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मंदार पर्वत पर लैया जाति के लोग डोली पर चढ़ाकर तीर्थ यात्रियों को कराते हैं भगवान का दर्शन - लैया जाति

मंदार पर्वत पर लैया जाति के लोग असमर्थ और असहाय लोगों को भगवान वासु के मंदिर तक ले जाते हैं और इस कार्य ने इनका परिवार चलता है. जैन धर्मावलंबी मीरा जैन ने बताया किपैर से लाचार होने की वजह से मंदार पर्वत की चढ़ाई करने में असमर्थ हूं. इसलिए डोली पर बैठकर भगवान वासु पूज्य का दर्शन करने जा रही हूं. इनको दुआ के साथ-साथ मुंह मांगे पैसे भी देंगे.

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Published : Mar 22, 2020, 12:48 PM IST

बांका: जिले के बौंसी प्रखंड स्थित मंदार पर्वत तीन धर्मों का संगम स्थली है. मंदार पर्वत की तलहटी में स्थित पापहरणी सरोवर जहां सनातन और सफा धर्मावलंबियों का आस्था का बड़ा केंद्र है. वहीं, 700 मीटर पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर जैन धर्म के 12वें तीर्थांकर भगवान वासु पूज्य का निर्वाण स्थली अवस्थित है. जहां देश भर के जैन धर्मावलंबी दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां तीर्थ यात्री को लैया जाति के लोग डोली में बिठाकर दुरूह पहाड़ी पर चढ़ाते हैं और उसी पैसे से उनके परिवार की रोजी-रोटी भी चलता है.

-banka
डोली पर चढ़कर तीर्थ यात्रियों को कराते हैं भगवान का दर्शन

पैसे लेकर कराते हैं भगवान के दर्शन
भक्त श्रवण कुमार जहां अपने वृद्ध और अंधे मां-बाप को कंधे पर लेकर तीर्थ दर्शन कराने के लिए निकले थे. उसी तरह मंदार में लैया जाति के लोग मिलते हैं जो पैसे लेकर लाचार तीर्थयात्री को भगवान वासु के मंदिर तक ले जाते हैं. कंधे पर डोली लेकर चढ़ने वाले लैया जाति के लोग झपनियां कदरसी टोला के रहने वाले है और ये लोग गरीब परिवार से आते हैं. पिछले कई दशकों से इनके परिवार का खानदानी पेशा है. बाहर से आने वाले लाचार जैन धर्मावलंबी जो मंदार की कठिन चढ़ाई करने में असमर्थ होते हैं. ऐसे लोगों को कुछ पैसे के बदले भगवान के दर्शन कराते हैं.

दुआ के साथ-साथ देंगे मुंह मांगे पैसे
जैन धर्मावलंबी मीरा जैन ने बताया कि लैया जाति के इन लोगों को जानती नहीं हूं, लेकिन इनके बारे में पढ़ा जरूर है. पैर से लाचार होने की वजह से मंदार पर्वत की चढ़ाई करने में असमर्थ हूं इसलिए डोली पर बैठकर भगवान वासु पूज्य का दर्शन करने जा रही हूं. इनको दुआ के साथ-साथ मुंह मांगे पैसे भी देंगे. सुनीता जैन ने बताया कि कई दफा मंदार आ चुके हैं. इस बार पूरे परिवार के साथ आए हैं. पहले कभी डोली पर नहीं चढ़ा इस बार शरीर साथ नहीं दे रहा है. .

देखें रिपोर्ट.

पारिवारिक पेशा से जुड़े हैं लैया जाति के लोग
डोली पर बिठाकर मंदार की दुरूह पहाड़ी पर तीर्थयात्रियों को लेकर चढ़ने वाले बलराम ने बताया कि गरीबी के चलते कई दशकों से अपने परिवार के इस पेशा से जुड़े हैं. डोली से जहां लोगों को ले जाने से कुछ कमाई होने के साथ ही भगवान के दर्शन करने का भी पुण्य मिल जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि रोजाना डोली पर चढ़कर जाने वाले तीर्थयात्री नहीं मिलते हैं. उन्होंने बताया कि लैया जाति के 200 से लोग अधिक लोग इस कार्य से जुड़े हुए हैं. बलराम ने आगे बताया कि मंदार में रोपवे शुरू हो जाने के बाद रोजी रोटी पर भी आफत आ जाएगी. जिससे परिवार चलाना काफी कठिन हो जाएगा.

बांका: जिले के बौंसी प्रखंड स्थित मंदार पर्वत तीन धर्मों का संगम स्थली है. मंदार पर्वत की तलहटी में स्थित पापहरणी सरोवर जहां सनातन और सफा धर्मावलंबियों का आस्था का बड़ा केंद्र है. वहीं, 700 मीटर पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर जैन धर्म के 12वें तीर्थांकर भगवान वासु पूज्य का निर्वाण स्थली अवस्थित है. जहां देश भर के जैन धर्मावलंबी दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां तीर्थ यात्री को लैया जाति के लोग डोली में बिठाकर दुरूह पहाड़ी पर चढ़ाते हैं और उसी पैसे से उनके परिवार की रोजी-रोटी भी चलता है.

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डोली पर चढ़कर तीर्थ यात्रियों को कराते हैं भगवान का दर्शन

पैसे लेकर कराते हैं भगवान के दर्शन
भक्त श्रवण कुमार जहां अपने वृद्ध और अंधे मां-बाप को कंधे पर लेकर तीर्थ दर्शन कराने के लिए निकले थे. उसी तरह मंदार में लैया जाति के लोग मिलते हैं जो पैसे लेकर लाचार तीर्थयात्री को भगवान वासु के मंदिर तक ले जाते हैं. कंधे पर डोली लेकर चढ़ने वाले लैया जाति के लोग झपनियां कदरसी टोला के रहने वाले है और ये लोग गरीब परिवार से आते हैं. पिछले कई दशकों से इनके परिवार का खानदानी पेशा है. बाहर से आने वाले लाचार जैन धर्मावलंबी जो मंदार की कठिन चढ़ाई करने में असमर्थ होते हैं. ऐसे लोगों को कुछ पैसे के बदले भगवान के दर्शन कराते हैं.

दुआ के साथ-साथ देंगे मुंह मांगे पैसे
जैन धर्मावलंबी मीरा जैन ने बताया कि लैया जाति के इन लोगों को जानती नहीं हूं, लेकिन इनके बारे में पढ़ा जरूर है. पैर से लाचार होने की वजह से मंदार पर्वत की चढ़ाई करने में असमर्थ हूं इसलिए डोली पर बैठकर भगवान वासु पूज्य का दर्शन करने जा रही हूं. इनको दुआ के साथ-साथ मुंह मांगे पैसे भी देंगे. सुनीता जैन ने बताया कि कई दफा मंदार आ चुके हैं. इस बार पूरे परिवार के साथ आए हैं. पहले कभी डोली पर नहीं चढ़ा इस बार शरीर साथ नहीं दे रहा है. .

देखें रिपोर्ट.

पारिवारिक पेशा से जुड़े हैं लैया जाति के लोग
डोली पर बिठाकर मंदार की दुरूह पहाड़ी पर तीर्थयात्रियों को लेकर चढ़ने वाले बलराम ने बताया कि गरीबी के चलते कई दशकों से अपने परिवार के इस पेशा से जुड़े हैं. डोली से जहां लोगों को ले जाने से कुछ कमाई होने के साथ ही भगवान के दर्शन करने का भी पुण्य मिल जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि रोजाना डोली पर चढ़कर जाने वाले तीर्थयात्री नहीं मिलते हैं. उन्होंने बताया कि लैया जाति के 200 से लोग अधिक लोग इस कार्य से जुड़े हुए हैं. बलराम ने आगे बताया कि मंदार में रोपवे शुरू हो जाने के बाद रोजी रोटी पर भी आफत आ जाएगी. जिससे परिवार चलाना काफी कठिन हो जाएगा.

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