बांका: बिहार के बांका जिले के चांदन प्रखंड में वन विभाग के लगातार प्रयास और आश्वासन के बावजूद वनों में आग लगने की घटना (Forest Fire Incident In Banka) कम नहीं हो रही है. वहीं आग लगने से लाखों के पेड़ हर वर्ष जलकर पूरी तरह बर्बाद हो रहे हैं. यह कारनामा हर वर्ष देखने को उस वक्त मिलता है, जब जंगलों में पतझड़ के कारण जमीन पर सूखे हुए पत्ते गिरते हैं और महुआ चुनने वाले को परेशानी होती है.
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जंगल में आग लगने की घटना: बताया जाता है कि महुआ चुनने वाले व्यक्ति द्वारा ही जमीन को साफ करने के लिए सूखे पत्ते में आग लगा दिया जाता है. जिस कारण सारा पत्ता जलने के साथ-साथ आसपास के हजारों पेड़ जलकर बर्बाद हो जाते हैं. मार्च महीने में जहां इनारावरण, गौरीपुर, तुर्की, नाड़ीबारी, गोपडीह, कदरसा और जुगड़ी के जंगलों में आग लगाकर हजारों के पेड़-पौधे जलाकर बर्बाद कर दिया गया था. उस वक्त भी वनपाल द्वारा इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाने की बात कही गई थी.
आग में जलकर कई पेड़ खाक: अब अचानक एक बार फिर से कांवरिया पथ के किनारे के सुग्गासार, गोड़ियारी, बेलहरिया, जनकपुर सहित अन्य कई जंगलों में आग लगने की घटना हुई है. लगातार दो दिनों से इन जंगलों में आग लगातार फैलती जा रही है. जिससे हरे भरे पेड़ और नए लगाए गए कुछ पौधे भी जलकर बर्बाद हो गए हैं. लेकिन वन विभाग द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. इतना ही नहीं हवा के कारण यह आग लगातार फैलती जा रही है. जो कई हेक्टेयर के वनों को अपने चपेट में ले रहा है.
वन विभाग नहीं कर रही कार्रवाई: बताया जाता है कि ग्रामीणों द्वारा इसकी जानकारी वनपाल को दे दिए जाने के बावजूद जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाता है. जिससे आग पर काबू पाया जा सके. लेकिन यह बात पूरी तरह सच है कि महुआ के कारोबार करने वाले लोगों और महुआ चुनने वाले परिवार के द्वारा ही हर वर्ष इस प्रकार की घटना की जाती है. लेकिन किसी पर भी आज तक कोई विभागीय कार्यवाही नहीं हो सका है, इसलिए इस प्रकार के शरारत करने वाले का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है.
"महुआ चुनने वाले लोगों द्वारा ही इस प्रकार की घटना की जाती है. आसपास के ग्रामीण उसका नाम बताने को तैयार नहीं है. जिससे कार्रवाई में परेशानी होती है. फिर भी गुप्त सूचना के आधार पर शरारती तत्व का पता लगाया जा रहा है. जिसपर अब जल्दी ही कार्रवाई की जाएगी."- चंदन कुमार, चांदन वनपाल