बांका: गरीब तबके के छात्रों के लिए करोड़ों की लागत से बनाया गया जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास ( Jannayak Karpoori Thakur Hostel ) वीरान पड़ा हुआ है. 25 कमरे वाले छात्रावास का उद्घाटन वर्ष 2013 में खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) ने किया था. लेकिन उद्घाटन के बाद से ही छात्रावास खाली है.
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पुल निर्माण निगम ने बनाया था छात्रावास
पुल निर्माण निगम की ओर से इस छात्रावास को बनाया गया था. 25 कमरे वाले इस दो मंजिले छात्रावास को करोड़ों की लागत से बनाया गया था. लेकिन इसे बनाने के बाद से ही यह खाली पड़ा हुआ है.
डेढ़ महीने में छात्रों ने खाली किया छात्रावास
यह छात्रावास उद्घाटन के बाद से ही विरान पड़ा हुआ है. तीन वर्ष पूर्व 14 छात्र यहां रहने जरूर आए थे. लेकिन डेढ़ महीने के अंदर सभी छात्रों ने बारी-बारी से छात्रावास खाली कर दिया. जिसके बाद से छात्रावास खाली पड़ा हुआ है. यहां बच्चों के नहीं रहने का सबसे बड़ा कारण भवन का निर्माण कार्य सुनसान जगह पर होना है.
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वीरान जगह पर बनाया गया है छात्रावास
बांका जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर लक्ष्मीपुर गांव से सटे वीरान जगह पर इस छात्रावास का निर्माण किया गया है. यही कारण है कि इस छात्रावास में कोई रहना नहीं चाहते हैं. इस छात्रावास से सटे गांव की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है. जबकि यहां बच्चों के रहने के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध है. इसके बाद भी यहां बच्चे टिक नहीं पाए.
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छात्रों को हो रही थी परेशानी
स्थानीय उर्मिला देवी ने बताया कि कुछ छात्र यहां रहने के लिए आए थे. लेकिन सभी का नामांकन शहर के स्कूलों में था. बच्चों को यहां खाना बनाना पड़ता था. साथ ही ट्यूशन पढ़ने और स्कूल जाने में अधिक दूरी होने की वजह से बच्चों को दिक्कत हो रही थी. बच्चों का कहना था कि उन्हें समय नहीं मिल पाता था. उर्मीला देवी ने कहा कि छात्रावास का निर्माण गलत जगह पर किया गया है. अगर यह छात्रावास शहरी क्षेत्र में रहता तो इसमें छात्र जरूर रहते.
99 बच्चों के रहने की है सुविधा
25 कमरे वाले इस दो मंजिले छात्रावास में 99 बच्चों के रहने के लिए सभी प्रकार के सामान उपलब्ध है. तीन वर्ष पहले कुछ छात्र यहां आए भी थे. लेकिन आने के करीब डेढ़ महीने बाद ही सभी छात्र यहां से चले गए.
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शहर से दूरी होने के चलते नहीं रहते हैं छात्र
जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास में नाइट गार्ड के तौर पर तैनात शत्रुघ्न मंडल ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व छात्र रहने के लिए आए थे. सभी बच्चों का नामांकन शहर के इंटर स्तरीय स्कूल में था. जिस की दूरी यहां से लगभग 6 किलोमीटर है. आने-जाने में समय खत्म हो जाता था. वहीं वीरान इलाका होने के चलते यहां रहने वाले छात्रों के मन में भय रहता था. जिसके चलते सभी छात्रों ने बारी-बारी से छात्रावास खाली कर दिया.
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कल्याण विभाग के पास से संचालन की जिम्मेदारी
वर्तमान में इस छात्रावास के संचालन की जिम्मेदारी कल्याण विभाग के पास है. छात्र नहीं रहने की वजह से कल्याण विभाग के अधिकारियों ने सभी कमरों में ताला जड़ दिया है. इस छात्रावास में बच्चों को रखने के लिए काफी प्रयास किया गया, लेकिन शहर से दूरी होने की वजह से यहां कोई रहने को तैयार नहीं है.