बांकाः भारत एक कृषि प्रधान देश है. जहां सालों से किसान परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं. लेकिन जिले के जलस्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है. ऐसे में किसान अब फसलों की बेहतर पैदावार के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम यानी सुख सिंचाई पद्धति की मदद ले रहे हैं.
नहीं होती अधिक मात्रा में पानी की जरूरत
बाराहाट प्रखंड के तप्पाडीह गांव के किसान माधव कुमार दास सरकारी मदद से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपनाकर खेती कर रहे हैं. इसमें लगभग 58 हजार तक का खर्च आता है. माधव कुमार दास ने बताया कि वर्षा कम होने की वजह से लगातार पानी की कमी हो रही है. जिससे जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. ड्रिप इरीगेशन सिस्टम में पौधे को अधिक मात्रा में पानी की जरूरत नहीं पड़ती है.
प्रति एकड़ दो लाख का हो रहा है मुनाफा
किसान माधव दास ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाने के बाद प्रति एकड़ एक फसल से दो लाख का मुनाफा हो रहा है. माधव दास जिले के पहले ऐसे किसान हैं जो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. उनसे प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य किसानों का झुकाव भी इस ओर बढ़ा है.
60 प्रतिशत तक पानी की बचत
जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि किसानों के पटवन की समस्या को दूर करने के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम कारगर साबित हो सकता है. इसमें 60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है और पौधे को जरूरत के हिसाब से ही पानी मिलती है. इससे फसलों की उत्पादन अधिक होने के साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है.
किसानों को दिया जा रहा अनुदान
बता दें कि कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर 90 प्रतिशत और स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. सिंचाई प्रक्रिया के तहत पपीता, केला, आलू, प्याज, मक्का, गेहूं, फूल, आम, अमरूद, सब्जियों सहित अन्य फसलों की सिंचाई की जा सकती है.