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चांदन डैम के 75 फीसदी हिस्से में भरा गाद, किसानों को पटवन के लिए हो रही है समस्या - bihar latest news

बौंसी प्रखंड में 1962 में निर्मित चांदन डैम की क्षमता कभी एक लाख 10 क्यूसेक थी. साल दर साल गाद भर जाने की वजह से स्टोरेज क्षमता भी घटती चली गई. डैम से प्रत्येक वर्ष 17 हजार 110 वर्ग हेक्टेयर में किसानों को पटवन का लाभ मिलता था. वर्तमान में डैम की भंडारण क्षमता महज 37.5 हेक्टेयर ही रह गया है. चांदन डैम का कैचमेंट एरिया 549 स्क्वायर किलोमीटर है. जो कि अब धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है.

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Published : Sep 8, 2020, 3:13 PM IST

बांकाः जिले में सात डैम है. जिसमें चांदन डैम सबसे बड़ा है. चांदन डैम बांका भागलपुर और झारखंड के गोड्डा जिले के किसानों के लिए लाइफलाइन माना जाता है. लेकिन डैम के 75 फीसदी हिस्से में गाद भर जाने के कारण किसानों के समक्ष पटवन की समस्या उत्पन्न हो गई है.

किसानों को पटवन की समस्या
जिले के बौंसी प्रखंड में 1962 में निर्मित चांदन डैम की क्षमता कभी एक लाख 10 क्यूसेक थी. साल दर साल गाद भर जाने की वजह से स्टोरेज क्षमता भी घटती चली गई. डैम से प्रत्येक वर्ष 17 हजार 110 वर्ग हेक्टेयर में किसानों को पटवन का लाभ मिलता था. वर्तमान में डैम की भंडारण क्षमता महज 37.5 हेक्टेयर ही रह गया है. चांदन डैम का केचमेंट एरिया 549 स्क्वायर किलोमीटर है. जो कि अब धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है.

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चांदन डैम

गाद सफाई अधर में लटका
सिंचाई विभाग ने 1500 करोड़ की डीपीआर तैयार किया था. लेकिन भारी-भरकम राशि के चलते जल संसाधन विभाग ने हाथ खड़े कर दिए थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चांदन डैम दो बार आए और गाद उड़ाई के लिए डीपीआर फिर से तैयार करने को कहा. जिसके बाद 150 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया. लेकिन गाद सफाई अब तक अधर में लटका हुआ है.

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नहर में बहता पानी

भाड़े पर कुएं लेकर करना पड़ता है पटवन
किसान बीवी आमना ने बताया कि चांदन डैम के कैनाल से नहर में आने वाले पानी से किसानों के खेतों में पटवन नहीं हो पाता है. नहर पूरी तरह से बर्बाद है, उसे कभी दुरुस्त नहीं किया गया. जिसके चलते पटवन की समस्या लाइलाज बीमारी बन कर रह गई है. भाड़े पर कुएं लेकर पटवन करना पड़ता है. युवा किसान मो. सद्दाम हुसैन ने बताया कि किसानों के लिए पटवन बड़ी समस्या है. किसानों को खेतों तक पानी नहीं मिल पाता है. चांदन डैम में गाद भर जाने से स्टोरेज क्षमता कम हो गया. इसलिए खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है. पटवन के लिए कुएं पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इसके लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है, जो कि किसानों के लिए किसी बोझ से कम नहीं है.

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डैम से गिरता पानी
डैम में गाद भर जाने से स्टोरेज क्षमता में आई कमी
किसान नेता कृष्ण किंकर सिंह बताते हैं कि चांदन डैम के डेड स्टोरेज में गाद भर जाने के कारण उसका भंडारण क्षमता कम हो गया है. यदि बारिश नहीं हुई तो किसी तरह खरीफ में पटवन हो जाता है. लेकिन रबी फसल का पटवन नहीं हो पाता है. यदि गाद को शीघ्र नहीं निकाला गया तो जो भी स्टोरेज क्षमता बचा हुआ है, वह भी भर जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चांदन डैम दो बारा आए. लेकिन गाद निकालने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई. पटवन का दायरा भी सिमट कर 30 से 35 हजार हेक्टेयर तक ही रह गया है.
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खेत में काम करता किसान

कई योजना अधर में लटकी
किसान नेता शिव किंकर सिंह ने बताया कि चांदन डैम के स्पिलवे में कुछ तकनीकी व्यवस्था करने के लिए तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बसावन सिंह ने पांच फीट बढ़ाने का प्लान तैयार किया था. जिससे स्टोरेज क्षमता में 40 फीसदी बढ़ोतरी हो जाती और रबी फसल के दौरान भी किसानों को पटवन मिल जाता. लेकिन इस डिजाइन पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया और यह योजना अधर में लटकी रह गई.

देखें पूरी रिपोर्ट
अब तक फाइनल नहीं हुई योजना
सिंचाई प्रमंडल बांका के कार्यपालक अभियंता विनोद कुमार ने बताया कि शुरू में ड्राई एक्सीवेशन की ओर से चांदन डैम से गाद उड़ाही की योजना थी. उसमें 15 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया था. इसके तहत दो फीट मिट्टी की खुदाई का प्रावधान था और बालू निकालने के लिए ऑक्शन किया जाता था. जिससे सरकार को कुछ राजस्व भी आता. लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ.

विनोद कुमार ने बताया कि अब दूसरे तरीके पर विचार किया जा रहा है. जिसके तहत गाद उड़ाही के लिए वेट एक्टिवेशन तरीका अपनाया जाना है. गाद निकालने के लिए प्लांट स्थापित कर पाइप के माध्यम से बालू को अलग कर दिया जाएगा और पानी को डैम में रिस्टोर कर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया पर सरकार से बात चल रही है. अब तक फाइनल नहीं हो पाया है. जैसे फाइनल होगा इसकी जानकारी दी जाएगी.

बांकाः जिले में सात डैम है. जिसमें चांदन डैम सबसे बड़ा है. चांदन डैम बांका भागलपुर और झारखंड के गोड्डा जिले के किसानों के लिए लाइफलाइन माना जाता है. लेकिन डैम के 75 फीसदी हिस्से में गाद भर जाने के कारण किसानों के समक्ष पटवन की समस्या उत्पन्न हो गई है.

किसानों को पटवन की समस्या
जिले के बौंसी प्रखंड में 1962 में निर्मित चांदन डैम की क्षमता कभी एक लाख 10 क्यूसेक थी. साल दर साल गाद भर जाने की वजह से स्टोरेज क्षमता भी घटती चली गई. डैम से प्रत्येक वर्ष 17 हजार 110 वर्ग हेक्टेयर में किसानों को पटवन का लाभ मिलता था. वर्तमान में डैम की भंडारण क्षमता महज 37.5 हेक्टेयर ही रह गया है. चांदन डैम का केचमेंट एरिया 549 स्क्वायर किलोमीटर है. जो कि अब धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है.

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चांदन डैम

गाद सफाई अधर में लटका
सिंचाई विभाग ने 1500 करोड़ की डीपीआर तैयार किया था. लेकिन भारी-भरकम राशि के चलते जल संसाधन विभाग ने हाथ खड़े कर दिए थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चांदन डैम दो बार आए और गाद उड़ाई के लिए डीपीआर फिर से तैयार करने को कहा. जिसके बाद 150 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया. लेकिन गाद सफाई अब तक अधर में लटका हुआ है.

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नहर में बहता पानी

भाड़े पर कुएं लेकर करना पड़ता है पटवन
किसान बीवी आमना ने बताया कि चांदन डैम के कैनाल से नहर में आने वाले पानी से किसानों के खेतों में पटवन नहीं हो पाता है. नहर पूरी तरह से बर्बाद है, उसे कभी दुरुस्त नहीं किया गया. जिसके चलते पटवन की समस्या लाइलाज बीमारी बन कर रह गई है. भाड़े पर कुएं लेकर पटवन करना पड़ता है. युवा किसान मो. सद्दाम हुसैन ने बताया कि किसानों के लिए पटवन बड़ी समस्या है. किसानों को खेतों तक पानी नहीं मिल पाता है. चांदन डैम में गाद भर जाने से स्टोरेज क्षमता कम हो गया. इसलिए खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है. पटवन के लिए कुएं पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इसके लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है, जो कि किसानों के लिए किसी बोझ से कम नहीं है.

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डैम से गिरता पानी
डैम में गाद भर जाने से स्टोरेज क्षमता में आई कमी
किसान नेता कृष्ण किंकर सिंह बताते हैं कि चांदन डैम के डेड स्टोरेज में गाद भर जाने के कारण उसका भंडारण क्षमता कम हो गया है. यदि बारिश नहीं हुई तो किसी तरह खरीफ में पटवन हो जाता है. लेकिन रबी फसल का पटवन नहीं हो पाता है. यदि गाद को शीघ्र नहीं निकाला गया तो जो भी स्टोरेज क्षमता बचा हुआ है, वह भी भर जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चांदन डैम दो बारा आए. लेकिन गाद निकालने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई. पटवन का दायरा भी सिमट कर 30 से 35 हजार हेक्टेयर तक ही रह गया है.
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खेत में काम करता किसान

कई योजना अधर में लटकी
किसान नेता शिव किंकर सिंह ने बताया कि चांदन डैम के स्पिलवे में कुछ तकनीकी व्यवस्था करने के लिए तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बसावन सिंह ने पांच फीट बढ़ाने का प्लान तैयार किया था. जिससे स्टोरेज क्षमता में 40 फीसदी बढ़ोतरी हो जाती और रबी फसल के दौरान भी किसानों को पटवन मिल जाता. लेकिन इस डिजाइन पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया और यह योजना अधर में लटकी रह गई.

देखें पूरी रिपोर्ट
अब तक फाइनल नहीं हुई योजना
सिंचाई प्रमंडल बांका के कार्यपालक अभियंता विनोद कुमार ने बताया कि शुरू में ड्राई एक्सीवेशन की ओर से चांदन डैम से गाद उड़ाही की योजना थी. उसमें 15 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया था. इसके तहत दो फीट मिट्टी की खुदाई का प्रावधान था और बालू निकालने के लिए ऑक्शन किया जाता था. जिससे सरकार को कुछ राजस्व भी आता. लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ.

विनोद कुमार ने बताया कि अब दूसरे तरीके पर विचार किया जा रहा है. जिसके तहत गाद उड़ाही के लिए वेट एक्टिवेशन तरीका अपनाया जाना है. गाद निकालने के लिए प्लांट स्थापित कर पाइप के माध्यम से बालू को अलग कर दिया जाएगा और पानी को डैम में रिस्टोर कर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया पर सरकार से बात चल रही है. अब तक फाइनल नहीं हो पाया है. जैसे फाइनल होगा इसकी जानकारी दी जाएगी.

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