस्टोरेंट में कुकिंग से लेकर अन्य काम करते थे.

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घर में बैठे हैं बेरोजगार युवा

काम की तलाश में युवा
सनोज कुमार ने बताया कि जिले में उस प्रकार का कोई होटल या रेस्टोरेंट भी नहीं है जहां ऐसे हुनरमंद कारीगरों को उचित मेहताना मिल सके. सभी लोग पिछले दो महीने से बेरोजगार घर में काम की तलाश में बैठे हैं.

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प्रखंड कार्यालय

रोजगार के नाम पर मिल रहा आश्वासन
होटल में बावर्ची का काम करने वाले धर्मेंद्र कुमार राय ने बताया कि जब से गांव आए हैं रोजगार के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. फुल्लीडुमर में धर्मेन्द्र जैसे 500 से अधिक ऐसे युवा है जो इंडियन, चाइनीज, तंदूर, कॉन्टिनेंटल और स्वीट्स सहित सभी प्रकार के भोजन तैयार करने में पूरी तरह से दक्ष है. लेकिन अब तक बेरोजगार हैं.

पलायन को विवश युवा
डीएम सुहर्ष भगत ने ग्रुप बनाकर 40 से 50 युवाओं को रोजगार देने की बात कही है. अब तक मात्र छह युवाओं को ही खाना बनाने का काम चुनाव कोषांग में मिल पाया है. ये युवा बांका में ही रह कर काम करना चाहते हैं. लेकिन समय रहते रोजगार नहीं मिला तो ये लोग एक बार फिर पलायन करने को विवश हो जाएंगे.

बांकाः जिले का सबसे पिछड़ा प्रखंड फुल्लीडुमर इन दिनों प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां दो हजार से अधिक युवा होटल के विभिन्न कामों में महारत हासिल किए हुए हैं. सभी युवा लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों से वापस लौटे हैं. प्रशासन ने इन्हें चिन्हित कर रोजगार देने की बात कही थी. लेकिन अब तक इन्हें रोजगार मुहैया नहीं कराया गया है.

17 कैटेगरी में बांटकर स्किल मैपिंग
कोरोना महामारी की वजह से देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से जिले में हजारों प्रवासी मजदूरों ने घर वापसी की थी. जिला प्रशासन ने मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए 17 कैटेगरी में बांटकर स्किल मैपिंग की. जिसमें सर्वाधिक दिहाड़ी मजदूर शामिल थे.

देखें रिपोर्ट

बेहतरीन डिश तैयार करने में हैं दक्ष
स्किल मैपिंग के दौरान फुल्लीडुमर प्रखंड में एक वर्ग ऐसा भी मिला जो बेहतरीन डिश तैयार करने में दक्ष हैं. इनको जिला प्रशासन ने अलग कैटेगरी में रखा है. ये युवा
हैदराबाद के बेहतरीन होटल से लेकर रेस्टोरेंट और ढाबे में काम करके घर लौटे हैं. लेकिन इन कुशल कारीगरों को अभी तक रोजगार नहीं मिल पाया है.

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सरकार से रोजगार के लिए आस लगाए युवा

दो हजार से अधिक युवा जुड़े हैं होटल लाइन से
हैदराबाद से लौटे सनोज कुमार ने बताया कि फुल्लीडुमर प्रखंड में खड़ोआ, धनकुड़िया, पथलकुड़िया, कैथा, बदलाचक घुटियारा धुसरी, नरोन सहित एक दर्जन गांव के लगभग दो हजार युवा लॉकडाउन में वापस लौटे हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी हैदराबाद के विभिन्न होटल और रेस्टोरेंट में कुकिंग से लेकर अन्य काम करते थे.

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घर में बैठे हैं बेरोजगार युवा

काम की तलाश में युवा
सनोज कुमार ने बताया कि जिले में उस प्रकार का कोई होटल या रेस्टोरेंट भी नहीं है जहां ऐसे हुनरमंद कारीगरों को उचित मेहताना मिल सके. सभी लोग पिछले दो महीने से बेरोजगार घर में काम की तलाश में बैठे हैं.

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प्रखंड कार्यालय

रोजगार के नाम पर मिल रहा आश्वासन
होटल में बावर्ची का काम करने वाले धर्मेंद्र कुमार राय ने बताया कि जब से गांव आए हैं रोजगार के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. फुल्लीडुमर में धर्मेन्द्र जैसे 500 से अधिक ऐसे युवा है जो इंडियन, चाइनीज, तंदूर, कॉन्टिनेंटल और स्वीट्स सहित सभी प्रकार के भोजन तैयार करने में पूरी तरह से दक्ष है. लेकिन अब तक बेरोजगार हैं.

पलायन को विवश युवा
डीएम सुहर्ष भगत ने ग्रुप बनाकर 40 से 50 युवाओं को रोजगार देने की बात कही है. अब तक मात्र छह युवाओं को ही खाना बनाने का काम चुनाव कोषांग में मिल पाया है. ये युवा बांका में ही रह कर काम करना चाहते हैं. लेकिन समय रहते रोजगार नहीं मिला तो ये लोग एक बार फिर पलायन करने को विवश हो जाएंगे.

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