बांकाः जिले में सात डैम है. जिसमें चांदन डैम सबसे बड़ा है. चांदन डैम बांका भागलपुर और झारखंड के गोड्डा जिले के किसानों के लिए लाइफलाइन माना जाता है. लेकिन डैम के 75 फीसदी हिस्से में गाद भर जाने के कारण किसानों के समक्ष पटवन की समस्या उत्पन्न हो गई है.
किसानों को पटवन की समस्या
जिले के बौंसी प्रखंड में 1962 में निर्मित चांदन डैम की क्षमता कभी एक लाख 10 क्यूसेक थी. साल दर साल गाद भर जाने की वजह से स्टोरेज क्षमता भी घटती चली गई. डैम से प्रत्येक वर्ष 17 हजार 110 वर्ग हेक्टेयर में किसानों को पटवन का लाभ मिलता था. वर्तमान में डैम की भंडारण क्षमता महज 37.5 हेक्टेयर ही रह गया है. चांदन डैम का केचमेंट एरिया 549 स्क्वायर किलोमीटर है. जो कि अब धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है.
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गाद सफाई अधर में लटका
सिंचाई विभाग ने 1500 करोड़ की डीपीआर तैयार किया था. लेकिन भारी-भरकम राशि के चलते जल संसाधन विभाग ने हाथ खड़े कर दिए थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चांदन डैम दो बार आए और गाद उड़ाई के लिए डीपीआर फिर से तैयार करने को कहा. जिसके बाद 150 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया. लेकिन गाद सफाई अब तक अधर में लटका हुआ है.
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भाड़े पर कुएं लेकर करना पड़ता है पटवन
किसान बीवी आमना ने बताया कि चांदन डैम के कैनाल से नहर में आने वाले पानी से किसानों के खेतों में पटवन नहीं हो पाता है. नहर पूरी तरह से बर्बाद है, उसे कभी दुरुस्त नहीं किया गया. जिसके चलते पटवन की समस्या लाइलाज बीमारी बन कर रह गई है. भाड़े पर कुएं लेकर पटवन करना पड़ता है. युवा किसान मो. सद्दाम हुसैन ने बताया कि किसानों के लिए पटवन बड़ी समस्या है. किसानों को खेतों तक पानी नहीं मिल पाता है. चांदन डैम में गाद भर जाने से स्टोरेज क्षमता कम हो गया. इसलिए खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है. पटवन के लिए कुएं पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इसके लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है, जो कि किसानों के लिए किसी बोझ से कम नहीं है.
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कई योजना अधर में लटकी
किसान नेता शिव किंकर सिंह ने बताया कि चांदन डैम के स्पिलवे में कुछ तकनीकी व्यवस्था करने के लिए तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बसावन सिंह ने पांच फीट बढ़ाने का प्लान तैयार किया था. जिससे स्टोरेज क्षमता में 40 फीसदी बढ़ोतरी हो जाती और रबी फसल के दौरान भी किसानों को पटवन मिल जाता. लेकिन इस डिजाइन पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया और यह योजना अधर में लटकी रह गई.
विनोद कुमार ने बताया कि अब दूसरे तरीके पर विचार किया जा रहा है. जिसके तहत गाद उड़ाही के लिए वेट एक्टिवेशन तरीका अपनाया जाना है. गाद निकालने के लिए प्लांट स्थापित कर पाइप के माध्यम से बालू को अलग कर दिया जाएगा और पानी को डैम में रिस्टोर कर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया पर सरकार से बात चल रही है. अब तक फाइनल नहीं हो पाया है. जैसे फाइनल होगा इसकी जानकारी दी जाएगी.