बांका: जिले में प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है. इस क्रम में 15 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर अब तक बांका आ चुके हैं. गुरुवार को भी दिल्ली से श्रमिक स्पेशल ट्रेन 1200 से अधिक प्रवासी मजदूरों को लेकर बांका रेलवे स्टेशन पहुंची. जिला प्रशासन की ओर से सभी प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग कराई गई. उसके बाद सभी को बस के माध्यम से संबंधित क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा गया. श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बांका और मुंगेर के अलावा झारखंड के चार जिलों के प्रवासी मजदूर थे.
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प्रवासी मजदूर ने बताई परेशानी
गाजियाबाद से आ रहे दिव्यांग प्रवासी मजदूर अब्दुल बशीर ने बताया कि वो कपड़े पर कढ़ाई का काम करता था. लॉकडाउन में काम बंद हो गया, जो पैसे थे वह खाने में खर्च हो गए. एक महीने का किराया नहीं दे सका तो मकान मालिक ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. दोबारा जाने की तो इच्छा नहीं है. लेकिन, स्थिति सामान्य हुई तो परिवार की खातिर जा भी सकते हैं.
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वहीं, दिल्ली से आई एक अन्य प्रवासी महिला आरती ने बताया कि बस किसी तरह समय काट रहे थे. लॉकडाउन में काम बंद हो जाने से खाने की दिक्कत हो रही थी. अब दोबारा दिल्ली वापस नहीं जाएंगे. दर्जनों ऐसे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि घर पर ही रहकर कुछ काम करेंगे, लेकिन कमाने के लिए दिल्ली, पंजाब या अन्य प्रदेश नहीं जाएंगे.
फैक्ट्री मालिक ने की वादाखिलाफी
पंजाब के लुधियाना से आए प्रवासी मजदूर बुलबुल कुमार ने बताया कि फैक्ट्री के मालिक ने उसके साथ वादाखिलाफी का काम किया. पहले तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें वेतन दिया जाएगा, लेकिन बाद में वेतन नहीं दिया. किसी तरह समय काटना पड़ा. राशन दुकानदार का भी पैसा अधिक हो गया था. वहां से छुपकर भागने को विवश होना पड़ा. किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिला.