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बांका: हरिपुर गांव पहुंचने के लिए नहीं है पक्की सड़क, बारिश के दिनों में 3 महीने तक होती है परेशानी

जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत हरिपुर गांव में शिक्षा के साथ-साथ सड़क की भी स्थिति बदहाल है. गांव को जोड़ने के लिए 3 ओर से सड़क बनी है, लेकिन कच्ची रहने की वजह से पूरी तरह से गड्ढे में तब्दील हो गई है. वहीं सरकारी स्कूल में लोग मवेशी बांधते है.

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Published : Aug 10, 2020, 7:48 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 4:44 PM IST

बांका
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बांका: जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत हरिपुर गांव की स्थिति बारिश के दिनों में बेहद खराब हो जाती है. इस गांव को जोड़ने के लिए तीन ओर से सड़क बनी हुई है, लेकिन सभी सड़क कच्ची होने की वजह से गड्ढों में तब्दील हो गई है. बारिश के दिनों में इन सड़कों पर चलना लोगों के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है. लगभग यही स्थिति इस गांव में शिक्षा की भी है. गांव में मध्य विद्यालय तक के स्कूल तो है, लेकिन विद्यालय अब मवेशी बांधने की जगह बन गई है और यहां बने चापाकल भी वर्षों से खराब है.

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सरकारी स्कूल में लोग बांधते है मवेशी

'खटिया पर जाना पड़ता है अस्पताल'
दरअसल, बारिश के दिनों में पूरा गांव लॉकडाउन हो जाता है. ग्रामीणों को 4 किलोमीटर तक कच्ची सड़क से होकर गुजरना पड़ता है. फिर गांव में लोग प्रवेश कर पाते हैं. बांका को जिला बने 29 वर्ष बीत गया है, लेकिन इस गांव में अब तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है. गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाता है. वहीं ग्रामीण अतीश कुमार सिंह बताते हैं कि सड़क नहीं रहने से काफी परेशानी होती है. गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाए, तो उसे खटिया पर अस्पताल ले जाना पड़ता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'बद से बदतर है स्थिति'
ग्रामीणों ने बताया कि बांका 1991 में जिला बना तो इस बात कि आस जगी की हरिपुर का विकास होगा और यहां पक्की सड़क बनेगी. जिससे हमलोग शहर से जुड़ेंगे. लेकिन हसरत अब तक अधूरी है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नेता तो आते हैं और सड़क बनवाने की बात भी करते हैं, लेकिन उनकी बातें आश्वासन तक ही सिमट कर रह जाती है. वहीं स्थानीय सागर कुमार सिंह ने बताया कि कच्ची सड़क रहने की वजह से बारिश के दिनों में एंबुलेंस गांव नहीं पहुंच पाता है. 3-4 महीने तक कुछ काम नहीं हो पाता है और घर में ही लॉक रहना पड़ जाता है. गांव को तीन ओर से जोड़ने के लिए सड़क है, लेकिन सब की बदहाल है.

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गांव की मुख्य सड़क गड्ढों में तब्दील

'खाद्यान्न वितरण में होती है समस्या'
गौरीपुर गांव तक पक्की सड़क नहीं होने की वजह से जहां पूरे ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं. वहीं गरीबों के बीच वितरित किए जाने के लिए जन वितरण प्रणाली का खाद्यान्न भी बारिश के मौसम में गांव तक नहीं पहुंच पाता है. वहीं डीलर संतोष कुमार ने बताया कि बरसात के मौसम में कोई भी वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाता है. अनाज को डेढ़ किलोमीटर दूर उतार कर वाहन चालक चला जाता हैं. किसी तरह अनाज को गांव लाया जाता है और लाभुकों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया जाता है. लगभग तीन महीने तक खाद्यान्न वितरण में समस्या होती है.

बांका: जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत हरिपुर गांव की स्थिति बारिश के दिनों में बेहद खराब हो जाती है. इस गांव को जोड़ने के लिए तीन ओर से सड़क बनी हुई है, लेकिन सभी सड़क कच्ची होने की वजह से गड्ढों में तब्दील हो गई है. बारिश के दिनों में इन सड़कों पर चलना लोगों के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है. लगभग यही स्थिति इस गांव में शिक्षा की भी है. गांव में मध्य विद्यालय तक के स्कूल तो है, लेकिन विद्यालय अब मवेशी बांधने की जगह बन गई है और यहां बने चापाकल भी वर्षों से खराब है.

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सरकारी स्कूल में लोग बांधते है मवेशी

'खटिया पर जाना पड़ता है अस्पताल'
दरअसल, बारिश के दिनों में पूरा गांव लॉकडाउन हो जाता है. ग्रामीणों को 4 किलोमीटर तक कच्ची सड़क से होकर गुजरना पड़ता है. फिर गांव में लोग प्रवेश कर पाते हैं. बांका को जिला बने 29 वर्ष बीत गया है, लेकिन इस गांव में अब तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है. गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाता है. वहीं ग्रामीण अतीश कुमार सिंह बताते हैं कि सड़क नहीं रहने से काफी परेशानी होती है. गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाए, तो उसे खटिया पर अस्पताल ले जाना पड़ता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'बद से बदतर है स्थिति'
ग्रामीणों ने बताया कि बांका 1991 में जिला बना तो इस बात कि आस जगी की हरिपुर का विकास होगा और यहां पक्की सड़क बनेगी. जिससे हमलोग शहर से जुड़ेंगे. लेकिन हसरत अब तक अधूरी है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नेता तो आते हैं और सड़क बनवाने की बात भी करते हैं, लेकिन उनकी बातें आश्वासन तक ही सिमट कर रह जाती है. वहीं स्थानीय सागर कुमार सिंह ने बताया कि कच्ची सड़क रहने की वजह से बारिश के दिनों में एंबुलेंस गांव नहीं पहुंच पाता है. 3-4 महीने तक कुछ काम नहीं हो पाता है और घर में ही लॉक रहना पड़ जाता है. गांव को तीन ओर से जोड़ने के लिए सड़क है, लेकिन सब की बदहाल है.

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गांव की मुख्य सड़क गड्ढों में तब्दील

'खाद्यान्न वितरण में होती है समस्या'
गौरीपुर गांव तक पक्की सड़क नहीं होने की वजह से जहां पूरे ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं. वहीं गरीबों के बीच वितरित किए जाने के लिए जन वितरण प्रणाली का खाद्यान्न भी बारिश के मौसम में गांव तक नहीं पहुंच पाता है. वहीं डीलर संतोष कुमार ने बताया कि बरसात के मौसम में कोई भी वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाता है. अनाज को डेढ़ किलोमीटर दूर उतार कर वाहन चालक चला जाता हैं. किसी तरह अनाज को गांव लाया जाता है और लाभुकों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया जाता है. लगभग तीन महीने तक खाद्यान्न वितरण में समस्या होती है.

Last Updated : Aug 31, 2020, 4:44 PM IST
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