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बांका: अपने गांव पैदल जा रहे कामगारों से लूट, पास में बचे थे मात्र 1500 रुपये - लॉकडाउन में लूट की घटना

बिहार-झारखंड की सीमा चांदन थाना के दर्दमारा सीमा पर कुछ कामगारों को रोक दिया गया. इसके बाद प्रशासन की तरफ से उन्हें बस से बांका मुख्यालय भेजा गया.

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Published : May 6, 2020, 10:19 PM IST

Updated : May 6, 2020, 10:49 PM IST

बांका: जिले के बिहार-झारखंड की सीमा चांदन थाना के दर्दमारा सीमा पर इलाहाबाद से कटिहार और वर्धमान से नेपाल जा रहे 12 कामगारों को रोक दिया गया. सभी पैदल ही अपने घर जा रहे थे. इसके बाद सभी कोचांदन प्रखंड कार्यालय परिसर भेज गया. यहां से उन्हें बस से बांका मुख्यालय भेजा गया. इसमें तीन कामगारों को जमुई के लाहाबन रेलवे स्टेशन के पास लूट का शिकार होना पड़ा.

रास्ते में हुई लूट
इस बारे में कामगारों ने बताया कि बस पर सवार होने से पहले कुछ सामाजिक कार्यकताओं ने नास्ता कराया. इसके बाद रेलवे पटरी से होकर जब वे लाहावन पहुंचे तो तीन-चार युवकों ने उन्हें घेर लिया और अन्य सामान सहित उनका पर्स भी छीन लिया. उनके पास केवल 1500 रुपये ही बचे हुए थे. वह भी लूट लिया गया.

पैदल चलकर आ रहे थे सभी
इस घटना से डरे कामगारों ने इसकी सूचना कहीं नहीं दी. बाद में जब इन लोगों को प्रखंड कार्यालय लाया गया. फिर यहां से सभी को बांका भेज दिया गया. इनमें से कुछ को कटिहार और कुछ को नेपाल तक जाना है. इस बारे में पदाधिकारी ने बताया कि 11 दिन में इलाहाबाद से यहां तक ये सभी पहुंचे हैं. जबकि वर्धमान से यहां आने में 6 दिन लगा है. रास्ते मे लूट की घटना के बाद इनकी पैदल चलने की हिम्मत जबाब दे गई. इसलिए ये लोग यहां आ गए. वरना पैदल ही घर तक भी चले जाते.

बांका: जिले के बिहार-झारखंड की सीमा चांदन थाना के दर्दमारा सीमा पर इलाहाबाद से कटिहार और वर्धमान से नेपाल जा रहे 12 कामगारों को रोक दिया गया. सभी पैदल ही अपने घर जा रहे थे. इसके बाद सभी कोचांदन प्रखंड कार्यालय परिसर भेज गया. यहां से उन्हें बस से बांका मुख्यालय भेजा गया. इसमें तीन कामगारों को जमुई के लाहाबन रेलवे स्टेशन के पास लूट का शिकार होना पड़ा.

रास्ते में हुई लूट
इस बारे में कामगारों ने बताया कि बस पर सवार होने से पहले कुछ सामाजिक कार्यकताओं ने नास्ता कराया. इसके बाद रेलवे पटरी से होकर जब वे लाहावन पहुंचे तो तीन-चार युवकों ने उन्हें घेर लिया और अन्य सामान सहित उनका पर्स भी छीन लिया. उनके पास केवल 1500 रुपये ही बचे हुए थे. वह भी लूट लिया गया.

पैदल चलकर आ रहे थे सभी
इस घटना से डरे कामगारों ने इसकी सूचना कहीं नहीं दी. बाद में जब इन लोगों को प्रखंड कार्यालय लाया गया. फिर यहां से सभी को बांका भेज दिया गया. इनमें से कुछ को कटिहार और कुछ को नेपाल तक जाना है. इस बारे में पदाधिकारी ने बताया कि 11 दिन में इलाहाबाद से यहां तक ये सभी पहुंचे हैं. जबकि वर्धमान से यहां आने में 6 दिन लगा है. रास्ते मे लूट की घटना के बाद इनकी पैदल चलने की हिम्मत जबाब दे गई. इसलिए ये लोग यहां आ गए. वरना पैदल ही घर तक भी चले जाते.

Last Updated : May 6, 2020, 10:49 PM IST
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