बांकाः सृजन घोटाले (Srijan Scam In Bihar) में संलिप्त बांका के पूर्व एडीएम जय श्री ठाकुर की तीन अलग-अलग जगहों पर सिरांय मौजा की करीब 11 एकड़ जमीन (Land of Banka former ADM seized In Srijan Scam) को प्रवर्तन निदेशालय द्वार गुरुवार को जब्त कर लिया गया है. ईडी पटना से आई पांच सदस्यीय टीम ने अंचलाधिकारी विजय कुमार गुप्ता और अंचलकर्मियों के सहयोग से तीन जगहों की जमीन को चिन्हित किया. उसके बाद मापी कर उन जगहों पर टीम ने बोर्ड लगा दिया.
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जमीन की खरीद फरोख्त पर रोकः टीम सदस्यों के मुताबिक बोर्ड लगाए गए और चिन्हित किए गए जमीन की अब खरीद फरोख्त नहीं की जा सकती है. टीम के सदस्यों ने सबसे पहले सिरांय मौजा की खाता संख्या 58 की 4 एकड़ 87.75 डिसमिल जमीन और इसी खाता की तीन एकड़ 34.5 डिसमिल जमीन, जबकि खाता संख्या 134, 82,83 और 85 की 2 एकड़ 94 डिसमिल जमीन जब्त किया. इसके बाद बांका में खाता 279 के 58,28 खसरा में पुत्र ऋषिकेश चौधरी के नाम पर 4 एकड़ की जमीन को जब्त किया.
तत्कालीन एडीएम के भाई के जमीन की भी जांचः जमीन को सीज कर बोर्ड लगा देने के बाद टीम तत्कालीन एडीएम जय श्री ठाकुर के भाई के घर ब्रह्मपुर गांव पहुंची. बता दें कि पूर्व एडीएम का गांव भी मायका ब्रह्मपुर ही है. यहां उनके भाई को नोटिस दिया गया कि वह जल्द से जल्द बैंक डिटेल और जमीन के कागजात के साथ अपने अन्य संपत्तियों के कागजात को लेकर पटना पहुंचे. इस मौके पर बौंसी थाना के एसआई उमेश कुमार प्रसाद, एएसआई महेंद्र मिश्रा, अंचल राजस्व कर्मचारी समरजीत सिंह, अंचल अमीन सरगुण दास, अविनाश कुमार सहित भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहे.
21 सौ करोड़ रुपये का है सृजन घोटालाः सृजन घोटाला 21 सौ करोड़ रुपये का है. जब सरकारी चेक एक बैंक में जाने के बाद बैंक अधिकारी ने यह कहते हुए लौटा दिया कि खाते में पैसा नहीं है. चेक पर जिलाधिकारी आदेश तितरमारे का हस्ताक्षर था. बैंक से चेक के वापस होने के बाद जिलाधिकारी ने मामले की जांच शुरू कराई. जांच में पता चला कि खाते में पर्याप्त राशि नहीं है. इसके बाद मामले को लेकर जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया. जांच में पता चला कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के सरकारी खाते में रुपए नहीं है.
2017 में हुई पहली प्राथमिकी दर्जः 9 अगस्त 2017 को पहली प्राथमिकी दर्ज कराई गई. इसके बाद एक-एक कर विभागों का घोटाला सामने आने लगा. जांच के दौरान पता चला कि सरकारी विभागों की राशि विभागीय खाते में नहीं जाकर अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद से सृजन महिला सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती थी. इस कार्य में जिला से लेकर प्रखंड स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता थी. जांच का जिम्मा सीबीआई को मिलने के बाद कई अधिकारी और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया और कई के खिलाफ जांच चल रही है.
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