बांका : चांदन प्रखंड के लालपुर गांव निवासी नुनेश्वर मरांडी की बागवानी देख आपका मन गदगद हो जाएगा. नुनेश्वर 28 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद एक लाख से अधिक पौधे लगा चुके हैं, जिसमें 15 हजार से अधिक फलदार पौधे शामिल हैं. इनकी बागवानी के मुरीद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी हो गए थे. 1992 से शुरू हुआ पौधे लगाने का यह सिलसिला आज भी जारी है. नुनेश्वर मरांडी को जिला प्रशासन की ओर से किसान भूषण सम्मान से भी नवाजा गया है. यही वजह है कि उन्हें ग्रीन मैन ऑफ बांका के नाम से जाना जा रहा है.
नुनेश्वर मरांडी ने पिछले 28 वर्षों की कठिन मेहनत के बाद अपने 40 हेक्टेयर बंजर भूमि को हरियाली में बदल दिया. नुनेश्वर मरांडी ने 15 हजार से अधिक फलदार पौधे लगाने के साथ-साथ लगभग एक लाख अर्जुन के पौधे लगा चुके हैं. नुनेश्वर मरांडी के बगीचे में देसी-विदेशी किस्म के 15 हजार से अधिक फलदार पौधे देखने को मिल जाएंगे. इनकी कहानी सुनकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने काफिले के साथ यहां आ पहुंचे थे. मुख्यमंत्री ने इनके बगीचे के अमरूद और पपीता का स्वाद चखा था और लोगों को प्रेरित करने के लिए कहा था. जिला प्रशासन की ओर से उन्हें किसान भूषण से सम्मानित किया गया. इस जिले में किसी दूसरे को यह गौरव नहीं मिल सका है.
बंजर भूमि छोड़कर गए थे पूर्वज
नुनेश्वर मरांडी ने बताया कि उनके पूर्वज बंजर भूमि छोड़ कर गए थे. इसपर खेती करना नामुमकिन था. किसी तरह सिर्फ मक्के की खेती हो पाती थी. मुनेश्वर मरांडी किसी काम के सिलसिले में जमुई जिले के सिमुलतला गए थे. वहां एक किसान की बागवानी देखकर इतना प्रभावित हुए कि घर आकर मन में ठान लिया कि बंजर भूमि पर फलदार पौधे ही लगाना है. अकेले काम करना इनके बस की बात नहीं थी, तो इनके परिवार वालों ने इनका पूरा सहयोग.
1992 में नुनेश्वर मरांडी ने आम के पौधे लगाकर अपने इस मिशन की शुरूआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. नुनेश्वर अब तक दर्जनों किस्म के 4 हजार आम, देसी-विदेशी वरायटी के 4,500 अमरुद, 2 हजार पपीता, ड्रैगन फ्रूट सहित कटहल, बेर, मौसमी, शरीफा और मसाले के पौधे लगा चुके हैं.
15 हजार से अधिक लगा चुके हैं फलदार पौधे
नुनेश्वर मरांडी ने बताया कि फलदार पौधे लगाने का सिलसिला अब भी जारी है. देश-विदेश के वीएनआर, इलाहाबादी, थाई, ताइवान, मलेशियन सभी प्रकार के अमरुद बाग में उपलब्ध हैं. इसके अलावा आम के जर्दालू, अल्फांसो, आम्रपाली मालदा सहित दर्जनों वैरायटी के आम भी हैं.
मुनेश्वर मरांडी ने बताया कि बागवानी लगाने के दो फायदे हुए हैं. एक तो बंजर भूमि में हरियाली आ गई और दूसरी फलों से सालाना 10 लाख तक की कमाई हो जा रही है. मुनेश्वर मरांडी ने बताया कि कुछ ऐसे भी फल है जो यहां के जलवायु में सूट नहीं करता है. प्रयोग के तौर पर मौसमी, सेब, इलायची और ड्रैगन फ्रूट लगाया है.
नुनेश्वर की पत्नी मालती मुर्मू कहती है, 'शादी करके जब लालपुर गांव आए थे, तब यहां सिर्फ मकई और सीमित मात्रा में धान की खेती होती थी. परिवार चलाना मुश्किल हो गया था. तब पति के मन में बंजर भूमि पर बागवानी करने का ख्याल आया. मेहनत रंग लाई, अब सालाना अच्छी कमाई हो जा रही है.
किसानों को कर रहे प्रेरित
नुनेश्वर मरांडी ने बागवानी को सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रखा है. वो लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं. उनकी इस पहल अब रंग लाने लगी है. लालपुर गांव में 20 से अधिक किसान बंजर भूमि पर फलदार पौधे लगा रहे हैं.
किसान जीतन हेंब्रम कहते हैं, 'नुनेश्वर मरांडी किसानों को लगातार मदद मुहैया कराते हैं. साथ ही नर्सरी में कुछ पौधे तैयार कर किसानों के बीच वितरित भी करते हैं. उन्हीं से प्रेरित होकर फलदार पौधे लगाने का शुरू काम शुरू किया है. अब फल भी आने लगे हैं. इससे आमदनी भी हो जा रही है.'