बांका: बिहार विरासत समिति के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बीके चौधरी ने बताया कि चांदन नदी में मिले अवशेष कुषाण काल से लेकर पाल काल के बीच के हो सकते हैं. कुषाण काल लगभग 2000 वर्ष पहले था.
पाल वंश का काल लगभग 1200 वर्ष पहले था. जो दल भदरिया गांव आया था, उन्होंने पकी हुई मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े जांच के लिए अपने साथ ले गए थे. बर्तनों के टुकड़े का जो अवलोकन किया गया है उससे लगता है कि ये स्थल ऐतिहासिक है.
'कुषाण से पाल काल के बीच के अवशेष'
बिहार विरासत समिति के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बीके चौधरी ने बताया कि चांदन नदी के नीचे जो अवशेष दिख रहे हैं वो ऐतिहासिक है. ये अवशेष इतिहास के किस काल खंड के हैं इसका सटीक अंदाजा खुदाई के बाद चलेगा. लेकिन मोटा-मोटी यह कुषाण से लेकर पाल काल के बीच का हो सकता है.
'चांदन नदी में पानी के नीचे संरचना है. जिसकी खुदाई करने में परेशानी होगी. खुदाई के लिए विशेष रणनीति तैयार करने की जरूरत है'- बीके चौधरी, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, बिहार विरासत विकास समिति
'रणनीति तैयार कर करनी होगी खुदाई'
बिहार विरासत विकास समिति के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बीके चौधरी ने बताया कि जो संरचना मिली है, वो पानी के नीचे है, इसलिए खुदाई करने में कठिनाई होगी. जब तक सूखी जमीन नहीं मिलती है तब तक खुदाई कर पाना काफी कठिन है.
जो खुदाई के तरीके अपनाए जाते हैं उसमें मुश्किल आ सकती है. इसके लिए कुछ सोचना पड़ेगा और नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा. खुदाई के लिए एक रणनीति तैयार कर काम करना पड़ेगा.