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बांका की जनता ने 3 नए चेहरों को दिया मौका, JDU के 2 और 1 BJP प्रत्याशी की जीत

पांच विधानसभा क्षेत्रों में से तीन विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं. जिले में धोरैया विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन प्रत्याशी भूदेव चौधरी ने जीत हासिल किया है.

two leaders from jdu and one from bjp reached assembly
तीन नेता पहुंचे विधानसभा
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Published : Nov 11, 2020, 11:54 AM IST

बांका: पांच सीटों पर इस बार जनता ने तीन नए चेहरे को मौका दिया है. जिले से रामनारायण मंडल को छोड़कर अमरपुर से जयंत कुशवाहा, कटोरिया से डॉ. निक्की हेंब्रम, बेलहर से मनोज यादव और धोरैया से पूर्व सांसद भूदेव चौधरी को मौका दिया है. महागठबंधन को इस बार भारी नुकसान झेलना पड़ा. वहीं धोरैया विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन प्रत्याशी भूदेव चौधरी ही जीत पाए.

तीन प्रत्याशी पहुंचे विधानसभा
जिले की पांच विधानसभा क्षेत्रों में से तीन विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं. इसमें अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से जयंत राज, बेलहर विधानसभा क्षेत्र से मनोज यादव और कटोरिया विधानसभा क्षेत्र से डॉ निक्की हेंब्रम शामिल हैं. हालांकि मनोज यादव एमएलसी रहते पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की.

अन्य नेताओं ने खोला मोर्चा
कटोरिया विधानसभा क्षेत्र में 10 वर्ष बाद कमल खिलाने वाली डॉ निक्की हेम्ब्रम पहली बार विधानसभा चुनाव जीते हैं. बेलहर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के नेताओं ने अंदरूनी कलह के बावजूद मनोज यादव जदयू से जीतने में सफल रहे. मनोज यादव को जदयू के प्रत्याशी बनाए जाने पर स्थानीय सांसद गिरधारी यादव से लेकर जदयू के अन्य नेताओं ने मोर्चा खोल रखा था. इसके बावजूद भी मनोज यादव अपने राजनीतिक सूझबूझ के साथ न सिर्फ अपने पार्टी के विरोधियों का मुंह बंद कर दिया बल्कि शानदार जीत दर्ज की.

जयंत ने पिता तो निक्की ने ससुर की विरासत को संभाला
अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन युवा प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, लेकिन कांग्रेस के जितेंद्र सिंह और लोजपा के डॉ. मृणाल शेखर पर जदयू के जयंत राज भारी पड़े. जयंत राज ने न सिर्फ कांटे की टक्कर में पहली बार विधायकी का स्वाद चखा, बल्कि अपने पिता के भी विरासत को संभाल लिया. हालांकि इनके पिता जनार्दन मांझी पर भाई भतीजे बाद का भी आरोप लगा. विरोध करने का खामियाजा जदयू के कई नेताओं को भुगतना भी पड़ा और उन्हें निष्कासन का सामना भी करना पड़ा. वहीं भाजपा के डॉ. निक्की हेंब्रम ने कटोरिया से अपने ससुर सोनेलाल हेंब्रम की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया है. सोनेलाल हेम्ब्रम 2010 में कटोरिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

महागठबंधन को तीन सीटों का हुआ नुकसान
जिले की जनता ने अपने चार विधानसभा सीटों विधायक के चेहरे को बदल दिया है. भाजपा के रामनारायण मंडल को छोड़कर सभी सीटों पर इस बार चेहरा बदल गया है. राजद के भूदेव चौधरी ने धोरैया सीट को इस बार जदयू से छीन लिया है. लगातार तीन टर्म से विधायक रहे मनीष कुमार को हरा दिया. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बांका में महागठबंधन ने चार सीटों पर कब्जा जमाया था. पुराने सभी सीट महागठबंधन हार गया. इस बार धोरैया विधानसभा से महागठबंधन के भूदेव चौधरी ने जीत दर्ज की है. वहीं सीट पर पूर्व में जदयू का कब्जा था.

बांका: पांच सीटों पर इस बार जनता ने तीन नए चेहरे को मौका दिया है. जिले से रामनारायण मंडल को छोड़कर अमरपुर से जयंत कुशवाहा, कटोरिया से डॉ. निक्की हेंब्रम, बेलहर से मनोज यादव और धोरैया से पूर्व सांसद भूदेव चौधरी को मौका दिया है. महागठबंधन को इस बार भारी नुकसान झेलना पड़ा. वहीं धोरैया विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन प्रत्याशी भूदेव चौधरी ही जीत पाए.

तीन प्रत्याशी पहुंचे विधानसभा
जिले की पांच विधानसभा क्षेत्रों में से तीन विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं. इसमें अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से जयंत राज, बेलहर विधानसभा क्षेत्र से मनोज यादव और कटोरिया विधानसभा क्षेत्र से डॉ निक्की हेंब्रम शामिल हैं. हालांकि मनोज यादव एमएलसी रहते पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की.

अन्य नेताओं ने खोला मोर्चा
कटोरिया विधानसभा क्षेत्र में 10 वर्ष बाद कमल खिलाने वाली डॉ निक्की हेम्ब्रम पहली बार विधानसभा चुनाव जीते हैं. बेलहर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के नेताओं ने अंदरूनी कलह के बावजूद मनोज यादव जदयू से जीतने में सफल रहे. मनोज यादव को जदयू के प्रत्याशी बनाए जाने पर स्थानीय सांसद गिरधारी यादव से लेकर जदयू के अन्य नेताओं ने मोर्चा खोल रखा था. इसके बावजूद भी मनोज यादव अपने राजनीतिक सूझबूझ के साथ न सिर्फ अपने पार्टी के विरोधियों का मुंह बंद कर दिया बल्कि शानदार जीत दर्ज की.

जयंत ने पिता तो निक्की ने ससुर की विरासत को संभाला
अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन युवा प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, लेकिन कांग्रेस के जितेंद्र सिंह और लोजपा के डॉ. मृणाल शेखर पर जदयू के जयंत राज भारी पड़े. जयंत राज ने न सिर्फ कांटे की टक्कर में पहली बार विधायकी का स्वाद चखा, बल्कि अपने पिता के भी विरासत को संभाल लिया. हालांकि इनके पिता जनार्दन मांझी पर भाई भतीजे बाद का भी आरोप लगा. विरोध करने का खामियाजा जदयू के कई नेताओं को भुगतना भी पड़ा और उन्हें निष्कासन का सामना भी करना पड़ा. वहीं भाजपा के डॉ. निक्की हेंब्रम ने कटोरिया से अपने ससुर सोनेलाल हेंब्रम की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया है. सोनेलाल हेम्ब्रम 2010 में कटोरिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

महागठबंधन को तीन सीटों का हुआ नुकसान
जिले की जनता ने अपने चार विधानसभा सीटों विधायक के चेहरे को बदल दिया है. भाजपा के रामनारायण मंडल को छोड़कर सभी सीटों पर इस बार चेहरा बदल गया है. राजद के भूदेव चौधरी ने धोरैया सीट को इस बार जदयू से छीन लिया है. लगातार तीन टर्म से विधायक रहे मनीष कुमार को हरा दिया. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बांका में महागठबंधन ने चार सीटों पर कब्जा जमाया था. पुराने सभी सीट महागठबंधन हार गया. इस बार धोरैया विधानसभा से महागठबंधन के भूदेव चौधरी ने जीत दर्ज की है. वहीं सीट पर पूर्व में जदयू का कब्जा था.

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