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संकट के दौर से गुजर रहे बांका के ग्रामीण इलाके, वाटर लेवल गिरा

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Published : May 15, 2019, 12:05 PM IST

जिले के ग्रामीण इलाकों में कुएं, नदी, तालाब और चापाकल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. लोगों का कहना है एक तो यहां बूंद-बूंद की किल्लत हो रही है उपर से सरकारी नल पिछले 10 वर्षों से खराब पड़े हैं.

जलसंकट

बांका: जिले के दर्जनों गांव जल संकट के बूरे दौर से गुजर रहे हैं. भीषण गर्मी के कारण भू जलस्तर काफी नीचे चला गया है. जिससे बांका के गांवों में पेयजल की समस्या गहराने लगी है. वहीं, बारिश की कमी के कारण पूरा क्षेत्र सूखे की चपेट में आ गया है.

इस सूखे के कारण लोगों को पेयजल नसीब नहीं हो रहा तो वहीं, किसानों की फसलें भी सूखे की मार झेल रही हैं. बांका जिले के ग्रामीण इलाकों में कुएं, नदी, तालाब और चापाकल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. बांका के बौशी प्रखण्ड के बभमनगांवागांव के लोगों का कहना है एक तो यहां बूंद-बूंद की किल्लत हो रही है उपर से सरकारी नल पिछले 10 वर्षों से खराब पड़े हैं.

गहराया जलसंकट

विभाग की उदासीनता
लोग कहते हैं कि खराब पड़े चापाकल को विभाग के अधिकारी देखने भी नहीं आते. वहीं सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भी अभी आधे गांव तक ही पहुंची है. नेता सिर्फ चुनाव के समय ही वोट मांगने आते हैं. गांव की एक गृहणी ने बताया कि गांव में कोई सात निश्चय और नल जल योजना नहीं है. वे गुस्से में बोलती है कि मुखिया और मंत्री सिर्फ चुनाव में हाथ जोड़ने आते हैं लेकिन कोई मदद नहीं करते हैं.

2 किलोमीटर दूर से भी पानी नहीं आता
गांव के एक किसान प्रसादी यादव ने बताया कि अगर बाहर से टैंकर भी मंगाएं तो कैसे गांव में तो सड़क ही नहीं है. ऐसे में पेयजल की दिक्कत और बढ़ जाती है. नल-जल योजना के तहत वाटर पाइप तो लगे लेकिन उनमें पानी नहीं आता. उन्होंने बताया नल जल योजना के तहत घरों के बाहर पानी की पाइप को लगा के छोड़ दिया गया है. उसमें अभी तक पानी नहीं आया.

गांव में 3 सरकारी चापानल हैं जिसे ठीक करने सरकारी विभाग से कोई नहीं आता. घर के बच्चे समय पर स्कूल भी नहीं जा पाते क्योंकी उन्हें भी पानी लाने के काम पर लगाना पड़ता है.

क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
कार्यपालक अभियंता डेविड चतुर्वेदी का कहना है कि बांका जिले में प्राकृतिक रूप से जल संसाधन की कमी है. जिसमें 7 प्रखण्ड पठारी और 4 प्रखण्ड में बालू की लेयर जमीन से नीचे हैं. जहां पानी मिल सकता है बाकी के 7 प्रखण्ड मुख्य रूप से पहाड़ो के नीचे पठारी भाग के दरार से कम मात्रा में मिलने वाले पानी पर निर्भर हैं. जिससे पेयजल की समस्या है.

सरकारी हैंडपंप ठीक करने के लिए बनी टीम
कार्यपालक अभियंता बताते हैं कि 17800 चापाकल जिले में हैं. कोई भी सरकारी चापाकल खराब होता है तो उसे ठीक करने के लिए 26 टीम है, जिसमें 65 कर्मचारी हैं. नल खराब होने की शिकायत के 48 घंटे के अंदर ठीक कर दिया जाएगा.

जिले में मौजूद है मिनी जलापूर्ति योजना
डेविड चतुर्वेदी ने बताया कि जिले में जलापूर्ति योजना के तहत वार्ड वार यानी मिनी जलापूर्ति योजना चल रही है. सरकार की तरफ से पूरी व्यवस्था भी की गई है. कहीं किसी गांव या प्रखण्ड में पानी की विकट समस्या होने पर वाटर टैंक भी भेज जाते हैं. 15 टैंक अभी भी चल रहे हैं. अधिकारी के तमाम दावों के बीच बांका में पानी की गंभीर की समस्या बनी हुई है.

बांका: जिले के दर्जनों गांव जल संकट के बूरे दौर से गुजर रहे हैं. भीषण गर्मी के कारण भू जलस्तर काफी नीचे चला गया है. जिससे बांका के गांवों में पेयजल की समस्या गहराने लगी है. वहीं, बारिश की कमी के कारण पूरा क्षेत्र सूखे की चपेट में आ गया है.

इस सूखे के कारण लोगों को पेयजल नसीब नहीं हो रहा तो वहीं, किसानों की फसलें भी सूखे की मार झेल रही हैं. बांका जिले के ग्रामीण इलाकों में कुएं, नदी, तालाब और चापाकल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. बांका के बौशी प्रखण्ड के बभमनगांवागांव के लोगों का कहना है एक तो यहां बूंद-बूंद की किल्लत हो रही है उपर से सरकारी नल पिछले 10 वर्षों से खराब पड़े हैं.

गहराया जलसंकट

विभाग की उदासीनता
लोग कहते हैं कि खराब पड़े चापाकल को विभाग के अधिकारी देखने भी नहीं आते. वहीं सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भी अभी आधे गांव तक ही पहुंची है. नेता सिर्फ चुनाव के समय ही वोट मांगने आते हैं. गांव की एक गृहणी ने बताया कि गांव में कोई सात निश्चय और नल जल योजना नहीं है. वे गुस्से में बोलती है कि मुखिया और मंत्री सिर्फ चुनाव में हाथ जोड़ने आते हैं लेकिन कोई मदद नहीं करते हैं.

2 किलोमीटर दूर से भी पानी नहीं आता
गांव के एक किसान प्रसादी यादव ने बताया कि अगर बाहर से टैंकर भी मंगाएं तो कैसे गांव में तो सड़क ही नहीं है. ऐसे में पेयजल की दिक्कत और बढ़ जाती है. नल-जल योजना के तहत वाटर पाइप तो लगे लेकिन उनमें पानी नहीं आता. उन्होंने बताया नल जल योजना के तहत घरों के बाहर पानी की पाइप को लगा के छोड़ दिया गया है. उसमें अभी तक पानी नहीं आया.

गांव में 3 सरकारी चापानल हैं जिसे ठीक करने सरकारी विभाग से कोई नहीं आता. घर के बच्चे समय पर स्कूल भी नहीं जा पाते क्योंकी उन्हें भी पानी लाने के काम पर लगाना पड़ता है.

क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
कार्यपालक अभियंता डेविड चतुर्वेदी का कहना है कि बांका जिले में प्राकृतिक रूप से जल संसाधन की कमी है. जिसमें 7 प्रखण्ड पठारी और 4 प्रखण्ड में बालू की लेयर जमीन से नीचे हैं. जहां पानी मिल सकता है बाकी के 7 प्रखण्ड मुख्य रूप से पहाड़ो के नीचे पठारी भाग के दरार से कम मात्रा में मिलने वाले पानी पर निर्भर हैं. जिससे पेयजल की समस्या है.

सरकारी हैंडपंप ठीक करने के लिए बनी टीम
कार्यपालक अभियंता बताते हैं कि 17800 चापाकल जिले में हैं. कोई भी सरकारी चापाकल खराब होता है तो उसे ठीक करने के लिए 26 टीम है, जिसमें 65 कर्मचारी हैं. नल खराब होने की शिकायत के 48 घंटे के अंदर ठीक कर दिया जाएगा.

जिले में मौजूद है मिनी जलापूर्ति योजना
डेविड चतुर्वेदी ने बताया कि जिले में जलापूर्ति योजना के तहत वार्ड वार यानी मिनी जलापूर्ति योजना चल रही है. सरकार की तरफ से पूरी व्यवस्था भी की गई है. कहीं किसी गांव या प्रखण्ड में पानी की विकट समस्या होने पर वाटर टैंक भी भेज जाते हैं. 15 टैंक अभी भी चल रहे हैं. अधिकारी के तमाम दावों के बीच बांका में पानी की गंभीर की समस्या बनी हुई है.

Intro:बांका - बांका जिला के दर्जनों गांवों में भीषण गर्मी के कारण भू जल स्तर काफी नीचे चला गया है , जिससे दर्जनों गांव में पेयजल संकट गहराने लगा है । वहीं जंगल एवम पहाड़ी क्षेत्र में बसे लोगो के बीच पानी के लिए हाहाकार मच गया है । बारिश की कमी के कारण प्रखण्ड का पूरा क्षेत्र सूखे की चपेट में आ गया है । बारिश के अभाव में जिले में हो रहे पैदावार हो रहे फसल भी मारी जा रही है । बांका जिले के ग्रामीण इलाकों में कुआं , नदी , तालाब , व चापाकल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है , जिससे पानी की समस्या जिले में काफी उत्पन्न हो गयी है ।
बांका जिले के बौशी प्रखण्ड के बभमनगांवा वार्ड नम्बर 14 गांव में पानी की काफी समस्या उत्पन्न हो गयी है , सरकारी चापानल भी पिछले 10 वर्षो से खराब हो गया है , जिसे देखने के लिए कोई भी सरकारी विभाग से नही आया है , नल जल योजना भी आधे गांव में आई है , और आधे गांव को कनेक्शन ही नही मिला है ।

* सरकार सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने आते है , उसके बाद चले जाते है -*
गाँव की महिला गृहणी से पूछा गया कि उनके गाँव मे काफी पानी की समस्या है जिसपे गृहणी ने कहा कि गाँव मे कोई सात निश्चय एवम नल जल योजना नही है , मुखिया और नेता मंत्री सिर्फ चुनाव में हाथ जोड़ने आते है , नेता लोग सिर्फ 5 साल के चुनाव में आते है , वोट मांगने आते है और फिर चले जाते है , कोई मदद नही करते है ।

* पिछले 10 वर्षों से चापानल बंद पड़ा है कोई सरकारी आदमी नही आता है -*
गाँव की वृद्ध महिला गृहणी तारा देवी ने कहा कि गांव का चापानल पिछले 10 वर्षों से खराब है , जिसे ठीक करने के लिए कोई अधिकारी नही बनवाने आते है , नही देखने आते है जिससे पानी की समस्या काफी हद तक बढ़ गयी है । स्कूल जाने के लिए घर से बच्चे समय से स्कूल भी जा पाते है , बच्चे पानी ढोने में ही व्यस्त रहते है , पानी की कमी होने से समय से कोई काम नही हो पाता है ।

* पानी लाने के लिए सफर करने पड़ता है *
गांव के ही किसान प्रसादी यादव ने बताया कि पानी को 2 किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है , नल जल योजना के तहत पानी भी उपलब्ध हो पाता है , घरों के बाहर पानी की पाइप लगा के छोड़ दिया गया है , सरकारी चापानल गांव में 3 है जो कि 10 वर्षों से तीनो खराब है , जिसे ठीक करने कोई भी सरकारी विभाग से ठीक करने नही आया है ।

PHD Department डेविड चतुर्वेदी कार्यपालक अभियंता
कार्यपालक अभियंता डेविड चतुर्वेदी जी ने बताया कि बिहार के बांका जिला प्राकृतिक रूप से जल संसाधन की कमी है जिसमे 7 प्रखण्ड पठारी एवम 4 प्रखण्ड में बालू की लेयर जमीन से नीचे है , जहां पानी मिल सकता है , बांकी के 7 प्रखण्ड मुख्य रूप से पहाड़ो के नीचे पठारी भाग के दरार से कम मात्रा में मिलने वाला पानी से निर्भर है , जिससे पेयजल की समस्या है ।

* सरकारी चापानल को ठीक करने के लिए टीम गठित *
सरकारी चापानल को ठीक करने के लिए 17800 जिले से कार्यरत है , जिससे कोई भी सरकारी चापानल यदि खराब है उसे ठीक करने के लिए 26 टीम जिसमे 65 आदमी है , जिससे शिकायत पर 48 घंटे में शिकायत मिलने पर उसे ठीक किया जाता है ।

* जिले में मौजूद है मिनी जलापूर्ति योजना *
जिले में जलापूर्ति योजना के तहत वार्ड वार यानी मिनी जलापूर्ति योजना जिले में 556 चालू है , सरकार की तरफ से पूरी व्यवस्था भी की गई है , कही किसी गाँव या प्रखण्ड में पानी की विकट समस्या होने पर वाटर टैंक भी जा सकती है जिले में 15 वाटर टैंक अभी चल रही है । और मौजूदा स्तिथि विकट होने पर 21 वाटर टैंक भी जिले में चल सकती है


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