बांका: जिले के दर्जनों गांव जल संकट के बूरे दौर से गुजर रहे हैं. भीषण गर्मी के कारण भू जलस्तर काफी नीचे चला गया है. जिससे बांका के गांवों में पेयजल की समस्या गहराने लगी है. वहीं, बारिश की कमी के कारण पूरा क्षेत्र सूखे की चपेट में आ गया है.
इस सूखे के कारण लोगों को पेयजल नसीब नहीं हो रहा तो वहीं, किसानों की फसलें भी सूखे की मार झेल रही हैं. बांका जिले के ग्रामीण इलाकों में कुएं, नदी, तालाब और चापाकल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. बांका के बौशी प्रखण्ड के बभमनगांवागांव के लोगों का कहना है एक तो यहां बूंद-बूंद की किल्लत हो रही है उपर से सरकारी नल पिछले 10 वर्षों से खराब पड़े हैं.
विभाग की उदासीनता
लोग कहते हैं कि खराब पड़े चापाकल को विभाग के अधिकारी देखने भी नहीं आते. वहीं सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भी अभी आधे गांव तक ही पहुंची है. नेता सिर्फ चुनाव के समय ही वोट मांगने आते हैं. गांव की एक गृहणी ने बताया कि गांव में कोई सात निश्चय और नल जल योजना नहीं है. वे गुस्से में बोलती है कि मुखिया और मंत्री सिर्फ चुनाव में हाथ जोड़ने आते हैं लेकिन कोई मदद नहीं करते हैं.
2 किलोमीटर दूर से भी पानी नहीं आता
गांव के एक किसान प्रसादी यादव ने बताया कि अगर बाहर से टैंकर भी मंगाएं तो कैसे गांव में तो सड़क ही नहीं है. ऐसे में पेयजल की दिक्कत और बढ़ जाती है. नल-जल योजना के तहत वाटर पाइप तो लगे लेकिन उनमें पानी नहीं आता. उन्होंने बताया नल जल योजना के तहत घरों के बाहर पानी की पाइप को लगा के छोड़ दिया गया है. उसमें अभी तक पानी नहीं आया.
गांव में 3 सरकारी चापानल हैं जिसे ठीक करने सरकारी विभाग से कोई नहीं आता. घर के बच्चे समय पर स्कूल भी नहीं जा पाते क्योंकी उन्हें भी पानी लाने के काम पर लगाना पड़ता है.
क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
कार्यपालक अभियंता डेविड चतुर्वेदी का कहना है कि बांका जिले में प्राकृतिक रूप से जल संसाधन की कमी है. जिसमें 7 प्रखण्ड पठारी और 4 प्रखण्ड में बालू की लेयर जमीन से नीचे हैं. जहां पानी मिल सकता है बाकी के 7 प्रखण्ड मुख्य रूप से पहाड़ो के नीचे पठारी भाग के दरार से कम मात्रा में मिलने वाले पानी पर निर्भर हैं. जिससे पेयजल की समस्या है.
सरकारी हैंडपंप ठीक करने के लिए बनी टीम
कार्यपालक अभियंता बताते हैं कि 17800 चापाकल जिले में हैं. कोई भी सरकारी चापाकल खराब होता है तो उसे ठीक करने के लिए 26 टीम है, जिसमें 65 कर्मचारी हैं. नल खराब होने की शिकायत के 48 घंटे के अंदर ठीक कर दिया जाएगा.
जिले में मौजूद है मिनी जलापूर्ति योजना
डेविड चतुर्वेदी ने बताया कि जिले में जलापूर्ति योजना के तहत वार्ड वार यानी मिनी जलापूर्ति योजना चल रही है. सरकार की तरफ से पूरी व्यवस्था भी की गई है. कहीं किसी गांव या प्रखण्ड में पानी की विकट समस्या होने पर वाटर टैंक भी भेज जाते हैं. 15 टैंक अभी भी चल रहे हैं. अधिकारी के तमाम दावों के बीच बांका में पानी की गंभीर की समस्या बनी हुई है.