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बांकाः ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से खेती कर रहे किसान, कम लागत में हो रहा ज्यादा मुनाफा - 60 प्रतिशत तक पानी की बचत

किसान माधव दास ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाने के बाद प्रति एकड़ एक फसल से दो लाख का मुनाफा हो रहा है. माधव दास जिले के पहले ऐसे किसान हैं. जो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं.

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Published : Feb 10, 2020, 2:43 PM IST

बांकाः भारत एक कृषि प्रधान देश है. जहां सालों से किसान परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं. लेकिन जिले के जलस्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है. ऐसे में किसान अब फसलों की बेहतर पैदावार के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम यानी सुख सिंचाई पद्धति की मदद ले रहे हैं.

नहीं होती अधिक मात्रा में पानी की जरूरत
बाराहाट प्रखंड के तप्पाडीह गांव के किसान माधव कुमार दास सरकारी मदद से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपनाकर खेती कर रहे हैं. इसमें लगभग 58 हजार तक का खर्च आता है. माधव कुमार दास ने बताया कि वर्षा कम होने की वजह से लगातार पानी की कमी हो रही है. जिससे जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. ड्रिप इरीगेशन सिस्टम में पौधे को अधिक मात्रा में पानी की जरूरत नहीं पड़ती है.

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से किसान कर रहे खेती

प्रति एकड़ दो लाख का हो रहा है मुनाफा
किसान माधव दास ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाने के बाद प्रति एकड़ एक फसल से दो लाख का मुनाफा हो रहा है. माधव दास जिले के पहले ऐसे किसान हैं जो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. उनसे प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य किसानों का झुकाव भी इस ओर बढ़ा है.

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किसान माधव दास

60 प्रतिशत तक पानी की बचत
जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि किसानों के पटवन की समस्या को दूर करने के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम कारगर साबित हो सकता है. इसमें 60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है और पौधे को जरूरत के हिसाब से ही पानी मिलती है. इससे फसलों की उत्पादन अधिक होने के साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है.

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ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से खेती

किसानों को दिया जा रहा अनुदान
बता दें कि कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर 90 प्रतिशत और स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. सिंचाई प्रक्रिया के तहत पपीता, केला, आलू, प्याज, मक्का, गेहूं, फूल, आम, अमरूद, सब्जियों सहित अन्य फसलों की सिंचाई की जा सकती है.

बांकाः भारत एक कृषि प्रधान देश है. जहां सालों से किसान परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं. लेकिन जिले के जलस्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है. ऐसे में किसान अब फसलों की बेहतर पैदावार के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम यानी सुख सिंचाई पद्धति की मदद ले रहे हैं.

नहीं होती अधिक मात्रा में पानी की जरूरत
बाराहाट प्रखंड के तप्पाडीह गांव के किसान माधव कुमार दास सरकारी मदद से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपनाकर खेती कर रहे हैं. इसमें लगभग 58 हजार तक का खर्च आता है. माधव कुमार दास ने बताया कि वर्षा कम होने की वजह से लगातार पानी की कमी हो रही है. जिससे जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. ड्रिप इरीगेशन सिस्टम में पौधे को अधिक मात्रा में पानी की जरूरत नहीं पड़ती है.

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से किसान कर रहे खेती

प्रति एकड़ दो लाख का हो रहा है मुनाफा
किसान माधव दास ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाने के बाद प्रति एकड़ एक फसल से दो लाख का मुनाफा हो रहा है. माधव दास जिले के पहले ऐसे किसान हैं जो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. उनसे प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य किसानों का झुकाव भी इस ओर बढ़ा है.

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किसान माधव दास

60 प्रतिशत तक पानी की बचत
जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि किसानों के पटवन की समस्या को दूर करने के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम कारगर साबित हो सकता है. इसमें 60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है और पौधे को जरूरत के हिसाब से ही पानी मिलती है. इससे फसलों की उत्पादन अधिक होने के साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है.

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ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से खेती

किसानों को दिया जा रहा अनुदान
बता दें कि कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर 90 प्रतिशत और स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. सिंचाई प्रक्रिया के तहत पपीता, केला, आलू, प्याज, मक्का, गेहूं, फूल, आम, अमरूद, सब्जियों सहित अन्य फसलों की सिंचाई की जा सकती है.

Intro:जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि उद्देश्य स्पष्ट है कि कम से कम पानी में ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र में फसल का उत्पादन कर सकें। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के अनेकों फायदे हैं। इसके माध्यम से पौधे को उतनी मात्रा में पानी मिलती है जितने की जरूरत फसल को होती है और इससे फसलों का उत्पादन अधिक होने के साथ-साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है।


Body:- जिले में लगातार गिरता जा रहा है जलस्तर

- सिंचाई की समस्या से अक्सर जो जीते हैं जिले के किसान

- किसानों के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम कारगर हो सकता है साबित

- सरकार ड्रिप इरिगेशन पर 90 फ़ीसदी तक दे रही है अनुदान

- तप्पाडीह के किसान माधव दास ने ड्रिप इरिगेशन से खेती की कर दी है शुरुआत

- माधव दास ड्रिप इरिगेशन अपनाकर कर कर रहे हैं ऑर्गेनिक खेती


- ड्रिप इरिगेशन से खेती करने पर एक फसल में प्रति एकड़ दो लाख का हो रहा है मुनाफा

- माधव दास से आस-पास के किसान भी हो रहे हैं प्रेरित

- ड्रिप इरिगेशन से पानी के साथ साथ पैसे की भी होती है बचत

बांका। भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां वर्षो से किसान परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं। लेकिन अब बांका जिले के किसान फसलों की बेहतर पैदावार के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम यानी सुख सिंचाई पद्धति के माध्यम से अपने किस्मत चमकाने में लगे हैं। बांका में लगातार जलस्तर में गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम किसानों के लिए पटवन की समस्या को दूर करने के लिए कारगर साबित हो सकता है। बता दें कि कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर 90% और स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम पर 75% अनुदान दिया जा रहा है।

ड्रिप इरिगेशन पर 90 प्रतिशत मिलता है अनुदान
गौरतलब है कि बांका जिले के बाराहाट प्रखंड के तप्पाडीह गांव के किसान माधव कुमार दास सरकारी मदद से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपनाकर खेती कर रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम पर लगभग 58 हजार तक का खर्च पड़ता है। बता दें कि कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को ड्रिप इरिगेशन सिस्टम पर पर 90% और स्प्रिंकलर सिस्टम पर 75% अनुदान का लाभ दिया जा रहा है।

कर्ज जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि इसी प्रक्रिया के माध्यम से अधिक उपज होने के साथ-साथ 60% तक पानी की बचत होती है। सिंचाई प्रक्रिया के तहत पपीता, केला, आलू, प्याज, मक्का, गेहूं, फूल, आम, अमरूद, सब्जियों सहित अन्य फसलों की सिंचाई की जा सकती है।

लगातार गिरता जा रहा है जलस्तर
12 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे तप्पाडीह के किसान माधव कुमार दास बताते हैं कि वर्षा कम होने की वजह से लगातार पानी की कमी हो रही है। बरसात कम होने से पानी का स्टोरेज नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से जल स्तर लगातार नीचे चला जा रहा है। फ्लड इरीगेशन में जाने से दिक्कत है। इसलिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम अपनाना पड़ा। पौधे को अधिक मात्रा में पानी की जरूरत नहीं पड़ती है सिर्फ नमी चाहिए होती है।

प्रति एकड़ दो लाख का हो रहा है मुनाफा
माधव दास बताते हैं कि ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाने के बाद प्रति एकड़ एक फसल से दो लाख का मुनाफा हो रहा है। माधव दास जिले के पहले ऐसे किसान हैं जो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं और इसको बढ़ावा भी दे रहे हैं। माधव दास से प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य किसानों का भी झुकाव इस बढ़ा है। किसान रामनारायण यादव बताते हैं कि माधव दास से ही प्रेरित होकर ड्रिप इरिगेशन से आलू, मक्का, सरसों, तरबूज की खेती कर रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन से समय के साथ-साथ पानी की भी बचत होती है।





Conclusion:60 प्रतिशत तक होती है पानी की बचत
जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि किसानों के पटवन की समस्या को दूर करने के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम कारगर साबित हो सकता है। इसमें 60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है और पौधे को उतने ही मात्रा में पानी मिलती है जितने की जरूरत फसल को होती है। इसे फसलों के उत्पादन अधिक होने के साथ-साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है। सरकार इस पर 90 फ़ीसदी तक अनुदान दे रही है।

बाईट-माधव दास, किसान
बाईट- रामनारायम यादव, किसान
बाईट- सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी
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