भागलपुर: झारखंड के देवघर के विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला (Shravani Mela 2022) कोरोना के कारण दो वर्षों बाद इस साल लगने वाला है. इस मेले में कांवड़ियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, इसके लिए बिहार सरकार प्रत्येक उपाय कर रही है. बिहार के बांका जिला प्रशासन इस बार श्रावणी मेला में आने वाले कांवड़ियों को मेला से संबंधित तमाम जानकारी मोबाइल एप्प (Mobile app for kanwariyas) पर उपलब्ध कराने की तैयारी में जुटा है. इस वर्ष एक महीने तक चलने वाला श्रावणी मेला 14 जुलाई से शुरू होने वाला है.
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कांवड़ियों के लिए मोबाइल एप्प की तैयारी : भगवान शंकर के लिए पवित्र माने जाने वाले सावन महीने में करीब 35 से 40 लाख श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर पैदल 105 किलोमीटर चलकर बाबाधाम, देवघर पहुंचते हैं. इस रास्ते का सबसे अधिक हिस्सा करीब 55 किलोमीटर बांका जिला में है. मेला में कांवड़ियों की सुविधा के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं. इसी के तहत जिला प्रशासन एक मोबाइल एप की तैयारी में जुटा है. बांका के जिलाधिकारी अंशुल कुमार ने बताया कि कांवड़ियों के लिए मोबाइल एप्प की तैयारी की जा रही है.
''इस मोबाइल एप्प के माध्यम से बांका जिले में कांवड़ियों के लिए उपलब्ध सारी सुविधा का डेटा उपलब्ध होगा. इसमें धर्मशाला, पेयजल, स्नानागार, शौचालय, अस्पताल, मेडिकल स्टोर, कंट्रोल रूम, पुलिस कैंप, मेडिकल कैंप सहित अन्य सुविधा की जानकारी होगी.'' - अंशुल कुमार, जिलाधिकारी, बांका
भागलपुर के आयुक्त दयानिधान पाण्डेय ने मंगलवार को भागलपुर और बांका जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर श्रावणी मेले की तैयारियों की समीक्षा भी की है. बैठक में कांवड़ियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति करने, नियंत्रण कक्ष भी बनाने के निर्देश दिए हैं. मेला क्षेत्र में 24 घंटे बिजली व्यवस्था और कांवड़ियों के लिए हर हाल में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना निश्चित करने की बात कही गई.
14 जुलाई से 12 अगस्त तक लगेगा मेला: बता दें कि इस बार श्रावणी मेला 14 जुलाई से 12 अगस्त तक लगेगा. 2019 में आखिरी बार श्रावणी मेला लगा था. 2019 के श्रावणी मेले में एक माह के दौरान करीब 55 लाख श्रद्धालु सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा का जल लेकर पैदल बाबाधाम गए थे. ऐसे में इस बार हर साल की तुलना डेढ़ गुना से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ लगने की उम्मीद है. इस कारण दोनों राज्यों के प्रशासन को तैयारी दोगुनी रखनी होगी.
105 किमी की पैदल यात्रा : देवघर में बाबा वैद्यनाथ को जो जल अर्पित किया जाता है, उसे शिव भक्त भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में बहने वाली उत्तर वाहिनी गंगा से भरकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा वैद्यनाथ को अर्पित करते हैं. कांवरिया बोल बम का मंत्र जाप करते हुए 86 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर सबसे पहले झारखंड की सीमा दुम्मा में प्रवेश करते हैं. यहां से दस किमी शिवगंगा और नौ करीब नौ किमी की रूट लाइन. इस तरह कुछ 105 किमी की दूरी तय कर कांवरिया बाबा पर जल अर्पण करते हैं.
देवघर में जलाभिषेक के बाद कांवरिया यहां से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर फौजदारी दरबार बासुकीनाथ भी जलाभिषेक करने पहुंचते हैं. देवघर से बासुकीनाथ की यात्रा पैदल, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से पूरी होती है. इसके अलावा भागलपुर में गंगा जल उठाकर भी कांवरिया देवघर और बासुकीनाथ आते हैं. ऐसी मान्यता है कि सावन में इन दोनों मंदिरों में शिव की अराधना से वांछित फल हासिल होता है.
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